Captain Miller: आखिर क्यों Captain Miller सफल नहीं रही और Pushpa, KGF और RRR इतनी ज्यादा सफल रही| Why Majority Of Pan India Movie Got Failed? And Some Movie Got Remarkable Success.

Captain Miller: दोस्तों पिछले दिनों धनुष का एक बहुत ही  खास फिल्म पैन इंडिया लेवल पर रिलीज हुआ था और यह फिल्म थी कैप्टन मिलर Captain Miller अब फ़िल्म को देखते समय मैं इस फ़िल्म के ऐक्शन, सिनेमैटोग्राफी, स्केल और धनुष को जीस तरह से प्रजेंट किया गया, उन सभी चीजों को लेकर बहुत ज्यादा प्रभावित था। साथ ही साथ फ़िल्म की कहानी कुछ हद तक निराश भी करती है। कहीं ना कहीं इस फ़िल्म Captain Miller की कहानी हमारे पेशेंस लेवल को टेस्ट करती है। साथ ही साथ लंबे समय तक अपनी कहानी के साथ ये फ़िल्म हमें जोड़ कर नहीं रख पाती। दोस्तों

Captain Miller फ़िल्म को देखते समय मुझे कहीं ना कहीं ये एहसास हो चुका था। की कुछ पुरानी फिल्मों और साथ ही साथ पैन इंडिया पर रिलीज हुई कुछ ब्लॉकबस्टर फिल्मों से इंस्पायर्ड होकर बनाई गई है और यही बड़ी वजह रही कि मुझे लग रहा था कि इस फ़िल्म का नॉर्थ बेल्ट में चलना बहुत मुश्किल है।

आज फ़िल्म Captain Miller को रिलीज हुए एक हफ्ता हो चुका है और आज तकरीबन इस फ़िल्म Captain Miller के साथ कुछ कुछ वैसा ही हुआ है। ये तो नॉर्थ बेल्ट में बिल्कुल भी सर्वाइव नहीं कर पायी। वहीं तमिलनाडु के अंदर भी इस फ़िल्म में कोई एक्स्ट्राऑर्डिनरी परफॉरमेंस करके नहीं दिखाया है। इसी के साथ ही एक और तमिल एक्टर की पैन इंडिया फ़िल्म साबित हुई है जो कि बॉक्स ऑफिस पर नहीं चल पाई।

आज हम इसी फ़िल्म Captain Miller पर चर्चा करते हुए मोस्ट ऑफ द पास्ट में रिलीज हुई पैन इंडिया फ़िल्म में और अपकमिंग फिल्मों पर बात करेंगे जो मेरे पॉइंट ऑफ यू सर थोड़ा गलत जा रही है।

CategoryInformation
Directed byArun Matheswaran
Screenplay byArun Matheswaran, Madhan Karky
Story byArun Matheswaran
Produced bySendhil Thyagarajan, Arjun Thyagarajan
StarringDhanush, Shiva Rajkumar, Priyanka Arul Mohan, Aditi Balan, Sundeep Kishan
CinematographySiddhartha Nuni
Edited byNagooran Ramachandran
Music byG. V. Prakash Kumar
Production companySathya Jyothi Films
Distributed by(Details not provided)
Release date12 January 2024
Running time157 minutes
CountryIndia
LanguageTamil
Budget₹50 crore
Box office₹81.20 crore
Captain Miller:
Dhanush Movies:

Captain Miller Movie Review:

Captain Miller
Captain Miller

कैप्टन मिलर Captain Miller दोस्तों ये एक ऐसी फ़िल्म थी जो प्री आजादी के पहले के पीरियड पर बनाई गई, जहाँ पर राजाओं महाराजाओं से लेकर अंग्रेजी को शासन को फोकस में रखा गया। मेकर्स ने उस पिरियड को जीस तरह से प्रजेंट किया। उसकी वाकई दाद देनी होगी ही फ़िल्म के सिनेमैटोग्राफी, बैक्ग्राउंड स्कोर और फ़िल्म को इतने लार्ज स्केल पर शूट करना। साथ ही साथ फ़िल्म का जो ऐक्शन था, सब कुछ इस फ़िल्म के फेवर में काम करता है।

मेकर्स ने लगभग ₹50,00,00,000 की लागत में इस फ़िल्म को बनाया और रिलीज करके दिखा दिया। जो कि अपने में बहुत बड़ी बात है। इस फ़िल्म ने अभी तक लगभग ₹80,00,00,000 के आसपास ही कमाई करी है।

दोस्तों धनुष का मैं रांझणा के टाइम पीरियड से ये बहुत बड़ा फैन रहा हूँ। उनकी फ़िल्में और उनकी एक्टिंग मुझे काफी प्रभावित करती आयी है। फिर चाहे उनकी पिछली फिल्मों की बात करें फिर चाहे वो असुरन हो, कर्णन हो, तिरुचित्रांबलम हो या फिर वातई इन चारों फिल्मों ने मुझे काफी इंप्रेस किया और अच्छी बात ये थी की सारी फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर कमर्शियल सक्सेसफुल भी रही।

दोस्तों धनुष की फ़िल्म में हमेशा से कुछ नया कन्टेन्ट डिलिवर करने की कोशिश करती रही है। यही वजह है कि इनकी फिल्मों पर हमारा हमेशा से भरोसा जुड़ा रहा।

अब जब धनुष अपनी फ़िल्म कैप्टन मिलर Captain Miller से पैन इंडिया लेवल पर अपना डेब्यू करने को तैयार थे तो हमारे लिए भी जरूरी था कि हम इस ऐक्टर की फ़िल्म को जरूर सपोर्ट करे। मगर इस फ़िल्म को देखते समय मेरे दिमाग में एक ही प्रश्न आ रहा था वो ये है की अगर इस फ़िल्म को इसी इस स्केल पर और इसी विजन के साथ बनाया जाता है लेकिन यहाँ पर कर्णन या फिर असुर जैसी कहानी देखने को मिलती है तो फ़िल्म का रिज़ल्ट कुछ और ही निकल सकता था।

फ़िल्म नॉर्थ बेल्ट और तमिलनाडु में भी कुछ खास परफॉर्म करते हुए नजर नहीं आ रही। जो कि एक बड़ी वजह जो मुझे लगती है कि इस फ़िल्म को पैन इंडिया लेवल पर सफल हुई फिल्मों के तौर पर बनाने की कोशिश किया गया।

फ़िल्म की मांस अपील को बढ़ाने के लिए इस फ़िल्म में डॉक्टर शिवा राजकुमार और संदीप किशन जैसे ऐक्टर्स को कास्ट किया गया। लेकिन अगर आप फ़िल्म देखे तो कहीं ना कहीं आपको ये एहसास जरूर होगा कि इन ऐक्टर्स को टोटली वेस्ट किया गया। अगर ये एक्टर इस फ़िल्म में ना भी होते तो भी कुछ खास फर्क नहीं पड़ता।

Captain Miller & Other Pan India Movie Success Ratio:

Captain Miller
Captain Miller

अगर आप गौर करें तो केजीएफ पुष्पा और ट्रिपल आर के सक्सेस के बाद मेजोरिटी में मेकर्स अगर पैन इंडिया पर रिलीज करने के लिए फ़िल्म बनाते हैं तो उन्हें हमेशा गैंगस्टर ड्रामा या पीरियड ड्रामा में ही क्यों अटेम्प्ट करना होता है? मुझे पता है कि इस तरह की फिल्मों को पब्लिक का बहुत बड़ा सपोर्ट मिलता है।

केजीएफ और पुष्पा फ़िल्म में एक हिस्ट्री सेट करी है। मगर यदि आप गौर करें तो इन सफल हुई फिल्मों का आंकड़ा इस जोनर में अटेम्प्ट की गई और फेल हुई फिल्मों के मामले में बहुत कम है।

ऑडियंस के नजरिए से वहीं टिपिकल ओवर ध टॉप ऐक्शन, मासी एलिवेशन सीन और खासकर मिलती जुलती कहानी। उस फ़िल्म का वर्ड माउथ उस तरह का क्रिएट नहीं कर पाती जो की एक फ्रेश सब्जेक्ट को लेकर क्रिएट होता है। एग्जाम्पल के तौर पर सलार ये फ़िल्म प्रभास के दम पर चल गयी, मगर इस फ़िल्म को काफी ज्यादा बैकलेस झेलना पड़ा और इस फ़िल्म को देखकर कुछ ऐसा तो बिलकुल फील नहीं होता की आपने कुछ बहुत ही यूनिक देख लिया।

नानी स्टारर ‘दसरा’ दोस्तों ये फ़िल्म भी फिल्म पुष्पा जैसी स्टोरी प्लॉट पर बनी थी, फ़िल्म में कुछ एंटरटेनमेंट फैक्टर थे, जिसके चलते इस फ़िल्म को थोड़ी बहुत सक्सेस मिल गई। मगर यदि आप ध्यान दें तो फ़िल्म के रिलीज होने के बाद इसकी उतनी चर्चा आज भी कहीं नहीं होती।

अगली फ़िल्म हे कब्जा यह एक गैंगस्टर सागा फिल्म थी जिसे केजीएफ के तर्ज पर बनाया गया और तो और फिल्म के रिलीज से पहले ही इस फ़िल्म के नेक्स्ट पार्ट की अनाउंसमेंट भी कर दी गई। लेकिन ये फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर रही।

संदीप किसन की माइकल, और एक पैन इंडिया फ़िल्म जो क्राइम गैंगस्टर जॉनर में डील करती है और ये फ़िल्म भी बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली।

दूसरी तरफ मास मसाला कमर्शियल फ़िल्मे भी पैन इंडिया लेवल पर रिलीज होती है मगर ये फ़िल्में भी बॉक्स ऑफिस पर चल नहीं पाती। इसीलिए पैन इंडिया पर सक्सेस के मुकाबले पैन इंडिया पर फेल हुई फिल्मों की फेहरिस्त लंबी है। फिल्मों में सेम चीजों का रिपीटेशन इतना ज्यादा हो चुका है कि ऑडियंस के मन में कोई इन फिल्मों को देखने की इच्छा जगती ही नहीं।

Captain Miller Star Vs Content Oriented Movie:

Captain Miller
Captain Miller

दोस्तों पैन इंडिया ऑडियंस अब धीरे धीरे स्टार ओरिएंटेड नहीं बल्कि कन्टेन्ट ओरिएंटेड होती जा रही है। देश में बहुत सारी ऐसी ऑडियंस है जो सिर्फ एक अच्छी फ़िल्म को देखना पसंद करती है। फ़िल्म में कोई नॉवेल्टी फैक्टर हो, नया एग्जिक्यूशन हो और सब्जेक्ट नया हो। फर्क नहीं पड़ता कि फ़िल्म में स्टार फेस है या नहीं। फ़िल्म को डेफिनेट्ली सपोर्ट मिलता है।

दोस्तों पैन इंडिया पर जितनी भी फ़िल्में रिलीज हुई है, उसमें मेरी फ़ेवरेट हमेशा कांतारा ही रहेंगी। कई मायनों में मुझे कांतारा की सक्सेस मुझे केजीएफ से भी बड़ी लगती है। मेकर्स ने मुझे जो लाइफ टाइम इक्स्पिरीयन्स दिया है, उससे मैं अभी तक भूल नहीं पाया हूँ।

हम साउथ से इसी तरह का कन्टेन्ट एक्सपेक्ट करते हैं, जिसमें हमें कुछ ना कुछ क्रिएटिविटी और नोवेल्टी देखने को मिले। एक और एग्जाम्पल है सीतारामम डेफिनेटली ये फ़िल्म आपकी भी वन ऑफ द फेवरेट रोमेंटिक ड्रामा फ़िल्म बन चुकी होगी। ये होती हैं कहानियाँ जो पैन इंडिया रिलेट डिज़र्व करती है और इस फ़िल्म को हिंदी बेल्ट में अच्छा सपोर्ट भी मिला था। आप देखिए अभी हनुमान को भी काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।

रक्षित शेट्टी की मूवी 777 चार्ली जो कि  डॉग और ह्यूमन के रिलेशनशिप को डील करती है उनको भी पब्लिक से काफी अच्छा रिस्पांस मिला था। गैंगस्टर और वाइअलन्स फिल्मों के अलावा और भी कुछ कहानियाँ होती है जो सही मायने में लार्जर स्केल डिज़र्व करती है। उस तरह की कहानियाँ भी है जो पैन इंडिया पर कही जा सकती है।

दोस्तों, कुछ फ़िल्में ऐसी भी हैं जिनमें मास अपील नहीं है, इसके चलते मेकर्स ने अपनी फिल्मों की बाउंड्री को लांघना प्रिफर नहीं किया। एग्जांपल के तौर पर रक्षित शेट्टी की मूवीज़। रक्षित शेट्टी एक ऐसा ऐक्टर हैं सिनेमा के लिए ही जीता है।

जहाँ एक तरफ बाकी ऐक्टर्स ऐक्शन और गैंगस्टर फिल्मों को दो पार्ट में रिलीज करते हैं। वहीं रक्षित शेट्टी है जो लव स्टोरी फ़िल्म को दो पार्ट में लेकर आए एक थी साइड ए और दूसरी थी साइड बी और एक महीने के भीतर इन दोनों फिल्मों को ऑडियंस के सामने लाकर रख दिया।

ये ऐसी फ़िल्म है जो कठोर इंसान को भी रुला दे। मगर मेकर्स ने इन फिल्मों को हिंदी में रिलीज नहीं किया क्योंकि उन्हें अच्छे से मालूम है कि इस तरह की फिल्मों का मार्केट बहुत ही सूक्ष्म है। मांस मसाला कमर्शल फिल्मों का मार्केट हमेशा से बढ़ा रहा है। यही वजह है कि मेकर्स आज भी पुष्पा और केजीएफ जैसी फ़िल्म बनाने में लगे हुए हैं। लेकिन कब तक?

मेरे ख्याल से अब वो समय आ चुका है जब ऑडियंस इस तरह के सब्जेक्ट से बोर होती जा रही है। इसलिए मुझे ऐसा लगता है कि पैन इंडिया पर अटेम्प्ट करने का तरीका थोड़ा बदलना चाहिए। कुछ नया और क्रिएटिव आइडिया के साथ अपनी फ़िल्म लेकर आए डेफिनेटली उन फिल्मों को पैन इंडिया लेवल पर अच्छी खासी सक्सेस मिलेगी।

बहरहाल, ये रहा आज का हमारा स्पेशल ब्लॉग। आप मेरी किस बात से सहमत हो या फिर असहमत हो आप नीचे कमेंट सेक्शन में अपनी राय जरूर लिखे हैं। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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