AK-47 : Automatic Kalashnikov यह बंदूक क्यों और किसने बनायीं ? क्या है इनके पीछे की कहानी…

AK-47:दोस्तों यूं तो इस दुनिया में जंग का सिलसिला हजारों सालों से चला रहा है, लेकिन अलग अलग समय पर जंग के लिए अलग अलग हथियारों का उपयोग किया गया। जैसे कि शुरुआती समय में लोग पत्थरों का प्रयोग करते थे और धीरे धीरे तीर, धनुष और तलवारों का प्रयोग होने लगा और फिर एक से ना दूसरे से ना से बेहतर होने के लिए अलग अलग तरह के हथियार बनाने लगी और इसी क्रम में आज से करीब 500 साल पहले आविष्कार हुआ बंदूक का जिसने की युद्ध लड़ने के तरीके को ही बदल दिया और उस टाइम लॉक एंड फाइर टाइप के बंदूक यूज़ किए जाते थे।

लेकिन आगे चलकर बंदूकों की दुनिया में भी काफी सारे बदलाव आए और समय के साथ साथ इसके भी टेक्नोलॉजी में सुधार आता रहा।

AK-47 बंदूक क्यों बनाई:

AK-47
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जब हम आज बन्दूकों की बात कर ही रहे हैं तो क्यों ना हम बात करते हैं सैनिकों की सबसे पसंदीदा हथियारों में से AK-47 नाम से पहचानी जाने वाली आटोमेटिक राइफल की जो की जंग के मैदान में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए काफी है। लेकिन क्या आपको पता है की इसे किसने और क्यों बनाया था? शायद आप नहीं जानते होंगे लेकिन इस बंदूक को बनाने के पीछे भी बड़ी दिलचस्प कहानी है और ये कहानी शुरू होती है आज से करीब 78 साल पहले से जब 1940 में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान मिखाइल क्लासनिको नाम के एक आदमी को कंधे पर गोली लग गई।

दरअसल, मिखाइल सोवियत सीना में एक टैंक कमांडर थे और गोली लगने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया। उसी दौरान सेना के कुछ सिपाहियों ने उनसे सोबियत राइफल्स की खराब क्वालिटी और जर्मन राइफल की तुलना में उनके हथियार काफी कमजोर होने की बात कही, जिससे की सोवियत सैनिकों की बड़ी संख्या में जान जा रही थी। और इन्हीं प्रोब्लम्स को देखते हुए मिखाइल ने बेहतरीन वेपन डिज़ैन करने का निश्चय किया और अस्पताल से छूटने के बाद उन्होंने उस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया।

AK-47 बंदूक किसने बनाई और किस तरह वो बंदूक बनाने में सफल रहे:

AK-47
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मिखाइल ने 1942 में सब मशीन गन और 1943 में एक लाइट प्रोसीन गन पर काम किया और फिर 1944 तक उन्होंने सेमी आटोमेटिक गैस से ऑपरेट होने वाली एक बंदूक बनाई जो की एक लम्बे स्ट्रोक पिस्टल पर आधारित थी। इस बंदूक के साथ उन्होंने एक गन कॉम्पिटिशन में पार्टिसिपेट किया, लेकिन वहाँ पर उनकी बंदूक एस के एस 45 सिमनो नाम की बंदूक से हार गई। हालांकि दोनों बंदूकों का डिज़ैन आपस में काफी मिलता जुलता था और फीचर्स भी काफी हद तक सेम ही थी।

इस हार के बाद मिखाइल ने हथियारों के डिज़ैन पर और भी ज्यादा मेहनत करनी शुरू कर दी और फिर 1946 में वह एक और नई बंदूक के साथ सामने आए, जिसका नाम उन्होंने AK 46 रखा और फिर नवंबर 1947 में मिखाइल ने पुराने सभी बन्दूकों से सीख लेकर काफी सारे बदलाव के बाद एक नई बंदूक के ऊपर काम खत्म किया, जिसके प्रोटो टाइप में बैरल पर एक लम्बी गैस सिस्टम फिट थी और इसी राइफल का नाम था AK-47 बंदूक का डिज़ैन काफी सिंपल था और इसे इस्तेमाल करना भी बेहद ही आसान।

इस बंदूक को 1948 में ट्रायल के लिए आर्मी को दे दिया गया और आर्मी ने भी इसे हर कंडीशन में यूज़ करने के लिए सबसे बेहतरीन हथियार बताया और फिर 1949 से ही यह राइफल सोवियत और रोसी सेना के साथ में है। साथ ही दुनिया भर के लगभग 106 देशों के सैनिक इस राइफल का उपयोग करते हैं।

AK-47 पूरा नाम क्या है और 47 अंक क्यों रखा :

AK-47
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और दोस्तों AK-47 नाम में A का मतलब आटोमेटिक और K के डिजैनर के नाम पर है। साथ ही 1947 में इसका आविष्कार हुआ था तो 47 वहाँ से लिया गया है और दोस्तों इसके डिजैनर मिखाइल ने इस बंदूक से अपने पूरे जीवन में एक भी पैसा नहीं कमाया था। इस आविष्कार को वो अपने देश की सेवा मानते थे और मिखाइल की मृत्यु अभी कुछ ही सालो पहले 2013 में हुई। उस समय उनकी उम्र 94 साल थी।

उम्मीद है कि आपको AK-47 की यह कहानी जरूर पसंद आई होगी आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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पूरा ब्लॉग पढ़िए:

  1. युद्ध में हथियारों का उपयोग हजारों सालों से होता आया है, शुरुआती समय में पत्थरों का प्रयोग किया जाता था।
  2. समय के साथ-साथ तीर, धनुष, तलवार और अन्य हथियारों का विकास हुआ।
  3. लगभग 500 साल पहले बंदूक का आविष्कार हुआ जिसने युद्ध लड़ने के तरीके को बदल दिया।
  4. बंदूक की तकनीक में लगातार सुधार होते रहे, जिससे विभिन्न प्रकार की बंदूकें बनाई गईं।
  5. AK-47, एक ऑटोमैटिक राइफल, सैनिकों के सबसे पसंदीदा हथियारों में से एक है।
  6. AK-47 का आविष्कार मिखाइल कलाश्निकोव ने किया था, जिन्होंने इसे सोवियत सैनिकों की मदद के लिए बनाया।
  7. 1940 में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान मिखाइल कलाश्निकोव को गोली लगी और अस्पताल में भर्ती होने के दौरान उन्होंने बेहतर हथियार बनाने का निर्णय लिया।
  8. 1947 में AK-47 का प्रोटोटाइप तैयार हुआ और इसे सोवियत सेना में 1949 में शामिल किया गया।
  9. AK-47 का नाम ‘ऑटोमैटिक कलाश्निकोव’ और 1947 के आविष्कार वर्ष पर रखा गया।
  10. मिखाइल कलाश्निकोव ने इस बंदूक से अपने जीवन में कोई धन अर्जित नहीं किया और इसे देश की सेवा माना। उनकी मृत्यु 2013 में 94 वर्ष की आयु में हुई।

AK-47 पर सामान्य प्रश्न (FAQ):

AK-47
  1. ए के 47 क्या है?
    • ए के 47 एक ऑटोमैटिक राइफल है जिसे मिखाइल कलाश्निकोव ने 1947 में डिजाइन किया था।
  2. ए के 47 का आविष्कार किसने और कब किया?
    • ए के 47 का आविष्कार मिखाइल कलाश्निकोव ने 1947 में किया था।
  3. ए के 47 का पूरा नाम क्या है?
    • ए के 47 का पूरा नाम “ऑटोमैटिक कलाश्निकोव 1947” है।
  4. मिखाइल कलाश्निकोव कौन थे?
    • मिखाइल कलाश्निकोव एक सोवियत टैंक कमांडर और हथियार डिजाइनर थे जिन्होंने ए के 47 का आविष्कार किया।
  5. मिखाइल कलाश्निकोव ने ए के 47 क्यों बनाई?
    • मिखाइल कलाश्निकोव ने ए के 47 इसलिए बनाई क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सोवियत राइफल्स की खराब क्वालिटी और जर्मन राइफल्स की श्रेष्ठता से सोवियत सैनिकों को भारी नुकसान हो रहा था।
  6. ए के 47 की विशेषताएँ क्या हैं?
    • ए के 47 का डिज़ाइन सरल है, यह इस्तेमाल में आसान है, और यह हर प्रकार की परिस्थितियों में प्रभावी है।
  7. ए के 47 का उपयोग कौन करता है?
    • ए के 47 का उपयोग दुनिया भर के लगभग 106 देशों के सैनिक करते हैं।
  8. ए के 47 के नाम में 47 का क्या मतलब है?
    • 47 का मतलब 1947 से है, जब इस राइफल का आविष्कार हुआ था।
  9. क्या मिखाइल कलाश्निकोव ने ए के 47 से कोई धन अर्जित किया?
    • नहीं, मिखाइल कलाश्निकोव ने ए के 47 से अपने जीवन में कोई पैसा नहीं कमाया और इसे अपने देश की सेवा माना।
  10. मिखाइल कलाश्निकोव की मृत्यु कब हुई?
    • मिखाइल कलाश्निकोव की मृत्यु 2013 में 94 वर्ष की आयु में हुई।

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