दोस्तों किसी ने सच ही कहा है कि जिंदगी खेलती भी उसी के साथ है जो खिलाड़ी बेहतरीन होता है और यह लाइन अगर कहें कि भारत के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह पर बिल्कुल सटीक बैठता है तो यह गलत नहीं होगा क्योंकि तेज बोलिंग के क्षेत्र में हमेशा से ही पीछे रहने वाली भारतीय क्रिकेट टीम को एक नई ताकत देने वाले जसप्रीत बुमराह का अभी तक का यह सफर इतना आसान नहीं था।
क्योंकि एक मिडिल क्लास फैम्ली में पैदा होने के बाद जब घर के मुखिया के मृत्यु बहुत जल्दी हो जाए ना तो फिर जिंदगी रुक सी जाती है। लेकिन किस तरह से अपने संघर्ष के दम पर बुमराह ने सफलता पाई? आज के इस ब्लॉग में हम यही जानेंगे। तो चलिए सटे की और करो और तेज रफ्तार से किसी भी बल्लेबाज को परेशान करने वाले बॉलर के लाइव स्टोरी को हम शुरू से जानने की कोशिश करते हैं।
Here’s the information in a two-column format:
Attribute | Details |
---|---|
Born | 6 December 1993 (age 30 years), Ahmedabad |
Spouse | Sanjana Ganesan (m. 2021) |
Dates joined | 23 January 2016 (India national cricket team), 2013 (Mumbai Indians, Gujarat Cricket Club) |
Current teams | India national cricket team (Cricket Bowler) |
Height | 1.78 m |
Parents | Jasbir Singh, Daljit Bumrah |
Siblings | Juhika Bumrah |
जसप्रीत बुमराह का शरुआती जीवन:
तो दोस्तों इस कहानी की शुरुआत होती है 6 दिसंबर 1993 से जब गुजरात के अहमदाबाद में जसप्रीत बुमराह का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम जसबीर सिंह था जो कि पेशे से एक बिजनेसमैन थे और उनकी माँ का नाम दलजीत कौर जो की एक स्कूल में बतौर प्रिन्सिपल काम किया करती थी और इसके अलावा जसप्रीत के फैम्ली में उनकी एक बहन भी है जिनका नाम जूहीका है और दोस्तों बुमराह को शुरू से ही खेलों में काफी दिलचस्पी थी और खासकर वह क्रिकेट को सबसे ज्यादा पसंद करते थे और वो शुरू से ही आम बच्चों से अलग थे ।
क्योंकि जहाँ आम तौर पर बच्चों को बैटिंग करना ज्यादा पसंद होता है वही उन्हें बोलिंग करने का शौक था और इसीलिए बुमराह अपने खेल को ज्यादा आसानी से आगे ले जा सके। साथ ही उन्होंने शुरुआती समय में अपने स्कूल की पढ़ाई निर्माण हाई स्कूल से की, जिसमें की उनकी माँ ही प्रिन्सिपल के तौर पर काम किया करती। हालांकि जसप्रीत जब महज 7 साल के थे तभी एक गंभीर बिमारी की वजह से उन्होंने अपने पिता को खो दिया।
और इन कठिन परिस्थितियों में मानो उनके परिवार पर आपत्ति टूट पड़ी और इस घटना से जसप्रीत के साथ साथ उनकी बहन और माँ सभी लोगों को बहुत ही गहरा सदमा पहुंचा। लेकिन जसप्रीत की माँ ने बहुत ही जल्द खुद को संभालना और अपने बच्चों के भविष्य को बनाने में जुटी ।
जसप्रीत बुमराह का क्रिकेट के प्रति लगाव:
फिर समय के साथ जसप्रीत बुमराह का भी क्रिकेट में इन्ट्रेस्ट बढ़ता गया। और 14 साल की उम्र में उन्होंने क्रिकेट में करियर बनाने की इच्छा अपने माँ के सामने ज़ाहिर की। हालांकि यहाँ पर पहले तो उनकी माँ ने साफ साफ मना कर दिया क्योंकि वह जानती थी कि भारत के अंदर इस खेल में कॉम्पिटिशन कितना ज्यादा है, लेकिन जब उन्होंने जसप्रीत के अंदर इस खेल का पागलपन देखा तब वह भी आखिरकार मानेंगे और फिर अपने शानदार बोलिंग से जसप्रीत बुमराह ने सभी को इतना प्रभावित कियाकी उन्हें एम आर ऐफ़ पेस्ट फाउंडेशन में ट्रेनिंग के लिए चुना गया ।
जसप्रीत बुमराह क्रिकेटर कैसे बने और क्या आज वो गेंदबाजों की लिस्ट में No.1 पर है:
दोस्तों आपको बता दें कि एम आर ऐफ़ पेस्ट फाउंडेशन बेसिक्ली चेन्नई में स्थित फास्ट बोलर्स के लिए कोचिंग सेंटर है, जहाँ पर अनुभवी कोचेस और एक्सपर्ट्स की देखरेख में गेंदबाज अपनी गेंदबाजी को निखारते हैं और इसी फाउंडेशन ने ही भारतीय क्रिकेट को इरफान पठान, मुनाब पटेल, आर पी सिंह, जहीर खान और श्री संत जैसे कई सारे तेज गेंदबाज दिए हैं और फिर यहाँ पर आकर बुमराह को अभी अपनी बॉलिंग निखारने में काफी मदद मिलती ।
और उनके परफॉरमेंस को देखते हुए उन्हें ऑक्टोबर 2013 में पहली बार गुजरात के अंडर 19 में सेलेक्ट किया गया और यहाँ पर अपना पहला मैच विदर्भ क्रिकेट टीम के खिलाफ़ खेलते हुए उन्होंने कुल सात विकेट सेट की और इस तरह से फर्स्ट क्लास टिकेट की शुरुआत उन्होंने काफी शानदार तरीके से की और फिर आगे चलकर सैयद मुस्ताक अली ट्रॉफी में उनके शानदार खेल को देखते हुए 2013 में जॉन राइट ने उन्हें आई पी एल के अंदर मुंबई इंडियन्स के टीम में खिलाने का निर्णय लिया ।
इस तरह से 19 साल की उम्र में जसप्रीत ने इंडियन प्रीमियर लीग में अपना डेब्यू किया और यहाँ भी उन्होंने आर सी बी के खिलाफ़ खेलते हुए अपने डेब्यू मैच में ही तीन विकेट लेकर खुद के सेलेक्शन को सही ठहराया। हालांकि उन्हें इस आई पी एल के सिर्फ दो मैचों में ही खेलने का मौका मिला था और फिर अगले साल यानी की 2014 की आई पी एल में भी वह मुंबई इंडियन्स के तरफ से ही खेलते हुए दिखाई दिए जहाँ पर उनका परफॉरमेंस भी ठीक ठाक रहा और उन्होंने 11 मैचों में कुल पांच विकेट लिए।
हालांकि 2015 में इंजरी की वजह से वो आई पी एल का मैच तो नहीं खेल सके थे लेकिन घरेलू परफॉरमेंस उनका काफी शानदार रहा और इसी वजह से 27 जनवरी 2016 को भारत के नेशनल टीम से टी 20 मैच खेलने का उन्हें मौका मिला और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ अपना टी 20 डेब्यू किया था। और दोस्तों बस यहाँ पर एक मौका मिलने के बाद से तो वह बहुत ही जल्द भारतीय टीम का हिस्सा बन गए।
और इस साल यानी की 2016 में बुमराह टी 20 में सबसे ज्यादा 28 विकेट लेने वाले खिलाड़ी बने और फिर उनके धारदार बोलिंग को देखते हुए उन्हें बहुत ही जल्द ओह डी आई में भी खेलने के मौके मिलने लगे और इन मौकों को भुनाकर बुमराह ने बहुत ही जल्द टीम में अपनी जगह पक्की कर दी और वह देखते ही देखते बहुत तेजी से भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बेहतरीन गेंदबाजों की लिस्ट में सुधार हो चुकी और वह वॅन डे के आई सी सी प्लेयर रैंकिंग में एस ए बॉलर पहले नंबर पर बने हुए हैं। साथी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ मौजूदा टेस्ट सीरीज में भी आप उनके परफॉरमेंस को तो देखे गए?
दोस्तों, अंत में बस मैं यही कहना चाहता हूँ कि ये काम परिवार में पैदा होने के बाद मुश्किल परिस्थितियों से उभर कर जीस तरह से बुमराह ने सफलता पाई वह काबिलेतारीफ है और आगे भी हम इनके सफल करियर की कामना करते हैं क्योंकि अभी तो इस बाज की असली उड़ान बाकी है। अभी तो इस परेन्दे का इम्तिहान बाकी है। अभी बुमराह ने लांघा है सिर्फ समंदर को, आगे तो अभी पूरा आसमान बाकी है।
उम्मीद करते हैं कि जसप्रीत बुमराह की यह कहानी आपको जरूर पसंद आई होगी। आपका मूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
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