महेंद्र सिंह धोनी: इंडियन कैप्टन बनने तक का सफर। Mahendra Singh Dhoni Biography.

महेंद्र सिंह धोनी: भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहाँ क्रिकेट को धर्म और क्रिकेटर्स को भगवान का दर्जा दिया जाता है। और अगर बात की जाए इस खेल के कैप्टन की तो अब खुद ही सोच लीजिए कि उसके ऊपर पूरे देश का कितना दबाव होता होगा? लेकिन आज मैं जीस शख्स के बारे में बात करने जा रहा हूँ उनके डिसीजंस की तो दास देनी होगी।

जिन्होंने इतने दबाव के बाद भी अपने कप्तानी से भारत को टी 20 वर्ल्ड कप और वॅन डे इंटरनेशनल वर्ल्ड कप के साथ ही साथ बहुत सारी ऐसी जीतें दिलाई हैं जो कि भारतीय क्रिकेट के लिए एक सपना सा लगने लगा था। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि मैं किसकी बात कर रहा हूँ जी दोस्तों मैं बात कर रहा हूँ महेंद्र सिंह धोनी की, जिनकी अगुवाई में भारतीय क्रिकेट टीम तीनों फॉर्मॅट में नंबर एक का ताज हासिल कर चुकी है। दोस्तों उन्होंने क्रिकेट इतिहास में कुछ ऐसे रिकॉर्ड्स बनाए हैं कि हर भारतीय क्रिकेट और क्रिकेट को चाहने वाला उन पर गर्व करता है।

यहाँ तक कि क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेन्दुलकर का कहना है कि धोनी दुनिया के सबसे बेहतरीन कप्तान है। मुझे खुशी है कि वे मेरे खेलते समय मेरे कप्तान रह चूके हैं। तो दोस्तों आइए भारतीय टीम की नई किस्मत लिखने वाले कैप्टन कूल के बारे में हम डीटेल में जानते हैं।

  • Born: 7 July 1981 (age 42 years), Ranchi
  • Spouse: Sakshi Dhoni (m. 2010)
  • Dates joined: 2018 (Chennai Super Kings)
  • Current team: Chennai Super Kings (Wicket-keeper)
  • Parents: Pan Singh Dhoni, Devaki Devi
  • Awards: Padma Bhushan, Padma Shri
  • Siblings: Narendra Singh Dhoni, Jayanti Gupta

महेंद्र सिंह धोनी की शरुआती जिंदगी:

महेंद्र सिंह धोनी
महेंद्र सिंह धोनी

महेंद्र सिंह धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को बिहार के रांची शहर में हुआ था, जो की अब झारखंड राज्य में है। उनके पिता का नाम पान सिंह और माँ का नाम देवकी है। वैसे तो धोनी का होम टाउन उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में लावली नाम की एक गांव में है, लेकिन उनके पिता पान सिंह की जॉब मैकॉन कंपनी में जूनियर मनेजमेंट ग्रुप में लग गई, जिसकी वजह से उन्हें पूरे परिवार के साथ रांची में शिफ्ट होना पड़ा।

धोनी के साथ ही साथ उनकी एक बहन है जिसका नाम जयंती है और एक भाई भी है जिसका नाम नरेंद्र है। धोनी ने अपनी शुरू की पढ़ाई डी ए वि जवाहर विद्यालय मंदिर श्यामली रांची से की थी।

एम एस भले ही आज सफल क्रिकेट के तौर पर जाने जाते हैं लेकिन बचपन में उन्हें बैडमिंटन और फुटबॉल का बहुत शौक था और उस समय तक शायद क्रिकेट का उन्होंने कभी कुछ ज्यादा सोचा नहीं था। फुटबॉल की बात करें तो वह इस खेल में इतने अच्छे थे कि छोटी उम्र में ही उन्हें डिस्ट्रिक्ट और क्लब लेवल पर मैचेस खेलना स्टार्ट कर दिया था। वो अपनी फुटबॉल टीम में एस ए गोलकीपर खेलते थे। उनका गोलकीपर के तौर पर अच्छे परफॉर्मेंस को देखते हुए फुटबॉल टीम के कोच ने उन्हें क्रिकेट में हाथ आजमाने के लिए भेजा।

हालांकि धोनी ने उससे पहले कभी क्रिकेट नहीं खेला था, फिर भी उन्होंने अपने विकेट कीपिंग से सबको बहुत प्रभावित किया और कमांडो क्रिकेट क्लब के रेगुलर विकेट कीपर बन गए। क्रिकेट क्लब में उनके अच्छे परफॉरमेंस की वजह से उन्हें 1997 98 के दौरान वीनू माकन ट्रॉफी अंडर 16 चैंपियनशिप के लिए चुना गया, जहाँ उन्होंने जबरदस्त परफॉरमेंस किया। धोनी, सचिन तेन्दुलकर और एडम गिलक्रिस्ट के बहुत बड़े फैन थे। वह अपने शुरुआती दिनों में लंबे लंबे बाल रखा करते थे क्योंकि उन्हें बॉलीवुड ऐक्टर जॉन अब्राहम बहुत पसंद थे और वह उन्हीं की तरह देखना चाहते थे।

जॉन की तरह ही धोनी को भी तेज रफ्तार से बाइक और कार चलाने का शौक है और आज भी जब भी कभी धोनी को टाइम मिलता है तो वह अपनी फेवरेट बाइक से घूमने निकल जाते हैं। क्लास 10th तक उन्होंने एक साधारण तरीके से क्रिकेट खेला। क्योंकि उस समय तक उन्हें खेल के साथ साथ पढ़ाई पर भी ध्यान देना होता था। और फिर 10th के बाद से वो क्रिकेट को ज्यादा टाइम देने लगे थे। लेकिन उसी बीच उन्होंने रेलवे में टीटी के लिए इंटरेस्ट इलज़ाम दिया और वह उसमें सेलेक्ट हो गए।

उसके बाद धोनी साउथ रेलवे की खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर 2001 से 2003 तक एस ए टी टी काम किया। एम एस के साथ काम करने वाले लोग बताते हैं कि वह एक नेक दिल इंसान थे और अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया करते थे।

लोग धोनी को क्यों शरारती कहते थे:

महेंद्र सिंह धोनी
महेंद्र सिंह धोनी

दोस्तों महेंद्र सिंह धोनी हमेशा उनकी शरारती हरकतों के लिए जाने जाते हैं। एक बार की बात है जब धोनी रेलवे के क्वार्टर पर रह रहे थे तभी वह अपने दोस्त के साथ मिलकर खुद को सफेद कम्बल में पूरी तरह ढक लिया और देर रात तक अपनी कॉलोनी में घूमते रहे। वहाँ का पहरेदार और कुछ और लोगों ने लंबे बाल और पूरी तरह सफेद कपड़े में ढका हुआ उन्हें देखा और डरकर वहाँ से भाग निकले। लोगों को यहाँ तक यकीन हो गया था कि कॉलोनी में कोई भूत घूम रहा है।

उनकी इस शरारत से लोग बहुत डर गए थे और अगले दिन यह एक बड़ी खबर बन गई थी। वह रेलवे में नौकरी के साथ ही साथ 2000 से 2003 तक रणजी ट्रॉफी का हिस्सा बने रहे। धीरे धीरे क्रिकेट की तरफ उनका पागलपन इतना बढ़ गया कि उनका काम से मन हटने लगा और उन्होंने क्रिकेट में पूरी तरह से अपना करियर बनाने का सोच लिया।

महेंद्र सिंह धोनी नेशनल क्रिकेट टीम में कैसे सेलेक्ट हुए और कैसे मिला कप्तानी का दर्जा:

अब बहुत सारे लोगों के मन में ये सवाल होता है कि वह नेशनल क्रिकेट टीम में कैसे सेलेक्ट हुए? तो दोस्तों बता दू की बी सी सी आई की एक टीम होती है जो छोटे शहरों से सबसे अच्छे टैलेंट्स को खोजने का काम करती है। और उसी टीम में से प्रकाश पोडार की नजर धोनी के अद्भुत खेल पर पड़ी और उन्होंने धोनी को नेशनल लेवल पर खेलने के लिए सेलेक्ट कर लिया।

दोस्तों बता दू की प्रकाश पोडार बंगाल टीम के पूर्व कप्तान रह चूके है। एमएस धोनी को सबसे बड़ी कामयाबी तब मिली जब 2003 में उन्हें इंडिया ए टीम के लिए चुना गया और वो ट्राई सीरीज खेलने के लिए केन्या गए जहाँ पाकिस्तान की टीम भी आई हुई थी।

इस सीरीज में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया जिसमें पाकिस्तान के 223 रन का पीछा करते हुए उस मैच में उन्होंने अर्धशतक बनाया और भारतीय टीम को मैच जीतने में हेल्प की। अपने परफॉरमेंस को और मजबूत करते हुए धोनी ने इसी टूर्नामेंट में 120 और 119 रन बनाकर दो शतक पूरे किए। यहाँ पर धोनी ने कुल सात मैचों में 362 रन बनाए थे। तभी धोनी के शानदार परफॉरमेंस पर उस समय के कैप्टन सौरभ गांगुली का ध्यान गया और साथ ही साथ भारत ए टीम के कोच संदीप पाटिल ने विकेट कीपर और बल्लेबाज के तौर पर भारतीय क्रिकेट में जगह के लिए महेंद्र सिंह धोनी की सिफारिश की।

भारतीय क्रिकेट में उस समय पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक जैसे विकेटकीपर का ऑप्शन था। और ये दोनों ही टेस्ट अंडर 19 के कैप्टन भी रह चूके थे, लेकिन धोनी ने तब तक अपने खेल के दम पर एक अद्भुत पहचान भारत ए टीम में बना ली थी। इसी वजह से उन्हें 2004/5 में बांग्लादेश दौरे के लिए वॅन डे टीम में चुन लिया गया। धोनी की एक दिवसीय करियर की शुरुआत बेहद ही खराब रही और वह अपने पहले ही मैच में दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से जीरो रन पर आउट हो गए। बांग्लादेश के खिलाफ़ उनका परफॉरमेंस अच्छा ना होने के बावजूद भी वह पाकिस्तान के खिलाफ़ वॅन डे टीम के लिए चुने गए।

आंतराष्ट्रीय क्रिकेट में महेंद्र सिंह धोनी के बल्ले की गूंज तब सुनाई दी जब अपने पांचवे ही मैच में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ़ ताबड़तोड़ सतर्क ठोक कर भारत को जीत दिला दी। उस मैच में धोनी ने 123 गेंदों पर शानदार 148 रन की पारी खेली थी। ये किसी भी विकेट कीपर बैट्समैन के तौर पर हैयेश्ट स्कोर था। उसके बाद भी उन्होंने अपना शानदार परफॉरमेंस जारी रखा और टीम में अपनी मजबूत जगह बना ली। 2007 में जब राहुल द्रविड़ ने टेस्ट और वॅन डे कैप्टन सी से इस्तीफा दे दिया और सचिन तेन्दुलकर को टीम का कैप्टन बनने के लिए कहा जाने लगा तो सचिन ने विनम्रता से मना कर दिया।

और महेंद्र सिंह धोनी को कैप्टन बनाने के लिए कहा, जिससे बोर्ड के मेंबर्स भी सहमत हो गए और धोनी इंटरनेशनल क्रिकेट के कैप्टन बन गए। उसके बाद से धोनी ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और ऐसी कप्तानी की 2007 में पहला टी 20 वर्ल्ड कप भारत ने अपने नाम किया और फिर 2011 में वॅन डे इंटरनेशनल वर्ल्ड कप भी अपने नाम कर लिया। दोस्तों भारतीय टीम को एक अच्छा कैप्टन के तौर पर कपिल देव, अजरुद्दीन और गांगुली के बाद अगर कोई मिला वो थे महेंद्र सिंह धोनी।

महेंद्र सिंह धोनी का निजी जीवन और उनको मिले कई अवॉर्ड्स:

महेंद्र सिंह धोनी

अगर महेंद्र सिंह धोनी के पर्सनल लाइफ की बात की जाए तो उन्होंने 4 जुलाई 2010 को साक्षी से शादी की और 6 फरवरी 2015 को उनकी एक बेटी हुई, जिसका नाम जीवा रखा दोस्तों धोनी को 2008 में आई सी सी वॅन डे प्लेयर ऑफ़ दी ईयर का अवार्ड दिया गया। धोनी पहले भारतीय खिलाड़ी थे, जिन्हें यह सम्मान मिला। इसके अलावा धोनी को राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। दोस्तों उनकी कप्तानी में भारत ने 28 साल बाद एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप में दोबारा जीत हासिल की। 30 दिसंबर 2014 को उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट का फैसला किया था।

उसके बाद 4 जनवरी 2017 को वॅन डे और टी 20 की कप्तानी भी छोड़ दी। लेकिन उन्होंने कहा कि वह एक विकेट कीपर बल्लेबाज के तौर पर खेलते रहेंगे। दोस्तों महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम में कभी भी विवाद नहीं होता है क्योंकि वो अपने शांत सोच से टीम में एकता बनाए रखते हैं। महेंद्र सिंह धोनी ना केवल एक बेहतरीन खिलाड़ी बल्कि एक बेहतरीन इंसान भी हैं जो कभी मैच की जीत का श्रेय खुद को नहीं मानते हैं बल्कि पूरी टीम को इसका श्रेय देते हैं जिसके कारण टीम के सभी खिलाड़ी भी उनका सम्मान करते हैं।

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। आपको ये कहानी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद।

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