सुरों की मल्लिका आशा भोसले आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। उन्होंने अपनी आवाज से करोड़ों दिलों पर राज़ किया है। आशा जी अभी तक 1000 से भी ज्यादा फिल्मों के गाने गा चुकी हैं। लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स के मुताबिक उन्होंने 30 भाषाओं में करीब 14,000 गीतों को अपनी आवाज दी है। और वो गीतों की संख्या के हिसाब से देश के ही नहीं बल्कि दुनिया के नंबर वॅन सिंगर हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं, कि कभी आशा भोसले को बी ग्रेड की गायिका माना जाता था, उन्हें वो ही गाने दिए जाते थे जो बड़ी गायिकाएं नहीं गाती। क्या आप जानते हैं की आशा भोसले एक गायिका के साथ साथ अंतर्राष्ट्रीय रेस्टोरेंट की मालकिन भी हैं। क्या आप जानते हैं की करियर में इतना सफल होने के बावजूद आशा भोसले की पारिवारिक जिंदगी हमेशा उथल पुथल भरी रही। जायेंगे और भी बहुत कुछ बस बने रहिये इस ब्लॉग के अंत तक।
Attribute | Details |
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Full Name | Not provided |
Date of Birth | 8th September 1933 |
Place of Birth | Sangli, Maharashtra |
Parents | Dinanath Mangeshkar (Father) and Shevanti Mangeshkar (Mother) |
Spouse(s) | Ganpatrao Bhosle (1949-1960), Rahul Dev Burman (1980-1994) |
Occupation | Playback Singer, Vocalist, Restaurateur |
Children | Hemant Bhosle, Varsha Bhosle, Anand Bhosle |
Beginning of Playback Career | 1943 |
Net Worth (approx) | $40 million |
आशा भोसले की शुरुआती जिंदगी:
दोस्तों नमस्कार, आशा भोसले का जन्म 8 सितंबर 1933 को हुआ था। उन्होंने 10 साल की उम्र में ही गाना शुरू कर दिया था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर मशहूर ऐक्टर और थिएटर कंपनी के मालिक थे। जब आशा जी 9 साल की थी तब उनके पिता का देहांत हो गया था। इस वजह से उन्होंने अपनी बड़ी बहन लता मंगेशकर के साथ मिलकर सिंगिंग और अक्टिंग शुरू कर दी थी। दोनों बहने मिलकर परिवार का खर्च उठाती थी।
आशा जी ने 1943 की मराठी फ़िल्म माझा बल में पहला गीत चला चला नववाला गाया था। 1948 में उन्हें पहली बार हिंदी फिल्मों में गाने का मौका मिला। उन्होंने हंस राज़ बहल की फ़िल्म चुनरिया में पहला गीत गाया था। एक थिएटर कंपनी के मालिक की बेटी होने के बावजूद आशा भोसले को अपने करियर की शुरुआत में बहुत ज्यादा स्ट्रगल करना पड़ा। उस जमाने में गीता दत्त, शमशाद बेगम और लता मंगेशकर का खूब नाम हुआ करता था।
जब ये तीनों कोई गाना छोड़ देती थी तो वो आशा भोसले को दिया जाता था। यही कारण है की 50 के दशक में बैड गर्ल्स या सेकंड ग्रेड की फिल्मों के ज्यादातर गाने आशा ताई ने गाए हैं। हालांकि इस तरह के गाने उन्हें पसंद नहीं थे, लेकिन जब उन्हें लगातार ऐसे ही गाने मिलते रहे तो उन्होंने इसे ही अपनी एक अलग पहचान बना ली। उन्होंने उम्र के हर मोड़ पर अपनी आवाज को एक नया आयाम दिया।
आशा भोसले की पर्सनल लाइफ:
उनकी आवाज, उनकी कला और उनके बहुआयामी करियर पर हम किसी और ब्लॉग में चर्चा करेंगे। यहाँ बात करते हैं उनकी उस पर्सनल लाइफ की जो उन्होंने खुद बनाई और बिगाड़ी। हालांकि यह भी कहा जाता है कि किस्मत और हालात का उनकी जिंदगी को हर वक्त नया मोड़ देने में बहुत बड़ा योगदान रहा।
आशा भोसले की पर्सनल लाइफ में कई तूफ़ान आए। उन्हें 16 साल की उम्र में लता मंगेशकर के 31 साल के उम्र वाले पर्सनल सेक्रेटरी गणपत राव घोसले से प्यार हो गया। घर वालों की मर्जी के खिलाफ़ जाकर उन्होंने गणपतराव से शादी कर ली थी। इस कारण उन्हें अपना घर भी छोड़ना पड़ा। शादी के बाद कुछ दिन तो अच्छे से दिन बीते लेकिन फिर झगड़े होने लगे। मीडिया रिपोर्ट्स की माँ ने तो गणपत और उनके भाई आशा को पीटने लगे। गणपत के परिवार वाले आशा कौन के घर के किसी भी सदस्य से मिलने नहीं देते थे।
उन्होंने कई बार अपनी लता दीदी से मिलने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुई। जब ये सब उनके बर्दाश्त से बाहर हो गया तो 1960 में वह दो बच्चों के साथ अपनी माँ के घर आ गई। उस समय आशा प्रेग्नेंट भी थी। दोनों एक दूसरे से 1960 के आसपास अलग हो गए। आशाजी फिर से अपने परिवार में लौटी और संगीत की दुनिया में जगह बनाने के लिए कोशिसों में जुट गई। तब तक वह तीन बच्चों की माँ बन चुकी थी।
इसके बाद आशा ताई की जिंदगी में आए ओ पी नैयर दरअसल, आशा भोसले आज जीस मुकाम पर है। वहाँ तक पहुँचाने का श्रेय अगर किसी को दिया जाता है तो वो है ओ पी नैयर। उन्होंने आशा की आवाज की रेंज का पूरा फायदा उठाया। कई फिल्मों में एक साथ काम करने के दौरान नैयर साहब और आशा भोसले काफी करीब आ गए थे। हालांकि यही प्रेम संबंध नैयर साहब की बर्बादी का कारण भी बन गया जब दोनों की मुलाकात हुई। ओ पी नैयर पहले से शादीशुदा और चार बच्चों के पिता थे।
1958 से लेकर 1972 तक नैयर और आशा भोसले का प्रेम संबंध आगे बढ़ता रहा। एक शादीशुदा शख्स जिसके बाल बच्चे और एक तलाकशुदा महिला यानी आशा भोसले खुलेआम बम्बई में घूमा करते थे। ज़ाहिर है, उस जमाने में हिंदी सिनेमा के लिए ये काफी सनसनीखेज बातें थी।
हालांकि दोनों ने कभी दुनिया की परवाह नहीं की। ओ पी नैयर का आशा भोसले के साथ प्रेम संबंध करीब 14 सालों तक चला। कहते हैं ओह पी नैयर की पत्नी ने उन्हें तलाक नहीं दिया और आशा भोसले उनसे शादी नहीं कर पाई। उनके बच्चे बड़े होने लगे थे तो समाज और सम्मान की परवाह भी होने लगी थी या कोई समाधान ना मिला तो आशा भोसले ने 1972 में अपने जीवन के संगीत में अध्याय को खत्म करने का फैसला किया।
एक जमाने में ओ पी नैयर की कैडल कार में पूरी मुंबई में बेधड़क घूमने वाली आशा भोसले तो इसके बाद ओ पी नैयर का साथ एक झटके में छोड़ दिया। लेकिन इससे पहले उन्होंने प्राण जाए पर वचन ना जाए फ़िल्म के लिए गाना रिकॉर्ड किया। कहते हैं इस गीत में आशा भोसले ने अपने दिल का दर्द साफ झलकाया था। यह गीत उतना सजीव रहा की उसे सन 1973 का फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला।
आशा भोसले उस समारोह में नहीं गई थी तो वहाँ मौजूद ओ पी नैयर ने उनकी तरफ से ट्रॉफी ले ली। कहते हैं घर वापस लौटते समय ओ पी नैयर ने वो ट्रॉफी चलती कार से सड़क पर फेंक दी थी। आशा भोसले के साथ संबंधों के कारण नैयर साहब के परिवार वालों ने उनसे किनारा कर लिया और 1 दिन आशा भोसले भी उनकी जिंदगी से बाहर हो गई। जब तक नैयर साहब को अपनी गलती का एहसास होता तब तक नुकसान हो चुका था। उन्होंने सन 1994 में अपना घर बैंक अकाउन्ट कार आदि सबको छोड़ दिया और एक अनजान परिवार में पेयिंग गेस्ट की तरह रहने लगे।
आशा भोसले ने की दूसरी शादी:
इधर इसी दौरान आशा भोसले की मुलाकात एस डी बर्मन के बेटे राहुल देव बर्मन यानी आर डी बर्मन से हुई। उन्होंने बहुत से गाने साथ में गाए। इसके बाद 1980 में दोनों ने शादी कर ली। यहाँ एक बात खास है की आर डी बर्मन आशा जी से 6 साल छोटे थे। दोनों की ही एक एक शादी टूट चुकी थी लेकिन ये शादी काफी हद तक सफल रही और आर डी बर्मन ने कई वर्षो तक आशा का साथ दिया।
हालांकि 80 के दशक के अंत में इन दोनों का भी तलाक हो गया, लेकिन आशा और आर डी के संबंध दोस्ताना बने रहे। जब सन 1994 में आर डी बर्मन को दिल का दौरा पड़ा तो आशा भोसले ही उन्हें लेकर अस्पताल गई थी। हालांकि उन्हें बचाया नहीं जा सका। आशा जी के बड़े बेटे का नाम हेमंत था, जिनका निधन हो चुका है। उनकी बेटी वर्षा ने 8 ऑक्टोबर 2022 को सुसाइड कर लिया था। आशा ताई के सबसे छोटे बेटे आनंद भोसले इन दिनों उनकी देखभाल कर रहे हैं।
आशा भोसले के है कई रेस्टोरेंट:
आशा भोसले जितना सुरीला गाती है, उतना ही स्वादिष्ट खाना भी बनाती उनके हाथ का बना कडाई गोस्त और बिरियानी पूरे बॉलीवुड इंडस्ट्री में फेमस है। एक बार आशा जी से पूछा गया था कि अगर वो सिंगर ना होती तो क्या करती? तब आशा ने जवाब दिया था कि एक अच्छी कुक बन कर पैसे कमाती, आशा जी अपना रेस्टोरेंट भी चलाती थी। दुबई और कुवैत में आशा नाम से उनके रेस्टोरेंट फेमस है। आने वाले सालों में आशा जी के ब्रांड के 40 रेस्टोरेंट पूरे यु के के अंदर खोलने की प्लानिंग चल रही है।
आशा भोंसले के अचीवमेंट:
इनके अचीवमेंट्स में उन्हें सात बार फ़िल्म फेयर अवार्ड, दो बार नेशनल अवार्ड, पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है। 1997 में आशा भोसले पहली भारतीय सिंगर बनी जिन्हें अवार्ड्स के लिए नॉमिनेट किया गया था।
तो दोस्तों उम्मीद है आपको ये ब्लॉग जरूर पसंद आया होगा। हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएगा। अगर आपके पास भी आशा जी से जुड़ी कोई और जानकारी हो तो वो हमसे अवश्य शेयर कीजिएगा।