हेमा सरदेसाई: 80 और 90 के दशक की मखमली आवाज वाली। एक गायिका। जिन्होंने फ़िल्मी गीतों और एल्बम में गाने के साथ साथ कई गीतों के लिरिक्स भी लिखे। महज 8 साल की उम्र में एक नवरात्रि परफॉरमेंस से अपने करियर की शुरुआत करने वाली इस सिंगर ने हिंदी फिल्मों के साथ साथ कई इंडिपॉप एल्बम में भी अपनी आवाज दी और साथ ही अक्ट भी किया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के अलावा भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह में परफॉर्म करने वाली यह एक मात्र फीमेल सिंगर है।
तो साथ ही ये जर्मनी में अंतरराष्ट्रीय पॉप सॉन्ग फेस्टिवल में ग्रैंड प्रिक्स जीतने वाली भी एकमात्र भारतीय गायिका हैं। लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि इस टैलेंटेड सिंगर ने अपने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि करियर के शुरुआत में कई लोग काम देने के बदले इनके साथ सोना चाहते थे? तो कौन है ये इंटरनेशनल फेम की सिंगर और क्यों बॉलीवुड में इन्हें सही सम्मान और पहचान नहीं मिली बताएंगे इनके बारे में और भी बहुत कुछ आप बने रहिए हमारे साथ।
नमस्कार, आज के ब्लोग में हम जीस सिंगर की बात कर रहे हैं, इनके गाने तो आपने जरूर सुने होंगे मगर इन्हें नाम से नहीं जानते होंगे। आज के इस ब्लॉग में हम चर्चा कर रहे हैं मल्टी टैलेंटेड सिंगर हेमा सरदेसाई की। आज हम इनके जीवन की वो बातें आपसे शेयर करेंगे जो शायद ही आप जानते होंगे। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं कौन है हेमा और कैसे इन्होंने अपने इस गायकी के सफर की शुरुआत की?
हेमा सरदेसाई की शुरुआती जिंदगी:
हेमा सरदेसाई का जन्म मुंबई में हुआ था, लेकिन इनका पालन पोषण गोवा के पणजी में हुआ। इनके डेट ऑफ़ बर्थ की जानकारी इंटरनेट के किसी भी प्लेटफार्म पर मौजूद नहीं है। इनके पिता का नाम डॉक्टर काशीनाथ सरदेसाई था जो गोवा की क्रिकेट टीम में कैप्टन हुआ करते थे और इनकी माँ का नाम कुमुदनी सरदेसाई था जिन्हें म्यूसिक का बहुत शौक था।
हेमा सरदेसाई की एक बड़ी बहन भी रही जो एक चार्टेड अकॉउंटेंट बनी। हेमा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई लिखाई शारदा मंदिर स्कूल से पूरी की। जब ये महज 6 साल की थी तो इनके स्कूल की टीचर मिसेस सिकेरा ने इनकी इस प्रतिभा को पहचाना और इन्हें स्कूल फंक्शन्स में गाने के मौके दिए। जब ये 8 साल की हुई तब इन्होंने अपनी पहली स्टेज परफॉरमेंस एक नवरात्रि महोत्सव के दौरान दी और यहाँ पर इनकी आवाज को लोगों ने बहुत पसंद किया और इन्हें सिंगिंग के लिए प्रोत्साहित भी किया। बचपन में इनके टीचर और दोस्त इन्हें हैप्पी गो लकी गर्ल कहकर बुलाते थे।
हेमा सरदेसाई ने अपने पहले गुरु पंडित सुधाकर करनदिकर की देखरेख में भारतीय शास्त्रीय संगीत में संगीत विशारद किया। इन्हें शास्त्रीय संगीत के साथ साथ वेस्टर्न म्यूजिक का भी बहुत शौक था। इसलिए जर्मनी में आयोजित 16th इंटरनेशनल पॉप सॉन्ग सेलेब्रेशन में इन्होंने पार्टिसिपेट किया। और बड़ी बात ये कि अपने टैलेंट के दम पर इसे जीत भी लिया। इसके साथ ही हेमा ग्रैंड पिक्स जीतने वाली एकमात्र भारतीय फीमेल सिंगर बन गई और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी भारतीय के लिए यह एक बहुत बड़ा सम्मान था। फिर क्या था उस दौरान सारे भारतीय अखबार इनके इस कारनामे से भर गए और इन्हें कई स्टेज शो और फ़िल्म से भी ऑफर मिलने लगे।
हेमा सरदेसाई की बॉलीवुड में शुरुआत:
बात करें इनके बॉलीवुड डेब्यू की तो इन्होंने पहली बार साल 1989 में आई फ़िल्म गूंज में जूही चावला के लिए अपनी आवाज दी। इसके बाद साल 1994 में आई फ़िल्म प्रेम योग के गीतों को गाया। इसके बाद इन्हें साल 1996 में आई ए बी सी एल प्रोडक्शन की पहली फ़िल्म तेरे मेरे सपने में उसका टाइटल सॉन्ग गाने का मौका मिला। लेकिन अफसोस 7 साल तक दिन रात फ़िल्म स्टूडियो के चक्कर काटने के बाद भी इन्हें अभी तक बॉलीवुड में कोई ऐसा प्रोजेक्ट नहीं मिल पाया था, जिससे इन्हें कोई मजबूत पहचान मिल सके।
इसके कारण का खुलासा इन्होंने बाद में अपने एक इंटरव्यू में किया था। जिसकी चर्चा हम आगे करेंगे। खैर अगले साल 1997 में इन्हें सपने फ़िल्म में गाये गाने आवारा भौरे से वो सफलता मिली जिसके इन्हें तलाश थी। एक्ट्रेस काजोल पर फ़िल्माया गया ये गीत उन दिनों बहुत पॉपुलर हुआ जिसके बाद इनकी कला के बारे में बात जरूर होने लगी।
इसी साल आई तीन फिल्मों के गीतों को हेमा ने अपनी आवाज दी। ये गीत थे परदेस फ़िल्म का नहीं होना था और मैं फर्स्ट डे इन यु एस ए। फ़िल्म गुप्त का टाइटल सॉन्ग और फ़िल्म आर्या पार का हॉले हॉले सॉन्ग। अगले साल 1998 में आई फ़िल्म ज़ोर में इन्होंने दो गाने गाए जिसमें से सुष्मिता सेन पर फ़िल्माया गया सॉन्ग मैं कुड़ी अंजानी हूँ। श्रोताओं के बीच बहुत ज्यादा पसंद किया। इसी साल आई फ़िल्म सोल्जर का एक गाना हम तो दिल चाहे तुम्हारा को भी इन्होंने अपनी आवाज दी।
इसके बाद साल 1999 में आई फ़िल्म बी वि नंबर वॅन के दो गीतों को इन्होंने गाया, जिसमें से एक गीत सुष्मिता सेन पर फिल्माया गया था- इश्क सोना है। तो वही दूसरा गीत करिश्मा कपूर पर पिक्चराइज किया गया था, जंगल है, आंधी रात है।
दोनों ही गीत उन दिनों बहुत पॉपुलर हुए। इसी साल इन्होंने दो और फिल्मों मन और जानम समझा करो के लिए भी गीत गाए। जिसमें उर्मिला मातोंडकर पर फ़िल्माया गया जानम समझा करो फ़िल्म का टाइटल सॉन्ग लोगों के बीच काफी पसंद किया गया। साल 2000 में इन्होंने पांच फिल्मों के गीतों को अपनी आवाज दी, जिसमें से फ़िल्म जोश का अपून बोला सॉन्ग बहुत पसंद किया गया। साल 2001 में भी इन्होंने पांच फिल्मों के लिए गीत गाए और करीना कपूर पर फ़िल्माया गया फ़िल्म अशोक का ये गीत बेहद पॉपुलर हुआ। फ़िल्म यादें का ऐली रे एली गाना भी खूब पसंद किया गया।
किसी तरह साल 2003 में आई फ़िल्म बागवां का चली चली फिर चली चली भी श्रोताओं ने बेहद पसंद किया। साल दर साल इन्होंने कई फिल्मों के गीतों को अपनी आवाज दी और ये गीत श्रोताओं द्वारा बहुत पसंद भी किए गए। जैसे फ़िल्म कयामत सिटी अंडर थ्रेट का टाइटल सॉन्ग और चक दे इंडिया का बादल पर पांव है।
अगर बात करें इनके एल्बम की तो कई एल्बम के लिए भी इन्होंने गीत गाए जैसे लव एंड डांस, सरगम आदि। लेकिन शायद ही आपको पता होगा कि इन्होंने एक एल्बम सॉन्ग में परफॉर्म भी किया था और ये उन दिनों बहुत पसंद किया गया, यह गाना था बुगी वुगी।
हेमा सरदेसाई की पर्सनल लाइफ:
इनकी पर्सनल लाइफ की तो इन्होंने जेवियर डिसूज़ा से शादी की थी, जो एक इन्वेस्टमेंट बैंकर थे और साथ ही एक नेशनल हॉकी प्लेयर भी। हालांकि इनके पति की मौत कार्डियक अरेस्ट से साल 2020 में हो गई थी।
हेमा सरदेसाई का संघर्ष:
अब बात करते हैं उस कारण की जिसके चलते इन्हें एक इंटरनेशनल फेम मिलने के बाद भी बॉलीवुड में कई साल तक स्ट्रगल करना पड़ा। और इसका खुलासा इन्होंने खुद अपने एक इंटरव्यू में किया था।
“मुझे बहुत सारे म्यूसिक डाइरेक्टर ने बताया की आप जो गलत कर रही है क्योंकि ये क्योंकि यहाँ अगर आप कॉंप्रमाइज़ नहीं करेगी तो आप कैसे आगे बढ़ेगी?”
हेमा सर देसाई ने बताया की संघर्ष के दिनों में फ़िल्म उद्योग से जुड़े कई लोग इनके साथ सोना चाहते थे। और ये जहाँ भी गई सभी ने इन्हें बुरी नजरों से ही देखा। ये बॉलीवुड के कास्टिंग काउच का एक ऐसा सच है जिससे शायद ही कोई बच सका हो। इन्होंने इंटरव्यू में कहा कि यह फ़िल्म इंडस्ट्री गिद्धों से भरी पड़ी है। यहाँ हर किसी को जिस्म की भूख है। यहाँ लोग प्रतिभा पर नहीं बल्कि उसके कॉंप्रमाइज़िंग फॅक्टर पर ध्यान देते हैं।
यहाँ सफल होने और काम पाने के लिए कई लोगों को सटिसफाई करना पड़ता है। मैं जीस स्टूडियो में गयी, वहाँ मेरे हुनर को देखने के बजाय लोगों ने मुझे गन्दी नजरों से ही देखा। यहाँ तक की मुझे उदाहरण भी दिए जाते थे की कैसे फलां फलाने कॉंप्रमाइज़ किया और उन्हें सफलता हासिल हुई। ये सब देखकर मेरा दिल भर उठता था। मगर मैंने हार नहीं मानी और संघर्ष करती रही।
हेमा सरदेसाई की उपलब्धियां:
अब बात करते हैं इनकी उपलब्धियों की तो जर्मनी वाले अवार्ड के अलावा भी इन्हें कई बड़े गौरव हासिल हुए। बताते हैं कि सुर समरागी लता मंगेशकर के अलावा भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह में परफॉर्म करने वाली यह एकमात्र महिला गायिका बनी। इन्होंने 1997 में आजादी के पचासवें वार्षिक समारोह में परफॉर्म किया था। इन्होंने अपनी खुद की रचनाओं में से एक मेरे वतन हिंदुस्तान को नई दिल्ली के विजय चौक पर गाया, जिसे लगभग 30,00,000 लोगों ने देखा और सुना। इस मौके के लिए हेमा ने खास तौर पर ये गाना लिखकर तैयार किया था।
अपने करियर के दौरान हेमा सर देसाई ने 60 से अधिक बॉलीवुड फिल्मों के लिए प्लेबैक सिंगिंग की कई सफल इंडिपॉप एल्बम जारी किये और भारत के लगभग सभी राज्यों में कई लाइव स्टेज शोज किए। साथ ही दुनिया भर के विभिन्न देशों में घूम घूम कर कई म्यूसिक कॉन्सर्ट्स में भी हिस्सा लिया। साल 2013 में इन्होंने नसीरुद्दीन शाह अभिनीत अंग्रेजी फ़िल्म ‘दी कॉफिन मेकर’ के लिए तीन कोंकड़ी गीत लिखे और गाए। यह फ़िल्म गोवा के एक गांव पर आधारित थी और आई ऐफ़ ऐफ़ आई 2013 के भारतीय पैनोरमा खंड के लिए चुनी गई।
2017 में इन्होंने मिसाल रहेजा और ग्रेमी अवार्ड विजेता ज़ेरेड ली गोसलिन के साथ प्रोजेक्ट पर काम किया और अपने गीत पावर ऑफ़ लव के साथ अमेरिका में अपनी शुरुआत की। हेमा कई सोशल कॉज में भी अक्टिव रही हैं। जैसे सेव दी गर्ल चाइल्ड वीमेन एम्पावरमेंट, ऐंटीसिस इको फ्रेंडली गणेश आइडल्स आदि।
तो ये थी कहानी उस इंटरनेशनल फेम सिंगर की, जिन्होंने भारत के बाहर तो देश को गौरववान्वित किया, लेकिन बॉलीवुड में इन्हें सही सम्मान और गौरव नहीं मिल सका। दोस्तों आपको क्या लगता हैं, किस वजह से ये बोलीवुड में सफल नहीं हो सके। कमेंट करके जरूर बताएगा। आपको इनका कौन सा गाना पसंद है वो भी लिख डालिएगा, तो फिलहाल मुझे दीजिए इजाज़त नमस्कार।