Balaji Wafers Inspiring Journey: 4000 करोड़ की कंपनी खड़ी करने वाले एक किसान की कहानी – ChanduBhai Virani.

Balaji Wafers
Balaji Wafers

हेलो दोस्तों हमारे ब्लॉग yo1yowin.com पर आपका स्वागत है | आज हम इस ब्लॉग में जानेंगे की कैसे एक मध्यम परिवार में जन्मे चंदू भाई ने बालाजी Balaji Wafers का साम्राज्य खड़ा कर दिया | हम इस ब्लॉग में चंदू भाई और उनके परिवार के सदस्यों की संघर्ष भरी कुछ अनकही बातें जाने की जानेंगे |

Balaji Wafers Company Detail

TypePrivate Limited
FounderChandubhai Virani
Founded1947
Traded asBalaji Wafers Pvt. Ltd.
IndustryFood Product
ProductsPotato chips, Namkeen
HeadquartersRajkot, Gujarat, India
Key PeopleBhikhubhai Virani
Chandubhai Virani
KanuBhai Virani
Keyur Virani
Mihir Virani
Pranay Virani
Shyam Virani
Revenue4000 crore
(US$500 million) (2021)
Number of EMPLOYEES5000 Approximately
Websitebalajiwafers.com

early life ( शुरुआती जीवन )

चंदू भाई विरानी का जन्म 31 जनवरी 1957 में हुआ था | चंदू भाई के पिताजी का नाम पोपट भाई रामजी भाई विरानी था | पोपट भाई के तीन बेटे थे और वह जामनगर के धोराजी गांव में रहते थे और उनके पिताजी और बेटे खेती का काम करते थे | लेकिन एक बार वहा अकाल आया और खराब मौसम की वजह से खेती खेती में कुछ आमदनी हो नहीं रही थी तो उनके पिताजी को लगा कि खेती में कुछ बचा नहीं है तो खेती की जमीन को बेचकर कुछ और व्यवसाय करते हैं |

1972 में उन्होंने अपनी जमीन को ₹20,000 में बेच दिया, जो कि उस जमाने में यह ₹20,000 बहुत बड़ी रकम मानी जाती थी | तो यह रकम से उन्होंने खेती के साधनों और खाद-बीज का व्यवसाय शुरू किया चंदू भाई के पिता जी को व्यवसाय का ज्ञान नहीं था इसलिए व्यवसाय में उनको घाटा हुआ और सारा पैसा बर्बाद हो गया | अब उनके पास ना तो जमीन थी और ना ही पैसा और वहां से उनका मुश्किल दौर शुरू हुआ |

चंदू भाई की संघर्ष से लेकर सफलता की कहानी

धोराजी में उनके पास कुछ करने को था नहीं तो चंदू भाई और उसका परिवार गुजरात के राजकोट शहर में आ गए | तब चंदू भाई की उम्र तकरीबन 15 साल की होगी | चंदू भाई और उनके दोनों भाई राजकोट में काम की तलाश में लग गए | और एक भाई ने कॉलेज में खाने की कैंटीन शुरू की लेकिन वह चल नहीं पाई | चंदू भाई काम की तलाश कर रहे थे तभी उनको राजकोट में एस्ट्रोन नाम का सिनेमा था वहां उनको गेटकीपर की नौकरी मिल गई और वहां से ही चंदू भाई की किस्मत बदलने वाली थी जो की चंदूभाई को पता नहीं था |

चंदू भाई थिएटर में गेटकीपिंग का काम पूरी मेहनत और लगन से करते थे और उस थिएटर का मालिक चंदू भाई को जो भी छोटे-मोटे काम देते थे, वह भी चंदू भाई पूरी लगन से करते थे, जैसे कि पोस्टर चिपकाना टिकट चेक करना वगैरा-वगैरा वह किसी काम को मना नहीं करते थे और पूरी मेहनत से काम करते थे | चंदू भाई की उनके काम के प्रति लगन को देखकर उस थिएटर के मालिक ने चंदू भाई को कैंटीन को संभालने का काम सौंप दिया |

चंदू भाई ने कैंटीन में सबसे पहले मसाला सैंडविच बनाकर बेचना शुरू किया | वह घर से मसाला सैंडविच बनाकर लाते थे और फिल्म के इंटरवल में बेचा करते थे | फिल्म को देखने आए दर्शकों को मसाला सैंडविच का स्वाद अच्छा लगता था चंदू भाई को थोड़ा बहुत मुनाफा भी होता था, लेकिन कई बार चंदू भाई जितनी सैंडविच बनाकर लाते थे वह पूरी बिकती बिकती नहीं थी, इसलिए कभी कबार मुनाफा नहीं होता था |

चंदू भाई को सैंडविच बेचने का काम बहुत सही नहीं लगा इसलिए उन्होंने वेफर्स बेचना शुरू किया | चंदू भाई बाहर से वेंडर की मदद से वेफर्स मंगवाते थे और कैंटीन में बेचा करते थे |

लेकिन उस में दिक्कत यह आती थी कि चंदू भाई ये वेफर्स फिल्म के इंटरवल में बेचा करते थे तो कभी कभार जो वेंडर वेफर्स लाते थे वह फिल्म के इंटरवल में टाइम पर वेफर्स को पहुंचाते नहीं थे | इसीलिए चंदू भाई ने खुद ही अपने हाथों से वेफर्स को बनाने का सोचा तो चंदू भाई ने एक जगह किराए पर ली और अपने हाथों से वेफर्स को बनाकर कैंटीन में बेचने लगे जोकि चंदू भाई खुद अपने हाथों से वेफर्स को बनाते थे इसलिए वेफर्स की क्वालिटी बहुत अच्छी थी तो कैंटीन में वेफर्स हाथों हाथ बिक जाती थी, इससे चंदू भाई को अच्छा खासा मुनाफा होने लगा |

अब धीरे-धीरे चंदू भाई जो वेफर्स बनाते थे , उसकी पॉपुलरिटी बढ़ने लगी और उसके साथ साथ डिमांड भी बढ़ने लगी पर चंदू भाई अकेले ही वेफर्स बनाते थे, तो वह ज्यादा वेफर्स बना नहीं पाते थे, इसलिए चंदू भाई ने अपने भाई और अपने परिवार की औरतों को वेफर्स बनाने को बोला | पहले पहले चंदू भाई के परिवार वालों से वेफर्स अच्छी नहीं बनती थी पर फिर भी चंदू भाई ने परिवार वालों को बोला कि भले ही वेफर्स खराब हो जाये परंतु तुम सीखो, और धीरे-धीरे चंदू भाई के परिवार वालों को भी अच्छी वेफर्स बनानी आ गई |

चंदू भाई अब वेफर्स नहीं बनाते थे, वह सिर्फ देखरेख ही करते थे, तो चंदू भाई हैं ने सोचा की व्यापार को बढ़ाया जाए तो उन्होंने आसपास के 3, 4 सिनेमा हॉल के कैंटीन में और आसपास की दुकानों में साइकिल पर जाकर वेफर्स बेचने लगे | अब धीरे-धीरे चंदू भाई की वेफर्स की डिमांड बढ़ने लगी थी और इस डिमांड को उनके परिवार वाले पूरा नहीं कर पाते थे, इसलिए चंदू भाई ने वेफर्स को बनाने की मशीन लेने के बारे में सोचा, जब चंदू भाई मशीन देखने गए तो वेफर्स बनाने की मशीन बहुत ही महंगी थी, इसलिए चंदू भाई ने मशीन को देखकर उनके जैसे मशीन पार्ट्स बाजार से खरीदे और खुद ही मशीन को बना डाला |

Balaji Wafers

एक इनकी फिलोसोफी है और आप नोट कर लो, “उन्होंने कहा की मशीन की इन्वेस्टमेंट सबसे सबसे अच्छी इन्वेस्टमेंट होती है, एक बार पैसा लगा लो और मशीन बिना रुके बिना थके 24 घंटे काम करती हैं.”

BALAJI WAFERS का साम्राज्य

चंदू भाई के Balaji Wafers का व्यापार तेजी से बढ़ रहा था तो चंदू भाई ने धीरे-धीरे पूरे गुजरात को कवर किया, आज गुजरात में Balaji Wafers का 90% मार्किट शेयर उनके हाथों में है, हर 100 मीटर की दुरी पर आपको Balaji Wafers का प्रोडक्ट मिल जाएगा | इसके बाद उसके अडके राजस्थान था वहां गए, अड़के महाराष्ट्र था वहां गए , गोवा गए, मध्यप्रदेश में गए, चारों स्टेट में 70% से ज्यादा का कब्जा कर लिया | पांच राज्यों में तो उनकी लीडरशिप है, और बाकी के राज्यों हैं मैं वह अपनी लीडरशिप को धीरे-धीरे बढ़ा रहे हैं |

Balaji Wafers

BALAJI WAFERS के ऊपर कोर्ट केस !

Balaji wafers की इतनी तेजी से ग्रोथ हो रही थी, इसलिए Pepsi को Balaji wafers से जलन हो रही थी, इसलिए Pepsico ने Balaji wafers पर Pepsi के पैकेजिंग प्रोडक्ट को कॉपी करने का केस कर दिया | और हो सकता है कि Balaji wafers ने Pepsi के पैकेजिंग प्रोडक्ट को कॉपी की भी हो, इसलिए मुंबई हाई कोर्ट ने Pepsi के फेवर में फैसला सुना दिया, इसलिए Balaji wafers को अपनी पैकेजिंग प्रोडक्ट की डिजाइन को बदलना पड़ा, लेकिन Balaji wafers को अपनी पैकेजिंग डिजाइन को बदलने से कुछ फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि Balaji wafers का नाम अब एक ब्रांड बन चुका था |

Balaji Wafers VS PEPSICO

BALAJI WAFERS की केपीसीटी और प्रोडक्ट

चंदू भाई अपने बिजनेस को तेजी से बढ़ा रहे थे, चंदू भाई ने सिर्फ वेफर्स ही नहीं उन्होंने नमकीन बनानी शुरू कर दी | आज चंदू भाई के 24 से भी ज्यादा नमकीन के प्रोडक्ट और Balaji Wafers में भी 14 तरह की वैरायटी बनाते हैं और भी अलग-अलग तरह के Balaji Wafers प्रोडक्ट बना रहे हैं |

इसके अलावा चंदू भाई वेस्टर्न नमकीन के भी 14 तरीके के प्रोडक्ट बनाते हैं, और आज 50 से भी ज्यादा नमकीन के प्रोडक्ट उपलब्ध है बालाजी के बाजार में | दूसरी कंपनियां जो ऐसे पोस्ट प्रोडक्ट बनाती थी, चंदू भाई ने उससे ज्यादा अच्छी क्वालिटी के Balaji Wafers प्रोडक्ट बनाए, चंदू भाई क्वालिटी और क्वांटिटी में कंप्रोमाइज नहीं करते थे इसीलिए इनके प्रोडक्ट की डिमांड हमेशा बढ़ती रहती थी |

आज की तारीख में 8,00,000 किलो वेफर्स और 10,00,000 किलो नमकीन के Balaji Wafers प्रोडक्ट बनाने की क्षमता बालाजी कंपनी के पास है | Balaji Wafers के चार प्लांट है, तीन गुजरात में है, एक इंदौर में है, और एक उत्तर प्रदेश में बना रहे हैं | चंदू भाई दूसरे ओर राज्यो में भी Balaji Wafers के प्लांट बनाने के बारे में सोच रहे है |

चंदू भाई कहते हैं कि, प्रॉफिट से बिजनेस नहीं आता, बिजनेस प्रॉफिट आता है, इसलिए तुम क्वालिटी अच्छी दो, प्राइस अच्छा रखो, तो प्रॉफिट तो अपने आप ही बन जाएगा | तो भाई यह थी कहानी चंदू भाई के बालाजी वेफर्स को संघर्ष से लेकर शिखर तक पहुंचाने की |

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