सुदेश भोसले:1990 के दशक में हिंदी फिल्मों में अपनी गायकी का आगाज़ करने वाले एक जाने माने सिंगर जिन्होंने सुरों के संगम से भारतीय सिनेमा प्रेमियों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई। ये किशोर कुमार के बाद फिल्मों में अमिताभ बच्चन की आवाज बने और अगले कई दशक तक महानायक के लिए दर्जनों हिट गाने गाकर एक मिसाल कायम की । ये संगीत की दुनिया में उन गिने चुने सितारों में शामिल रहे जिन्होंने बिना संगीत सीखे ही सबको अपनी गायकी के नशे में सराबोर कर दिया।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये प्लेबैक सिंगर होने के साथ साथ मिमिक्री की कला में भी माहिर रहे और अपने इस अद्भुत टैलेंट से भी खूब शोहरत कमाई। इन्होंने कई फिल्मों में संजीव कुमार, अनिल कपूर सहित दर्जनों ऐक्टर्स की आवाज में हुबहु ऐसी डबिंग कर डाली कि सुनने वाले फर्क ही नहीं कर।क्या आपको पता है की ज्यादातर लोग इन्हें आशा भोसले जी का बेटा समझते थे और वास्तव में आशा जी ने ही इन्हें फिल्मों में ब्रेक दिलवाया था। क्या आप मानेंगे कि इन्होंने लता मंगेशकर और आशा भोसले जैसी दिग्गज गायिकाओं के साथ सैकड़ों लाइव कॉन्सर्ट किए।
अमिताभ बच्चन इन्हें बेहद मानते थे और जया बच्चन ने तो एक बार इनकी आवाज से खुश होकर इन्हें ₹100 का इनाम भी दिया था। और क्या आप यकीन करेंगे कि अमिताभ बच्चन की मिमिक्री करना ही इनको इस कदर भारी पड़ गया कि ये लंबे समय तक डिप्रेशन में चले गए थे। तो कौन है ये मल्टी टैलेंटेड, मैजिकल आर्टिस्ट और क्यों इतनी वेर्सेटाइल आवाज और ढेर सारी कलाएं होने के बावजूद इन्हें फ़िल्म इंडस्ट्री में सही पहचान नहीं मिल पाई है । तो आज हम आपको इनकी काबिलियत और कला के हर पहलू से रूबरू कराएँगे। आप बने रहिये हमारे साथ।
नमस्कार दोस्तों हम बात कर रहे है जाने माने प्लेबैक सिंगर सुदेश भोसले की जो की एक बहुत अच्छे मिमिक्री आर्टिस्ट भी है। दोस्तों सुदेश भोसले किसी पहचान के मोहताज नहीं है। ये टैलेंट का वो खजाना है जिन्होंने न सिर्फ तमाम गानों को सुरों में पिरोया बल्कि कई दिग्गजों के लिए फिल्मों में डबिंग भी की। आगे हम आपको ये भी बताएंगे की कैसे आर डी बर्मन ने इनकी आवाज को अपने पिता एस डी बर्मन की आवाज समझ लिया था।
तो चलिए सबसे पहले बताते हैं इनके फैम्ली बैकग्राउंड और अर्ली लाइफ के बारे में।
Attribute | Details |
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Born | 1 July 1960 (age 63 years), Mumbai |
Spouse | Hema Bhosle |
Parents | Sumantai Bhonsle, N.R. Bhonsle |
Children | Siddhant Bhonsle, Shruti Bhonsle |
सुदेश भोसले के गाने की शरूआत कैसे हुई:
सुदेश भोसले का जन्म 1 जुलाई 1960 को महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में हुआ था। ये शिरोडा का एक कोंकणी भाशी परिवार था। सुदेश की मम्मी का नाम सुमंतई भोसले था जो अपने दौड़ की एक क्लासिकल सिंगर थी। तो वही इनकी नानी दुर्गा बाई शिरोड कर भी शास्त्रीय गायन के लिए मशहूर रहे। सुदेश के पापा का नाम एन आर भोसले था जो फ़िल्म इंडस्ट्री में एन आर पैंटर के नाम से मशहूर थे। सुदेश के पापा फिल्मों में पोस्टर पैंट करने का काम किया करते थे तो 1974 से 1984 तक सुदेश ने भी अपने पापा के साथ पोस्टर पैंट करने का ही काम किया।
साथ ही सुदेश अपनी पढ़ाई भी करते रहे और मुंबई के अम्बेडकर कॉलेज वडाला से ग्रेजुएशन पूरा किया। माँ और नानी की गायकी का असर भी सुदेश की जिंदगी में भरपूर रंग जमाता गया और कम उम्र से ही इनकी सिंगिंग सबको अट्रैक्ट करने लगी। गायकी में दिलोदिमाग बसे होने की वजह से इन्हें मेलोडी मेकर ओर्केस्ट्रा ग्रुप में शामिल होने का मौका मिल गया क्योंकि इनके टैलेंट को उस ग्रुप ने पहचान लिया था। इस ऑर्केस्ट्रा के साथ सुदेश धीरे धीरे बड़े शोज करने लगे।
यही साल 1986 में क्षणमुखानंद हॉल में इस ऑर्केस्ट्रा के एक प्रोग्राम को सुनने के लिए दिग्गज गायिका आशा भोसले आई इस शो में सुदेश ने कई बॉलीवुड कलाकारों की मिमिक्री की और कई गाने भी गाए। जब शो खत्म हुआ तो आशा भोसले जी ने शो ऑर्गेनाइजर से कहा कि वो सुदेश से मिलना चाहती है क्योंकि यहाँ पर जो सुदेश ने गाने गाए थे, खासकर एस डी बर्मन साहब के और हेमंत कुमार साहब के वो गाने आशा जी को बेहद पसंद आए थे। कुछ दिनों बाद आशा भोसले से एक स्टूडियो में सुदेश की मुलाकात हुई और उन्होंने एस डी बर्मन का गाना डोली में बिठाई के कहार इनसे सुनाने को कहा।
और सुनने के बाद बेहद भावुक हो गई। उन्होंने सुदेश से उसी गाने को एक कैसेट में रिकॉर्ड करके लिया और चली गई। इसके अगले ही दिन सुबह 7:00 बजे सुदेश के पास आर डी बर्मन के ऑफिस से फ़ोन आया की पासपोर्ट लेकर मिलो। जब सुदेश पहुंचे तो वहाँ आर डी बर्मन, आशा जी, मन्ना डे साहब सब बैठे हुए थे। आशा जी ने इनका परिचय कराया तो पंचमदा बोले मेरे बाप की आवाज में गाते हो और सबने लगे।
उन्होंने सुदेश को बताया की जब वो नहा रहे थे तो आशा जी ने चुपके से उनका गाया हुआ कैसेट प्ले कर दिया था और इसके बाद बाथरूम से घबरा कर आर डी बर्मन साहब बाहर चले आए क्योंकि उन्हें ऐसा लगा कि बिना म्यूसिक के उनके पिता की तरह कौन गा रहा है। क्या उनके पिता बाथरूम के बाहर खड़े होकर गा रहे हैं? क्योंकि सुदेश जी की आवाज हू बहु एस डी बर्मन साहब से मिल रही थी। इस पहली मुलाकात के बाद आशा भोसले और आर डी बर्मन नाइट में सुदेश को हिस्सा लेने का मौका मिला और ये सबके साथ होंग कॉन्ग गए।
वहाँ इन्होंने जब किशोर कुमार का गाया गीत सुन मेरे बंधूरे गाया तो पंचम दा ने खुशी से इन्हें गले लगा लिया। इसे लाइव कॉन्सर्ट से लौटने के बाद आर डी बर्मन ने सुदेश को अपनी फ़िल्म जलजला में गाने का पहला मौका दिया। है। इसके बाद अमिताभ बच्चन की फ़िल्म इंद्रजीत का गाना जब तक जामे है जा तब तक रहे जवां सुदेश नहीं गया। संजीव कुमार के फ़िल्म प्रोफेसर की पड़ोसिन में इन्हें अपना कुछ अलग हटकर हुनर दिखाने का भी मौका मिला। इस तरह सुदेश भोसले ने पंचमदा के लिए 8-10 गाने गाए।
लेकिन फिर सुदेश भोसले अमिताभ बच्चन की आवाज कैसे बन गए तो सुदेश ने खुद इस बारे में बताया था कि अजूबा फ़िल्म के निर्माता शशि कपूर ने इन्हें अमिताभ की आवाज की कॉपी करते सुना था। और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल से कहा कि फ़िल्म अजूबा में अमिताभ के गाने इसी लड़के से गंवाते हैं। इसी फ़िल्म का एक गाना ओह मेरा जाने बाहर आ गया भी सुदेश से गंवाया गया और अमित जी को सुनाया गया लेकिन इसे सुनकर वह परेशान हो गए कि उन्होंने तो यह गाना गाया ही नहीं।
इसके बाद शशि कपूर ने सुदेश की मुलाकात अमिताभ बच्चन से कराई और अमिताभ बच्चन ने इनसे बेहद खुशी के साथ मुलाकात करने के बाद यह कहा कि आपकी हमारी आवाज है तो बिल्कुल मिलती जुलती है। पता ही नहीं चलेगा कि गाना किसने गाया है। इसी के बाद इन दोनों की जोड़ी ऐसी जमी की कमाल ही हो गया। फिर लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी के दिमाग में आया कि कुछ नया प्रयोग करते हैं और फिर हम फ़िल्म का गाना जुम्मा चुम्मा बनाया और सुदेश भोसले की आवाज देश भर में छा गई।
कई मशहूर अभिनेता के लिए सुदेश भोसले ने अपनी आवाज दी:
फ़िल्म एक्सपर्ट्स मानते हैं कि 80 के दशक के अंत का समय अमिताभ बच्चन के लिए बुरा था, लेकिन सुदेश द्वारा गाया हुआ यह गाना अमिताभ के करियर के लिए वरदान साबित। ये गाना एक ब्लॉक बस्टर हिट रहा और बिग बी वापस सुर्खियों में आ गए। कहते हैं कि इसी गाने के बाद अमिताभ ने कहा था कि वो अब खुद से सिंगिंग नहीं करेंगे। यहाँ तक की 1997 की फ़िल्म मृत्युदाता का गाना नाना नाना नारे उन्हें गाना था लेकिन उन्हें अपना वर्शन पसंद नहीं आया। तब फ़िल्म की टीम ने सुदेश भोसले से प्लेबैक सिंगिंग के लिए संपर्क किया।
सुदेश बताते हैं कि जुम्मन चुम्मा की सफलता के बाद जब भी वो कोई गाना अमिताभ के लिए रिकॉर्ड करते थे तो उस दौरान बच्चन साहब स्टूडियो में मौजूद रहते थे। यहाँ तक कि कभी खुशी कभी गम के गाने शावा शावा के रिकॉर्डिंग के दौरान वो रात 12:00 बजे स्टूडियो पहुंचे थे और म्यूसिक डाइरेक्टर का चार्ज लेते हुए सुदेश की हेल्प की और रिकॉर्डिंग पूरी करवाई।
सुदेश ने एक इंटरव्यू में बताया था की मुझे याद है फ़िल्म बागवान के गाने मेरी मखणा के रिकॉर्डिंग के दौरान अमिताभ, जया जी और अभिषेक सभी स्टूडियो आए थे। अमिताभ के लिए प्लेबैक करते हुए मुझे सुनने के बाद जया जी इतनी खुश हो गई कि उन्होंने मुझे ₹100 आशीर्वाद के तौर पर दिए। इसके अलावा अभिषेक ने मुझे ये कहा कि उनके पिता की आवाज में गाया ये सबसे बेहतरीन गाना है।
यानी एक तरफ सुदेश अमिताभ बच्चन की फिल्मों के हिट आवाज बन गए और उनके लिए एक से बढ़कर एक गाने गाए। तो वही इसके अलावा भी सुदेश ने कई टॉप मोस्ट दूसरे ऐक्टर्स के लिए भी अपनी आवाज दी जैसे दिग्गज अभिनेता राजकुमार के लिए भी उन्हीं के स्टाइल में कई गाने गाए। सौदागर फ़िल्म का ये गीत सुपरहिट साबित हुआ और बच्चे बच्चे की जुबान पर चढ़ गया तो वही फ़िल्म तिरंगा में नाना पाटेकर और राजकुमार पर फ़िल्माया गया गीत पीले पीले ओह मेरे राजा देखकर ऐसा लगता है की राजकुमार साहब खुद गा रहे हैं।
चुलबुले ऐक्टर गोविंदा के लिए भी जब सुदेश ने प्लेबैक सिंगिंग की तो उसमें भी वही चुलबुला पर नजर आया। तेरे मिथुन चक्रवर्ती के लिए भी इन्होंने जो गाने गाए वो बिल्कुल उन पर फिट बैठ रहे थे। सुदेश भोसले ने अनुपम खेर के लिए भी फ़िल्म श्रीमान आशिक में गाना गाया जो बिलकुल उनकी आवाज़ में ही गाया हुआ लगता है। ये कादर खान की भी आवाज बने और उनके जैसे हरफनमौला कलाकार को भी अपनी गायकी से हैरान कर दिया।
सुदेश भोसले सिंगर होने के साथ मिमिक्री आर्टिस्ट भी है और कैसे डिप्रेशन का शिकार हुए :
इस तरह सुदेश की आवाज के साथ खूब सारे एक्स्पेरमेन्ट हुए और सभी में इन्होंने कमाल की गाय की दिखाई सिंगर होने के साथ साथ सुदेश एक बहुत अच्छे मिमिक्री आर्टिस्ट भी रहे और कई बार तो ये इस तरह से कलाकारों की आवाज निकालते थे की सुनने वालों को यकीन ही नहीं होता था कि कोई इतनी परफेक्ट तरीके से कॉपी कैसे कर सकता है। अशोक कुमार, अमिताभ बच्चन से लेकर संजीव कुमार, अनिल कपूर, मिथुन चक्रवर्ती और विनोद खन्ना सहित कई बॉलीवुड सितारों की शानदार मिमिक्री सुदेश भोसले ने बेहतरीन अंदाज में की तो वही कई फिल्मों में इनके डबिंग भी की।
बताया जाता हैं की साल 1993 में फ़िल्म प्रोफेसर की पड़ोसन को पूरा करने से पहले संजीव कुमार की डेथ हो गई थी, जिसके बाद सुदेश भोसले ने ही संजीव कुमार की आवाज में डबिंग की और इस फ़िल्म को पूरा किया गया। लेकिन सुदेश ने एक बार बताया था कि अपनी इसी मिमिक्री की वजह से ये एक बार डिप्रेशन में चले गए थे। हुआ यूं कि जुम्मा चुम्मा गाना हिट होने के बाद सुदेश के पास सिर्फ अमिताभ बच्चन की आवाज में ही काम करने के ऑफर्स आने लगे। जिससे इनके पास काम की कमी हो गयी।
सुदेश तो कई ऐक्टर्स की आवाज की नकल कर लेते थे, लेकिन तब इनसे बाकी किसी और स्टार के लिए डबिंग या सिंगिंग के काम कराने में किसी को कोई दिलचस्पी ही नहीं रही थी और इन्हें बस अमिताभ बच्चन की आवाज मान लिया गया था। यही वजह रही कि सुदेश ने तब कई बार रिजेक्शन का सामना भी किया और बेहद तनाव में भी रहे। हालत ये हो गई कि ये मिमिक्री करने की अपनी इस काबिलियत से ही नफरत करने लगे। हालांकि कुछ समय बाद सुदेश को कुछ ठीक ठाक ऑफर मिले और यह इस हालात से बाहर निकले।
सुदेश ने अपने करियर में सैकड़ों फिल्मों में गाने गाए, इनमें कुछ खास फिल्मों रही त्रिमूर्ति, अग्निपथ, डर, आंखें, क्रांतिवीर दिली तो है करण अर्जुन तहल का इसके अलावा फ़िल्म आर्या पार और बड़े मियां छोटे मिया में भी इनके गाने सुनाई दिए। अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों और कोहराम के लिए भी सुदेश ने गाने गाए। दीवाना में दीवाना, गोलमाल थ्री और हाउसफुल फोर फिल्मों में भी इनकी आवाज सुनने को मिली। फ़िल्म शमशीरा में आखिरी बार सुदेश ने गाना गाया और फिर कोई बड़ी फ़िल्म इनके हिस्से नहीं आई।
साल 2006 में सुदेश ने राजकुमार संतोषी डायरेक्टर फ़िल्म फैम्ली में अमिताभ बच्चन के लिए मिमिक्री की जिसमें इनके टैलेंट का एक और बेहतरीन नमूना देखने को मिला तो साथ ही साल 2008 की एनिमेटेड फ़िल्म घटोत्कच में भी इन्होंने गाने गाए। हालांकि अपने करियर में आगे चलकर सुदेश प्रोडूसर भी बन गए थे और सोनी टेलीविजन पर किशोर कुमार नामित एक टी वि शो के फॉर किशोर का प्रोडक्शन भी किया था, जो सफल रहा। बता दें कि ये 2007-2008 में प्रसारित होने वाला एक सिंगिंग कॉन्टेस्ट था जिसमें सुदेश जज की भी भूमिका में नजर आए थे।
सुदेश भोसले कई अवार्ड से भी सम्मानित किया और क्या बोले इंटरव्यू में:
सुदेश को मिले सम्मानों की बात करें तो साल 2008 में कोलकाता में आयोजित संगीत कार्यक्रम में इनको बॉलीवुड में महत्वपूर्ण योगदान के लिए मदर टेरेसा मिलेनियम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा भी इन्हें कई और अवार्ड मिले।
सुदेश भोसले से एक इंटरव्यू में सवाल पूछा गया कि मौजूदा पीढ़ी के संगीतकारों में आपने म्यूसिक कम्पोजर सोहेल सेन और मिथुन के साथ फिल्मों में गाने गाए हैं तो आपको बीते हुए दौर और आज के समय के म्यूसिक कॉम्पिटिशन में क्या फर्क लगता हैं? इस पर सुदेश ने कहा था की पहले संगीतकार घर पर बुलाते थे, गाने समझाते थे। किसके लिए गा रहे हैं, ये भी समझाते थे। गाने की सिचुएशन बताते थे। फ़िल्म में किस मूड में ये गाना गाना है? टोन क्या रखनी है सब बताते थे, लेकिन अब तो संगीतकार रिकॉर्डिंग तक पर नहीं आते है।
उनके संयोजक ही सब काम देख लेते है। ना ये पता होता है की किसके लिए गा रहे है और ना यही पता होता है की फ़िल्म में ये गाना क्यों गाया जा रहा है। अब तो सब मशीन है, आत्मा मर चुकी है।
वही अपने एक और इंटरव्यू में सुदेश ने बताया था कि 1990 के दशक में गानों की रिकॉर्डिंग होने में 2 दिन तक लग जाते थे। जुम्मा चुम्मा दे दे गाने के रिकॉर्डिंग सुबह 9:00 बजे से शुरू हुई थी जो दूसरे दिन रात के लगभग 2:00 बजे खत्म हुई थी। पर अब तो ये कुछ घंटे में ही निपटा दिए जाते हैं।
सुदेश भोसले की पर्सनल लाइफ और गाना गाने के अलावा कई शो में काम भी किया :
सुदेश भोसले की पर्सनल लाइफ की बात करें तो इन्होंने हेमा नाम की लड़की से शादी की, जिससे इनके दो बच्चे पैदा हुए। बेटा सिद्धांत और बेटी श्रुति। इनके बेटे सिद्धांत ने भी पापा की तरह सिंगिंग फील्ड में ही अपने करियर की शुरुआत की है। हाल फिलहाल की बात करे तो साल 2021 में सुदेश भोसले का एक एल्बम रिलीज़ हुआ था। भगवान मेरे भगवान जिसमे और भी कई सिंगर्स ने आवाज़ दी थी। साल 2022 में सुदेश सोनी टी वि के फेमस कार्यक्रम दी।
कपिल शर्मा शो में भी नजर आई जहाँ इनके साथ भजन सम्राट अनूप जलोटा और लिजेंड्री सिंगर शैलेन्द्र सिंह भी बतौर गेस्ट पहुंचे थे और सब ने पुरानी यादों को शेयर कर खूब मस्ती। तो वही ये एक बार सिंगर उषा उथुप के साथ भी इसी शो में नजर आए जहाँ अपनी मिमिक्री और गायकी से सबको खूब एंटरटेन किया। सुदेश भोसले ने सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स के भी एक एपिसोड में शिरकत की थी और इसी तरह के कई और शो में भी नजर आए।
दोस्तों सुदेश भोसले ने लता मंगेशकर और आशा भोसले जैसी लीजेंडरी सिंगर्स के साथ भी ढेरों लाइव शोज किए स्वर्कोकिला स्वर्गीय लता मंगेशकर के साथ तो सुदेश ने दुनिया भर में दर्जनों शोज में अपनी परफॉरमेंस दी। और आशा भोसले तो इन्हें बेहद पसंद करती थी क्योंकि ये उन्हीं की खोज थे। 1986 से जो आशा जी के साथ मंच पर परफॉरमेंस का इनका सिलसिला शुरू हुआ तो दर्शकों तक चलता रहा।
सुदेश भोसले बॉलीवुड के बड़े सिंगर्स में अपना नाम दर्ज क्यों नहीं करवा पाए?
अब आप सोच रहे होंगे कि इतना टैलेंट होने के बावजूद सुदेश भोसले बॉलीवुड के बड़े सिंगर्स में अपना नाम दर्ज क्यों नहीं करवा पाए? तो एक्सपर्ट्स का मानना है कि सुदेश ने सभी ऐक्टर्स के हिसाब से अपनी आवाज को बदल लिया और हर गाने में इनकी अलग ही आवाज सुनने को मिलती थी। फिर ऐसे में इनकी कोई एक वौइस् या एक स्टाइल डेवलॅप नहीं हो पाया, बल्कि इनका ये स्टाइल ही इनके लिए एक तरह से घातक साबित हुआ।
आप खुद ध्यान से इनके कुछ गानों को सुनिए तो आप पाएंगे कि हर एक्टर के लिए गाए गए इनके गानों में इनकी आवाज बिल्कुल अलग साउंड करती है, जिसे किसी के लिए भी पहचानना मुश्किल है। फिर ऐसे में अपना एक फन बेस तैयार करना और ऑडिएंस के बीच अपील करना वाकई मुश्किल रहा। हालांकि इसके अलावा और भी फॅक्टर्स रहे होंगे जिनसे इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन इनकी आवाज का वार्सटाइल होना इनके लिए खतरनाक साबित जरूर हो। खैर आज भी सुदेश ढेरों लाइव कॉन्सर्ट में गाने गाते हैं और कई दूसरे फिल्मी शोज में भी नजर आते रहते हैं।
अपने लाइव शोज में कई सारे फ्रेश सांग्स गाने के अलावा पुराने गानों को भी ये गाना पसंद करते हैं। ये किशोर कुमार, मोहम्मद रफ़ी और मुकेश जैसे लिजेंड्री सिंगर्स के गानों पर भी लाइव परफॉरमेंस देते हैं। फ़िल्म इंडस्ट्री में काम करते हुए इन्हें लगभग 40 साल हो चूके हैं। ये 63 साल के हो चूके हैं और अभी भी बेहद अक्टिव रहते हैं और अपने सिंगिंग के पैशन को पूरे जोशो खरोश के साथ फॉलो करते हैं। किंग ऑफ़ मिमिक के टाइटल से नवाजे गए सुदेश में आज भी वही एनर्जी और हाजिर जवाबी देखने को मिलती है जिसे इनके फैन खूब पसंद करते हैं।
ये मुंबई में अपनी फैम्ली के साथ रहते हैं और इनके पास बी एम डब्ल्यू कार भी देखी गई है। सुदेश इसी तरह अपनी गायकी मिमिक्री और जिंदगी को एन्जॉय करते रहे और अपने चाहने वालों को एंटरटेन करते रहे।
क्या लगता है सुदेश भोसले जी को जो सफलता मिलनी चाहिए थी वो क्यों नहीं मिल सकी? कमेंट सेक्शन में लिख कर जरूर बताएगा नमस्कार।