बेगम पारा पाकिस्तान से आई और बी टाउन पर छा गई दिलीप कुमार की यह रिश्तेदार और अमेरिकी सैनिक इनकी फोटो जेब में रखकर जंग लड़ते थे। Begum Para Biography.

बेगम पारा : गुजरे जमाने की दिग्गज अभिनेत्री जिसने अपनी अदाकारी से लंबे समय तक दर्शकों के दिलों पे राज़ किया।  वो जितनी चुलबुली थी, उतनी ही खूबसूरत अदाकारी तो उनके रग रग में बसा हुआ था जैसे वह परदे पर आती थी तो एक चमक सी बिखेर देती थी।   बात चाहे निजी जिंदगी की हो या फिर करियर की, वो हर भूमिका में अव्वल रही। उन्होंने अपने बोल्ड किरदार से इंडस्ट्री में एक अलग ही स्थान बनाई थी।  ये ऐसी अभिनेत्री थी, इसलिए 40 से 50 के दशक में इतनी सारी ब्लॉकबस्टर मूवीज़ दी कि लोग घर घर उनकी फिल्मों को देखना ज्यादा पसंद करते थे।

ये दास्ता है इस अभिनेत्री की जिसके दीवाने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मिलते थे। लोगों में उनकी दीवानगी इस तरह थी अमेरिकी सैनिक अपनी जेब में उस एक्ट्रेस की फोटो लेकर जंग लड़ते थे। वो नौजवानों के दिल की धड़कन हुआ करती थी। 40 के दशक में जहाँ एक्ट्रेस फिल्मों में अक्टिंग करने से कतराती थी और साड़ी में लिपटी हुई नजर आती थी, उस जमाने में इस एक्ट्रेस ने बोल्ड फोटोशूट करवा कर हिंदी सिनेमा में भूचाल ला दिया था।

जहा आज की अभिनेत्रियों शरीर के ज्यादातर कपड़े उतारने के बाद भी जो सनसनी नहीं मचा पाती, वहाँ इस नायिका ने अपनी आँखों की ज़ुबिश से ही बरपा देती थी। इन्होंने बहुत कम फिल्मों की लेकिन जीस भी फिल्मों में काम किया। वो सुपरहिट रहा, लेकिन कुछ ही और से बात आखिर ऐसा क्या हुआ की अचानक वह बॉलीवुड से गायब हो गई।  क्या है उनकी लव लाइफ की हकीकत? क्यों उनके देवर उनसे नफरत करते थे? जानेंगे और भी बहुत कुछ, बस बनी रही आप हमारे साथ।

दोस्तों नमस्कार, हिंदी सिनेमा के शुरुआती दौर में जिन अभिनेत्रियों में एक अलग उचाई दी है उनमें से एक नाम उस दौर की खूबसूरत अभिनेत्री बेगम पारा थीं, ये जब तक ही रही इन्डस्ट्रि को हमेशा नया ट्रेंड दिया। उस दौर में हर तरफ बेगमपारा के ही चर्चाएं होती थी। बेगम पारा के जीवन के कुछ और ऐसे अनूठे पहलू हैं जिन्हें जाने बिना उनके व्यक्तित्व और उनके जीवन दर्शन को पूरी तरह नहीं समझा जा सकता।

Begum ParaInformation
Born25 December 1926
Place of BirthJhelum, Pakistan
Died9 December 2008
Age at Death81 years
Place of DeathMumbai
SpouseNasir Khan (m. 1958–1974)
ParentsMian Ehsan-ul-Haq
ChildrenAyub Khan
SiblingsZarina Sultana, Madsrurul Haq
बेगम पारा

बेगम पारा की शुरुआती जिंदगी:

बेगम पारा
बेगम पारा

साल 1926 में 25 दिसंबर की तारीख थी। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के झीलम में एक कुलीन और संस्कारवान मुस्लिम फैम्ली में एक खूबसूरत बच्ची का जन्म हुआ। परिवार ने प्यार से नाम रखा जुबेदा उल हक। लेकिन जुबैदा को उनकी माँ प्यार से पारा कहकर बुलाती थी। जिसमें आगे चलकर बॉलीवुड का भूगोल ही बदल दिया। पारा के 10 भाई बहन थे, जिनमें वह तीसरी बेटी थी। पारा की परवरिश बीकानेर राजस्थान में हुई थी। उनके पिता का नाम मिया एहसान उल हक था, जो अंग्रेजों के जमाने के एक जाने माने जॅज थे।

पिता की सरकारी नौकरी होने के चलते उस जमाने के अलग अलग रियासतों ने उनका तबादला हुआ करता था। अपने रिटायरमेंट के वक्त वह राजस्थान के रियासत में चीफ जस्टिस के पद पर थे। बाद में भी प्रांतीय सरकार में मंत्री भी रहे। माता पिता दोनों पढ़े लिखे थे। इसलिए उन्होंने अपने हर बच्चे को ऊंची से ऊंची शिक्षा के लिए प्रेरित किया। हर चार 5 साल में होने वाले पिता के तबादलों की वजह से पारा की पढ़ाई लिखाई में कोई रुकावट ना आए इसलिए उन्हें जालंधर के एक हॉस्टल में दाखिला करा दिया। जहाँ उन्होंने अपनी स्कूलिंग पूरी की और वही से कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए अलीगढ़ चली गई।

पारा ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री ली। कॉलेज के दिनों में ही पारा बेहद बोल्ड थी। युनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने घुड़सवारी, शिकार, निशानेबाजी, तैराकी, क्रिकेट और बैडमिंटन में महारत हासिल की। सिर्फ शौक की खातिर नहीं बल्कि इन सभी खेलों में उन्होंने पूरी गंभीरता से हिस्सा लिया और कई अवार्ड भी जीते। क्रिकेट में उनका विशेष रुझान था। वह अच्छी प्लेयर तो थी लेकिन क्रिकेट को अपना करियर नहीं बनाना चाहती थी। एक तरफ फ़िल्म और दूसरी तरफ क्रिकेट दोनों का मेल ही नहीं था।

बताया जाता है  की पारा के पहल पर ही फ़िल्म सितारों की नुमाइशी क्रिकेट मैच शुरू हुआ। ऐसे पहले मैच में पारा ने सबसे ज्यादा रन बनाकर पुरुष कलाकारों को शर्मिंदा कर दिया। 

बेगम पारा कैसे अभिनेत्री बनी अपने पिता के विरोध के बावजूद?:

बेगम पारा
बेगम पारा

पारा अभिनेत्री बनना चाहती थी वो कॉलेज के दिनों में हीरो मोतीलाल की बड़ी फैन थी। वह उनकी हर एक फ़िल्म देखा करती थी। दिल की ख्वाहिश थी कि वो 1 दिन उनके साथ एक फ़िल्म में काम करें। पारा मोतीलाल को लेटर भी लिखा करती थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वह अक्सर मेरे लेटर्स का जवाब देते थे और फिल्मों में काम करने के लिए अक्सर मुंबई बुलाया करते थे, लेकिन कोई संयोग नहीं बन पा रहा था। उनके पिता खुले विचारों के होने के बावजूद बेटी का फिल्मों में काम करना पसंद नहीं था, लेकिन नियति ने पारा के लिए पहले से ही कुछ सोच रखा था।

उन्होंने जो कभी नहीं सोचा था, वह होने जा रहा था। पारा की मुंबई जाने और फिल्मों में काम करने का आधार एक अजीब संयोग से बना। दरअसल, पारा के बड़े भाई मंसूर जो कोलकाता में बाटा कंपनी में काम करते थे। उन्होंने एक बंगाली अभिनेत्री प्रतिमा दास गुप्ता से शादी कर ली। जीसको लेकर उनसे उनके माता पिता काफी नाराज थे। हालांकि बाद में उन दोनों की शादी को स्वीकार कर लिया।

शादी के बाद उनके भाई और भाभी मुंबई शिफ्ट हो गए, जहाँ साल 1943 में प्रतिमा दास गुप्ता को ए आर कारगर की फ़िल्म नमस्ते में बतौर लीड हीरोइन काम करने का मौका मिला पर एक साथ छुट्टियां बिताने के लिए अपने भाई भाभी के यहाँ मुंबई जाया करती थी। वहाँ पारा अपनी भाभी के साथ फिल्मी पार्टियों में जाती थी। वहीं पर फ़िल्म से जुड़े लोगों के साथ मिलना जुलना शुरू हो गया। पार्टी की चमक दमक देख कर वह बेहद प्रभावित हुई। पारा ने फ़ौरन तय कर लिया है कि चाहे जो भी हो, वो अभिनय ही करेंगी। पारा बेहद खूबसूरत थी, उन्हें जो भी देखता वह उन्हें फिल्मों में काम करने की प्रस्ताव दे देता था।

कहा जाता है कि शशिधर मुखर्जी और देविका रानी ने सबसे पहले फ़िल्म में काम करने का मौका दिया। हालांकि पारा के पिता इसके लिए तैयार नहीं थे। एक बार पारा अपनी भाभी के साथ कोर्ट डांसर फ़िल्म की शूटिंग पर गई। उस समय भाभी प्रतिमा दास गुप्ता कोर्ट डांसर फ़िल्म में अक्टिंग कर रही थी। उसी दौरान पारा की मुलाकात प्रभात फ़िल्म कंपनी में पार्टनर बाबू राव पई से हुई। पई ने पारा को अपनी फ़िल्म चाँद में बतौर हीरोइन अक्टिंग करने का ऑफर दिया। भाभी प्रतिमा ने भी उनका यह ऑफर स्वीकार कर लिया। पारा के पास यही मौका था जब पारा अपना सपना पूरा कर सकती थी।

उन्होंने अपने पिता को मनाने का फैसला किया। भाभी प्रतिमा को लेकर अपने वालिद को मनाने बीकानेर पहुंची। आखिरकार वह अपनी बेटी की जिद की आगे झुक गए, लेकिन पिता एहसान उल हक ने  एक शर्त रखी कि लाहौर में वह कभी भी फिल्मों में काम नहीं करेंगे। साल 1944 की फ़िल्म चाँद से पारा ने अपनी अक्टिंग करियर की शुरुआत की। उस समय वह महज 17 साल की थी। वह इस फ़िल्म में उस जमाने के स्टार प्रेम आदिब के साथ नज़र आई। पहले फ़िल्म के लिए उन्हें ₹1500 मासिक वेतन मिला। यह फ़िल्म सुपर हिट रही, लेकिन 5 साल में ही उनका मेहनताना ₹1,00,000 तक पहुँच गया।

इस सबके बीच पारा को अपना नाम खाली खाली लगता था, इसलिए उन्होंने खुद ही अपने नाम के आगे बेगम लगाने का फैसला किया। जिसके बाद वह फ़िल्म इंडस्ट्री में बेगम पारा के नाम से मशहूर हो गई। साल 1946 सोहनी महीवाल की प्रेम कहानी ने धूम मचा दी। उस दौर के युवाओं के दिल में सोहनी के रूप में सिर्फ बेगम पारा ही छाई रहती थी। साल 1947 में आई जंजीर और मेहंदी जैसे फिल्मों में वह नरगिस के साथ दिखाई दी। वही उसी साल नील कमल में उन्होंने राज़ कपूर और मधुबाला के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर किया था।

राज़ कपूर और मधुबाला की बतौर हीरोइन पहली फ़िल्म थी जिसमें बेगम पारा दूसरी लीड रोल में थी। बेगम पारा ने अपने अभिनय के दम पर सबको अपना दीवाना बना दिया था। आलम ये था की उनके चाहने वाले सुबह सुबह ही उनके घर के आगे एक झलक पाने के लिए खड़े हो जाते थे। ब

बेगम पारा ने मुगले आजम फिल्म को क्यों छोड़ दिया?:

बेगम पारा
बेगम पारा

बेगम पारा का ये किस्सा काफी मशहूर रहा की 1960 में आई फ़िल्म मुगले आज़म में बेगम पारा ने उस किरदार को छोड़ दिया जिसे नगार सुल्ताना ने निभाया था। वजह यह थी की इनकी जीवन शैली में रोना धोना फिट नहीं बैठता था। वह रोने धोने वाली फिल्मों से दूर ही रहती थी। यही कारण हैं की उन्होंने मुगले आजम जैसी फ़िल्म को भी इन्होंने छोड़ दिया था।

बेगम पारा की तस्वीरें अमेरिकी सैनिक अपने पास रखते थे:

फिल्मों में पारा ने बेहद बोल्ड एमोशनल और फॅशनबल कई तरह के किरदार निभाए। जब फिल्मों में हीरोइन परंपरागत भारतीय नारी के लिबास में कैद थी। उस दौर में वेगम पारा ने लाइफ मैगज़ीन के लिए बोल्ट फोटोशूट कराया था। इस फोटो शूट में उन्होंने व्हाइट साड़ी पहनकर और सिगरेट के कश लगाते हुए पोज़ दिए। इस फोटोशूट ने देखते ही देखते इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया। वो बॉलीवुड के ग्लैमर हीरोइन के नाम से मशहूर हो गई। आपको बता दें की साल 1950 की है फोटोशूट उस दौर के फेमस फोटोग्राफर जेम्स बुरके ने किया था।

इस फोटो शूट से देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इनके चाहने वालों की तालाद बढ़ गई। थी साल 1950 से 1953 तक चले कोरिया के युद्ध में लड़ रहे अमेरिकी फौजी बेगम पारा के ऐसे दीवाने हुए की उनकी तस्वीर को दीवारों पर लगाकर रखते थे। बताया जाता है किसी युद्ध के मारे गए कई सैनिकों की जेब में बेगम पारा की तस्वीरें निकली थी। यही कारण है की वह बॉलीवुड की फर्स्ट बॉम्ब शेल और पिन अप गर्ल के नाम से मशहूर हो गई थी। अपनी बोल्ड इमेज को लेकर बेगमपारा ने एक इंटरव्यू में बताया था की

“बोल्ड इमेज उस दौर में बहुत बड़ी बात होती थी। मैं पेंन्टस, जीन्स और अनकन्वेंशनल ड्रेसेस पहनती थी इसलिए हर फ़िल्म मैगज़ीन पर मेरी फोटो हुआ करती थी। मैं जानती थी की मेरा फिगर बहुत शानदार है। ऐसे में अगर मैगज़ीन के लिए मुझे बोल्ड पोज़ देने को कहा जाता था तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होती थी।”

बेगम पारा की निजी जिंदगी:

बेगम पारा

साल 1955 में निर्माता निर्देशक 1000 पंचोली के फ़िल्म लुटेरा दादा भगवान साल 1956 की कर भला और साल 1957 की फ़िल्म आदमी में बेगमपारा के हीरो दिलीप कुमार के छोटे भाई नासिर खान थे, जो आगे पारा के शौहर बने। बताया जाता है की दिलीप कुमार के भाई नासिर खान से उनका परिचय संयोग से हुआ। दोनों को प्यार हुआ था और फिर शादी। लेकिन इन दोनों की शादी का किस्सा भी बड़ा रोचक है। दरअसल बेगमपारा अपनी आधुनिक जीवन शैली और बेबाक रवैये के लिए विख्यात थी। उन्हें शराब पीने का बहुत शौक था। साथ ही महंगे से महंगी गाड़ियों में घूमना, पार्टी करना बहुत पसंद था।

उनकी महिला मित्र मंडली में नरगिस, गीता बाली, शमी और निम्मी थी। पुरुष मंडली में के एन सिंह, मोतीलाल, डेविड जैसे दोस्त भी थे जो पीने के साथी ज्यादा थे। उस दौर की मशहूर अभिनेत्री शमी ने इन दोनों को करीब लाने में खासी मदद की। हालांकि नासिर खान पहले से ही शादीशुदा थे। यही कारण था कि बेगम पारा नासिर साहब से दूर रहना चाहती थी, क्योंकि नासिर खान की अपनी पत्नी से अच्छे संबंध नहीं थे इसलिए इन दोनों ने इस रिश्ते को आगे बढ़ने दिया। लेकिन बेगमपारा ने ये साफ कर दिया था कि वो बतौर दूसरी पत्नी नहीं बनना चाहती थी।

लिहाजा नासिर साहब को अपनी बीवी से तलाक ले फिर शादी करें। बेगम पारा की ये गैरॅन्टी देने पर की वे नासिर की बेटी का पूरा ख्याल रखेंगी। इसके बाद मासिर खान ने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया। उसके बाद 1958 में दोनों ने शादी कर ली। शादी से बेगमपारा को तीन बच्चे हुए, दो बेटा और एक बेटी। बता दे चले की दिलीप कुमार इनकी शादी के पक्ष में नहीं थे। दिलीप कुमार जानते थे की बेगमपारा जीस जीवन शैली के आदि है। उसे जुटा पाना नासिर खान के बस की बात नहीं है।

हालत ऐसे हुए की दिलीप कुमार और बेगम पारा एक दूसरे की आमने सामने भी नहीं आती थे लेकिन उन्हें अपने भाई की फिक्र थी क्योंकि वह एक अभिनेता के तौर पर ज्यादा सफल नहीं हो पाए थे। इसलिए उन्होंने अपने भाई के नाम से फ़िल्म गंगा ज़माना बनाई जिसमें उन्होंने दमदार अभिनय किया था।    फ़िल्म की कमाई से नासिर खान और बेगम पारा ने समुद्र के किनारे एक आलीशान बंगला खरीदा। फिर कुछ समय बाद बेगम पारा और नासिर खान डलहौजी गए हुए थे। वापसी में अमृतसर के एक होटल में अचानक दिल का दौरा पड़ने से नासिर खान का निधन हो गया।

बेगम पारा की तो दुनिया ही उजड़ गई। सारा पैसा फ़िल्म में लग चुका था। मदद करने वाला कोई नहीं था। उन पर तीन बच्चों की परवरिश का जिम्मा था। हताशा में उन्होंने शराब पीना शुरू कर दिया। उनकी बहन ने उनका दामन थाम बेगम पारा को उनके बच्चों के साथ पाकिस्तान ले गई जहाँ उनके माता पिता रहते थे। वहाँ वह अपने परिवार के साथ रहने लगी लेकिन वहाँ बंद और रूढ़ीवादी माहौल के चलते अधिक समय तक नहीं रह पाई। करीब 3 साल बाद जीवन से जूझने का संकल्प और हिम्मत लेकर बेगम पारा फिर मुंबई लौट आई।

उन्होंने समझ लिया था कि उन्हें अपना सहारा खुद बनना होगा। इनकी बड़ी बहन ज़रीन भारत में ही थी, जिन्होंने इनकी खूब मदद की। बेगम पारा का संघर्ष चरम पर था, उन्हें फ़िल्म मिलना बंद हो गया था। लिहाजा उन्होंने अपने बंगले का एक हिस्सा ब्यूटी पार्लर के लिए किराया पर देकर आय का साधन तलाशा, जिससे इनके परिवार की देखरेख होती रही। जीवन से बेगम पारा को कोई शिकायत नहीं रही। उन्होंने वही जीवन जीया जो उनके मन में आया, बेगम पारा की बेटी एक सफल बिज़नेस वीमेन है। उनके बड़े बेटे नादर खान का बहुत कम समय में ही निधन हो गया था।

उनका छोटा बेटा अयूब खान आज के जाने माने टी वि ऐक्टर है, जिन्होंने फ़िल्म और टेलीविज़न दोनों में अच्छा नाम कमाया है। 50 साल कैमरा से दूर रही बेगम पारा एक बार फिर संजय लीला भंसाली की फ़िल्म सावरिया में नजर आई थी, जो साल 2007 में रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म में उन्होंने सोनम कपूर की दादी का रोल प्ले किया था। 10 दिसंबर साल 2008 को 83 साल के उम्र में बेगम पारा का देहांत हो गया।

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