बिंदिया गोस्वामी: दोस्तों कहते हैं ना कि खूबसूरती भी अजीब चीज़ है। जब ना हो तो मुश्किल और जब हो तो और भी परेशानी अक्सर देखने में यह आता है कि बहुत खूबसूरत लड़के या लड़कियों का पूरा जीवन अजीब ही कश्मीर से गुजरता है, किसी ताने बाने से बुना है हमारा आज का यह ब्लॉग। जिसमें हम उस हसीन हीरोइन के जीवन की खट्टी मीठी बातें बताएंगे जो सचमुच आपके लिए आनंददायक होगा। हमारी यह हीरोइन अन्य लोगों से ज़रा हटकर है। ना वह बहुत लाज़ बनती है और ना ही बहुत रूढीवादी।
एक बार को आप उसे देख गफलत में पड़ जाएंगे की क्या यह किसी यूनिवर्सिटी कॅंपस की फ्लर्ट करती हुई लड़की है, जो बगैर इठलाई भी आपको अपनी तरफ खींच रही है? यह तो है उस खूबसूरत हीरोइन का मासूम अपील जीस पर रिच कर अपने जमाने के सुपर हिट फ़िल्म डाइरेक्टर बासु चटर्जी और ऋषिकेश मुखर्जी ने अपने फ़िल्म की हीरोइन बनाई, जो उसके लाइफ टाइम अचीवमेंट के तौर पर आज भी जाना जाता है। अपने दो शुरुआती फिल्मों के जरिए सफलता पाने वाली इस हीरोइन ने अपने रिल लाइफ और रियल लाइफ को मैनेज नहीं कर पाई।
रिल लाइफ के प्यार को जब उसने रियल लाइफ में आज़माने की कोशिश की तो वहाँ उसे बुरी तरह मात खानी पड़ी। पहले से शादीशुदा हीरो से इश्क और 18 साल से उसी से शादी और 4 साल बाद तलाक का झमेला झेलने के बाद फिर एक बड़े निर्देशक से दिल लगाया। पहले पति से तलाक लेकर दूसरी बार घर वालों से बगावत कर अपने से 13 साल बड़े फ़िल्म मेकर से 1985 में शादी की। करियर के पीक पर मात्र 20 साल की उम्र में 100 फिल्मों कर संन्यास की घोषणा की। 70 और 80 के दशक यह खूबसूरत हीरोइन अपनी फिल्मों से ज्यादा पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रही।
भागकर मनचाही शादी की पर मन का पति नहीं मिला क्योंकि दोनों के स्वभाव एक दूसरे से बिल्कुल अलग है। फिर भी पति के सपनों से भी अगाध प्रेम है। हालांकि पति कहते हैं कि वह बेस्ट पत्नी, माँ और बिज़नेस पार्टनर है क्योंकि वह उनकी फिल्मों की कॉस्टयूम डिजैनर भी है।
बिंदिया गोस्वामी की शुरुआती जिंदगी:
दोस्तों, इस हीरोइन की खूबसूरती ऐसी है जो प्रोड्यूसर हेमा मालिनी को अफ़ॉर्ड नहीं कर सकते थे या उनके डेट्स नहीं मिलते थे तो वे इस हीरोइन को अपनी फिल्मों में कास्ट करने लगे थे। आइये मिलवाते है उस हीरोइन से जिसके बारे में स्वयं निर्देशक बासु चटर्जी ने कहा था किसकी आँखे बोलती है जो किसी भी सिनेमा के लिए अच्छा है। जी हाँ, आप ठीक समझे। हम बात कर रहे है बिंदास बिंदिया गोस्वामी की, जिनका जन्म राजस्थान के भरतपुर कमान में 6 जनवरी 1962 को हुआ। इनके पिता वेणुगोपाल गोस्वामी साउथ इंडियन थे। तमिल अयंगर जबकि माता डॉली कैथोलिक थी।
पिता वेणुगोपाल वल्लभ संप्रदाय के पुजारी या उपासक थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन काल में सात बार शादियाँ की। बड़ी बहन पर्ल एयर होस्टेस थी, पर बिंदिया गोस्वामी का शुरू से लाइन लाइट में रहने का शौक था। यही वजह रही की वह आठवीं क्लास से ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाई। उसकी हीरोइन बनने के शौक को उस समय पंख मिल गए जब उनका परिवार मुंबई में अपने पड़ोसी संगीतकार प्यारेलाल के घर एक पार्टी में गए। जहाँ मशहूर अभिनेत्री हेमा मालिनी की माता जया चक्रवर्ती ने बिंदिया को दिखाया। उस वक्त उनकी उम्र मात्र 14 साल की थी।
उन्हें पहली नजर में महसूस हुआ की इस लड़की की शक्ल तो उनकी अपनी बेटी हेमा मालिनी से हूँबहु मिलती है। बस फिर क्या था उन्होंने कई फ़िल्म निर्माताओं को बिंदिया का नाम रेकमेंड कर दिया। लिहाजा उन्हें उनकी जीवन की पहली फ़िल्म 1976 में मिली। जीवन ज्योति जिसमे उसके हीरो थे विजय अरोड़ा, जो अपने डूबते करियर को बचाने का संघर्ष कर रहे थे। यह अलग बात है कि यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा कमाल नहीं कर पाई पर बिंदिया गोस्वामी फ़िल्म निर्माताओं के नज़र में आ गई थी।
बिंदिया गोस्वामी ने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया:
उन्हीं दिनों पारिवारिक फिल्मों के सुपर हिट डाइरेक्टर बासु चटर्जी ने उसे अपनी फ़िल्म खट्टा मीठा में काम दे दिया। 1977 में रिलीज़ हुए इस फ़िल्म के बाद रातोरात बिंदिया गोस्वामी स्टार हो गई। उसके बाद तो बिंदिया के पास ढेरों फिल्मों के ऑफर आने लगे और उन्होंने कई हिट फिल्में दी। मसलन 1969 की प्रेम विवाह इसी साल रिलीज़ हुई। फ़िल्म दादा और 1980 में आई मल्टीस्टारर शान। लेकिन 1969 में ऋषिकेश मुखर्जी निर्देशित सुपर हिट फ़िल्म गोलमाल ने मानो जैसे बिंदिया गोस्वामी बॉलीवुड में नाम और पहचान दोनों ही सदियों तक कायम रहेगा।
दूसरे शब्दों में यह उनके करियर में मील का पत्थर साबित हुआ। यूँ तो बिंदिया ने 70 से 80 के दशक के उन तमाम हीरोज़ व निर्माता निर्देशक के साथ काम किया जो उस समय टॉप पोज़ीशन पर थी मगर वह बासुदा और रशीदा के साथ काम करके अपने आप को धन्य मानती हैं। इसलिए कह सकते हैं कि उसकी सारी फिल्मों पर खट्टा, मीठा और गोलमाल भरी पड़ता है। तो कोई अतिशोकती नहीं होगी।
यहाँ अपने युवा साथियों के लिए हम इन दो फिल्मों के कथानक को सहारांश में बताना चाहते हैं ताकि उन्हें बिन्दिया गोस्वामी की असली रूप और अभिनय प्रतिभा का ज्ञान हो सके। इस फ़िल्म में विन्ध्या गोस्वामी की हीरो थी राकेश रोशन और इसके गाने बनाए थे उनके बड़े भाई राजेश रोशन ने जो काफी सुमधु थे। एक पारसी फैम्ली पर आधारित फ़िल्म में अशोक कुमार एक विधुर का रोल कर रहे थे जिनके जीवन में रस लाने के लिए उनके ही बच्चे किसी ऐसी महिला को ढूंढ़ते हैं। इस दरमियां कई हास्य प्रसंग जुड़ते हैं। बिंदिया का रोल भी आकर्षक था और आप कई सदा बहार गाने गाते उन्हें राकेश रोशन के साथ देख सकते हैं।
अपने इस रोल को पाने के बारे में बिंदिया गोस्वामी कहती है कि
“वह बी आर फिल्म्स के ऑफिस के बाहर मुक्ति फ़िल्म के लिए बैठी थी की वहाँ बासुदा आये और मुक्ति फ़िल्म के निर्देशक राजतिलक को कहने लगे। इस लड़के की आँखें बोलती हैं, जो फ़िल्म में अच्छे लगेंगी।”
और कुछ महीनों के बाद ही उन्हें खट्टा मीठा जैसी एवरग्रीन फ़िल्म में काम करने का मौका मिल गया।
बिंदिया गोस्वामी की सर्वश्रेष्ठ फिल्म गोलमाल थी:
अब हम बात करते हैं उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म गोलमाल की, जिसमें उसके निर्देशक थे ऋषि दा। यह फ़िल्म भी पारिवारिक हास्य पर केंद्रित था। फ़िल्म का हीरो राम प्रसाद यानी अमूल पालेकर जीस परम में काम करता है। उसके मालिक भवानी यानी उत्पल दत्त को अपने किसी भी स्टाफ को कोई भी हॉबी फॉलो करने की इजाजत नहीं थी। ऐसे में 1 दिन भवानी खुद अपनी आँखों से राम प्रसाद यानी अमूल पालेकर को हॉकी मैच खेलते देखती है। इसलिए अमाल पालेकर को खुद ही अपने दूसरे भाई का स्वांग रचना पड़ता है।
इसके बीच में कई रोमेंटिक और हल्के फुल्के रोमांचक प्रसंग है जिसमें अमोल पालीकर और बिंदिया गोस्वामी ने जबरदस्त अक्टिंग की है। इस फ़िल्म को बेस्ट कॉमेडी के लिए फ़िल्म फेयर पुरस्कार के लिए नॉमिनेट भी हुआ था। ऋषि दा की सुपरहिट फ़िल्म गोलमाल के ऊपर अब तक पांच रीमेक बन चूके हैं पर यकीन मानिए पहले वाली फ़िल्म की नेचुरल कॉमेडी आज भी सब पर भारी है। कम समय में ज्यादा और साफ सुथरी फिल्मों में काम करने का बिंदिया गोस्वामी का अपना रिकॉर्ड है।
बिंदिया गोस्वामी का पहले से शादीशुदा विनोद मेहरा से रिश्ता:
70 से 80 का वह दशक था जब पारिवारिक और रोमेंटिक फिल्मों ज्यादा प्रोड्यूस की जा रही थी। इन फिल्मों में करण प्रिय गानों का भी अपना महत्त्व होता था। वैसे तो बिंदिया गोस्वामी ने उस दौर के तमाम हीरोज़ के साथ काम किया जिनमें सुनील दत्त, संजीव कुमार, शशि कपूर और शत्रुघन सिन्हा जैसे कई दिग्गज कलाकारों का भी नाम शामिल है। 70 से 80 के दशक में बिंदिया गोस्वामी ने अपनी अधिकतर फ़िल्म में विनोद मेहरा के साथ की जो पहले से शादीशुदा थे। लेकिन विनोद मेहरा ने अपने 10 साल के विवाहित जीवन की परवाह ना करते हुए बिंदिया गोस्वामी से इश्क कर बैठे।
कई सालों तक वे आपस में डेट करते रहे। जुनून ऐसा की वह छिप छिप कर एक दूसरे से मिलने लगे। इन दोनों ने इस बात का भरपूर ध्यान रखा की उनकी प्रेम कहानी मीडिया से बची रहे पर उनके ही किसी जानने वाले ने बात लीक कर दी और लोगों को पता चला की विनोद मेहरा ने बिंदिया गोस्वामी से 1980 में शादी कर डाली। उन दोनों में से किसी ने भी इस बात को पब्लिकली स्वीकार नहीं किया। पर जमाने से बचने के लिए वे होटल पर होटल भटकते रहे।
इस बीच विनोद मेहरा की पहली पत्नी मीना ब्रोका, जिनसे उनकी अरेन्ज मैरिज हुई थी, उनके भाई ने मोर्चा संभाल लिया और इन दोनों प्रेमियों को धमकी दे डाली। की जल्दी ये चक्कर छोड़ दो नहीं तो अच्छा नहीं होगा। इस धमकी ने काम किया और बिंदिया गोस्वामी ने विनोद मेहरा को छोड़ दिया। विनोद मेहरा ने बाद में भी बिंदिया गोस्वामी को मनाने का भरपूर प्रयत्न किया, लेकिन उनकी हद छिपछुपाई शादी 4 साल से ज्यादा नहीं चल पाई।
यहाँ अफवाहों का बाजार गर्म हो गया। लोग यह भी कहते रहे की बिंदिया ने विनोद मेहरा को इसलिए भी छोड़ दिया क्योंकि उसकी फिल्मों नहीं चल पा रही थी। उन्हें काम मिलना बंद हो गया था। बहरहाल, इस प्रेम कहानी का दुखद अंत हो गया।
यहाँ आपने दर्शकों को यह बताना चाहते हैं कि विनोद मेहरा ने अपने जीवन में चार शादियां की थीं। मीणा के अलावा अभिनेत्री रेखा से भी जिसे उनकी माँ ने लताड़ कर अपने घर से भगा दिया और बिंदिया गोस्वामी के बाद विनोद ने किरण नाम की एक और महिला से शादी की मगर उनका 45 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया।
बिंदिया गोस्वामी की दूसरी शादी कैसे हुई:
बिंदिया की उम्र इतनी कम थी और उसकी सुंदरता की क्या ही कहने। 1976 में फ़िल्म सरहद के सेट पर मिले निर्देशक जे पी दत्ता से दिल लगा बैठी। यह जे पी दत्ता वह है जिन्हें बार ग्राउंड फिल्मों बनाने का स्पेशलिस्ट माना जाता है। यह वह समय था जब बिंदिया और विनोद मेहरा एक रिश्ते में बंधे थे, लेकिन बिंदिया को जे पी दत्ता के रूप में एक ऐसा भरोसेमंद इंसान दिखा जीस पर वह आँख बंद कर भरोसा कर सकती थी। इसलिए सबसे पहले उसने विनोद मेहरा से तलाक लिया। फिर आपस में शादी की। मगर यहाँ भी कई अड़चनें आई।
ना केवल बिंदिया गोस्वामी के घर वाले बल्कि जे पी दत्ता के घर वाले भी इस रिश्ते को मानने के लिए राजी नहीं थे। लिहाजा दोनों प्रेमियों ने घर से भाग कर शादी की। इस समय बिंदिया की उम्र 20 की होगी और वह अपने करियर की पिक पर थी पर उन्होंने फ़िल्म में क्विट की और मिसेस दत्ता बनकर जीने का फैसला कर लिया। विधि और सिद्धि नाम की उनकी दो बेटियां हैं जिनमें निधि तो अपने पापा की प्रोडक्शन हॉउस में बनने वाली फ़िल्म में बतौर हीरोइन लॉन्च भी होने वाली हैं। स्वयं बिंदिया कहती हैं अपने जीवन से खुश हैं।
पहले पति के सपनों के साथ जीने लगी। अब अपनी बेटियों के सपने सजाने में जुटी हैं। उनका यह भी कहना है कि मैंने डाइरेक्टर अनिल गांगुली, खानदान, बासु चटर्जी और ऋषिकेश मुखर्जी जैसे निर्देशकों के साथ काम कर लिया और उनकी आइकॉनिक फिल्मों का हिस्सा रही हूँ तो मुझे इससे अधिक क्या चाहिए? मैं बगैर शारीरिक प्रदर्शन किए अपनी छवि बनाई है। वह मेरे लिए उपलब्धि है। सचमुच में विंध्या गोस्वामी की आँखों में अक्टिंग थी जो उस समय के फ़िल्मकार अपने फिल्मों में इस्तेमाल करते थे।
निसंदेह बिंदिया गोस्वामी ने अपने जज्बात में या कम उम्र की नादानी में जो कुछ पहले किया हो पर एक बार जे पी दत्ता से शादी कर सचमुच में उनमे ऐसी तब्दीली आई जिससे कोई भी आसानी से देख सकता है समझ सकता है।
बिंदिया गोस्वामी ने फिल्मों से संन्यास ले लिया:
उनसे 1985 में शादी करते ही उन्होंने सबसे पहला फैसला यह लिया कि वह फिल्मों में काम नहीं करेंगी और एक घरेलू पत्नी का जीवन जीएंगी जब की वह चाहती तो उस समय सारे प्रोड्यूसर डाइरेक्टरों की वह एक मात्र पसंद थी, खासकर वह उन्हें निर्माताओं के लिए सुलभ थी जिनको हेमा मालिनी की डेट से फीस की वजह से छोड़नी पड़ती थी। वह आसानी से हेमा को रेप्लस कर वैसे ही भाव भंगीमा तैयार कर लेती थी। मैं कहती हूँ की अक्टिंग के लिए आपके चेहरे और आँखे ही काफी होती है। बदन दिखाना हमारे लिए आवश्यक नहीं है।
कभी तो उनके पति ने उन्हें कॉस्टयूम डिजैनर बनाया और बिंदिया उनके हर प्रोजेक्ट का हिस्सा रहती है। वह अब तक उनके लिए उमराव जान, एल ओ सी, कारगिल और बॉर्डर के लिए कॉस्टयूम डिज़ैन कर चुकी है। उन्होंने रानी मुखर्जी, ऐश्वर्या राय और करीना कपूर के लिए ड्रेस डिज़ैन की है। बिंदिया गोस्वामी कहती है कि
“मेरा और मेरे पति का सोभाव बिल्कुल विपरीत है। मैं बहुत बोलने वाली हूँ जब की वह बहुत कम बोलने वाले है। जे पी को घर में बैठना पसंद है जबकि बिंदिया को बाहर यात्रा करना अच्छा लगता है। मैं अपने जीवन से बहुत संतुष्ट हूँ और अपने पति और बच्चों के सपनों में ही अपने सपने देख लेती हूँ।”
तो दोस्तों आपको हमारी स्टोरी कैसे लगी? हमें कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं अब मुझे दीजिए इजाज़त, नमस्कार।