Fighter Movie Review 2024: क्या यह फिल्म लोगों का दिल जीत पाएगी? Fighter Movie Fight At Box Office.

Fighter: क्या ऋतिक रोशन दीपिका पादुकोण और सिद्धार्थ आनंद की फ़िल्म फाइटर जो गुरुवार से सिनेमाघरों में रिलीज हुई है? बॉक्स ऑफिस पर चलेगी?

इस ब्लॉग में आप समझ ही गए होंगे हम रिव्यु करने जा रहे हैं फ़िल्म फाइटर को।  फाइटर (Fighter) कहानी है इंडियन एयरफोर्स पायलट की। शमशेर पठानिया यानी ऋतिक रोशन एक स्क्वॉड्रन लीडर है। इंडियन एयर फोर्स में और बहुत ही बहुत ही नामी फाइटर पायलट हैं।

उनके सीनियर है रॉकी जयसिंह यानी अनिल कपूर, मीनल राठौड़ वह है दीपिका पादुकोण। वह भी एक इंडियन एयर फोर्स पायलट और उनकी पूरी इच्छा है कि वो दुनिया को दिखाए की औरतें आदमियों से कम नहीं होती है, चाहे वो इंडियन एयर फोर्स ही क्यों ना हो। अजहर अख्तर वह है ऋषभ रविंद्र साहनी वो एक अफगानिस्तानी टेररिस्ट है जिन्हें पाकिस्तान वालो ने बुलाया है और उसकी सर्विस इस्तेमाल कर रहे हैं। अब अजहर अख्तर भारत से और भारतवासियों से नफरत करता है। वो इंडिया पर हमला करते हैं। यहाँ तक की दो आईएएफ पायलट यानी इंडियन एयर फोर्स पायलट को कैप्टिव भी होल्ड करते है तो उसके बाद क्या होता है? तो सारांश में ये कहानी है।

CategoryDetails
Directed bySiddharth Anand
Story byRamon Chibb
Siddharth Anand
Screenplay byRamon Chibb
Dialogues byHussain Dalal
Abbas Dalal
Produced bySiddharth Anand
Mamta Anand
Jyoti Deshpande
Ajit Andhare
Anku Pande
Ramon Chibb
Kevin Vaz
StarringHrithik Roshan
Deepika Padukone
Anil Kapoor
CinematographySatchith Paulose
Edited byAarif Sheikh
Music byScore: Sanchit Balhara and Ankit Balhara
Songs: Vishal–Shekhar
Production companiesViacom18 Studios
Marflix Pictures
Distributed byViacom18 Studios
Release date25 January 2024
Running time166 minutes[1]
CountryIndia
LanguageHindi
Budget₹250 crore
Fighter

Fighter Movie स्क्रिप्ट:

Fighter
Fighter

इस फ़िल्म के स्क्रिप्ट को कथा, पटकथा और संवादों को इस फ़िल्म की कहानी लिखी है सिद्धार्थ आनंद और रेमन छिब ने। सिद्धार्थ आनंद में यहाँ पर आपको बता दूँ इस फ़िल्म के डायरेक्टर भी हैं, निर्देशक भी है। तो कहानी में वो बात नहीं है जो इस प्रकार की कहानी में बात होनी चाहिए। कहने का मतलब है कि बहुत ही रूटीन कहानी है और ये जो इंडिया वर्सेज़ पाकिस्तान या पाकिस्तान बैशिंग वाली कहानियाँ हैं, वो अब इंडियन ऑडियंस को इरिटेट करने लगी है।

एक और बात ‘गदर 2’ में जो इंडिया वर्सेज़ पाकिस्तान का मसला था वो इतनी समझदारी से और इतनी होशियारी से बताया था। की इंडिया में देशभक्ति की भावना खूब खूब जागरूक हुई थी। अब पाकिस्तान बैशिंग वाली फ़िल्म अगर गदर 2 से ऊपर होगी या एकदम हटके होगी तो ही लोगों को पसंद आएगी। नहीं तो ऐसी कहानी पसंद नहीं आएगी और इस फ़िल्म (Fighter) में भी एक बड़ी खामी ये है। और तो और वैसे ही इंडिया में जो एरियल कॉम्बैट, एरियल फाइट और स्टंट होते है, वो कम पसंद आते हैं और ये तो इंडियन एयरफोर्स की कहानी है।

(Fighter) इंडियन एयरफोर्स के फाइटर पायलट्स की कहानी है तो एरियल स्टंट बहुत सारे है, जो कम पल्ले पड़ते हैं इंडियन ऑडियंस को।  सिर्फ ये कारण नहीं है। कहानी नहीं पसंद आने का एक और कारण है। फ़िल्म (Fighter) स्टोरी हैं वो अच्छी नहीं लिखी है राइटिंग में भी ऐसी कमियां नजर आती है। और जैसे कहानी अनफोल्ड होती है, बड़े पर्दे पर ऑडियंस को ऐसा महसूस होता है की ये कहानी लिखी गयी है केवल उनके पेट्रियॉटिक सेंटीमेंट को मिल्क करने के लिए। उसमें कोई बुराई नहीं है।

लेकिन जब ऑडियंस को यह लगता है कि सिर्फ हमारे देशभक्ति की भावना को उजागर करने के लिए फ़िल्म (Fighter) बनाई गई है, ड्रामा लिखा गया है, स्टोरी लिखी गयी है तो वो फ़ीलिंग बहुत अच्छी नहीं होती है।

स्क्रीनप्ले रेमन छिब ने लिखा है और कहना पड़ेगा एक बहुत ही हाफ बीट स्क्रीनप्ले है। सबसे पहली बात तो ये है की जो स्क्रीनप्ले लिखा गया है वो ऐसा नहीं है कि ऑडियंस कंप्लीट्ली इन्वॉल्व और इंगेज हो जाए और वो अपने आप को भी इस ड्रामा का हिस्सा समझे, वैसी बात नहीं है। तो यह बहुत बड़ा माइनस पॉइंट है।

और जैसा मैंने पहले भी कहा, एरियल कॉम्बैट और फाइट्स में इंडियन ऑडियंस को कम मज़ा आता है। तालियां सीटी नहीं बजती है जो कि हैंड टु हैंड फाइट्स में या जो ग्राउंड लेवल पर फाइट्स की जाती है, उनमें सीटी और ताली बजाने का मन करता है, वैसी बात नहीं है। तो यह एक बहुत बड़ा नेगेटिव पॉइंट है।क्योंकि इसमें सारी फाइट आसमान में ही है। इंडियन एयरफोर्स की कहानी इंडियन एयरफोर्स के फाइटर पायलट्स की कहानी है। और तो और जब ड्रामा अनफोल्ड होता है, ऑडियंस को ऐसी फीलिंग आती है की एक टेम्पलेट फॉरमैट में फ़िल्म (Fighter) बनाई है।

थोड़ा रोमैंस, थोड़ी इमोशन्स, भरपूर ऐक्शन, थोड़ा ड्रामा, कुछ मेलोड्रामा तो ये जो टिपिकल तरीके से फ़िल्म बनाते हैं, उसमें ऑडिएंस इरिटेट हो जाती है और इस फ़िल्म के साथ भी ऐसा ही कुछ है। स्क्रीनप्ले में भी ऐसी ही कोई बात है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कोई भी बात अच्छी नहीं है।

कुछ इमोशनल सीन्स में डेफिनेटली रोना आता है। जब शमशेर पठानिया उर्फ पैटी यानी ऋतिक रोशन मिनल के पैरंट्स के साथ मिलते हैं और उनसे बातचीत करते हैं। उस सीन में आपका दिल भर आता है। वैसे ही जब मीनल अपने पैरेन्ट्स के साथ मिलती है। लंबे समय बाद उस सीन में भी रोना आता है और जब पैटी यानी ऋतिक रोशन अपने दोस्त सरताज गिल उनकी वाइफ से बात करते हैं कि मैं तुम्हारे हस्बैंड को पाकिस्तान से वापस सही सलामत ले कर आऊंगा, उस सीन में भी आपकी आंखें नम हो सकती है। तो हैं ऐसे कुछ इमोशनल सीन्स हैं ऐसे कुछ ड्रमैटिक सीन्स भी अच्छे है।

लेकिन एक ऐक्शन फ़िल्म वो भी इंडियन एयरफोर्स फाइटर पायलट्स की कहानी में अगर इमोशन्स आपके दिल को छूते है, सिर्फ यही काफी नहीं है क्योंकि आपको चाहिए थ्रिलिंग ऐक्शन, थ्रिलिंग स्टंट, मजेदार ड्रामा, एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी क्लैप ट्रैप डायलॉग्स वगैरह वगैरह, जो कि इस फ़िल्म में नहीं है और अगर है भी तो इम्पैक्ट कम होता है।

Fighter Movie डायलॉग:

Fighter
Fighter

जहाँ डायलॉग्स की बात चली संवादों की बात चली आपको बता दू के हुसैन दलाल और अब्बास दलाल ने इस फ़िल्म के डायलॉग्स लिखे हैं साथ में ऐडिशनल डायलॉग्स बिस्वपति सरकार। हालांकि कुछ डायलॉग्स यकीनन अच्छे हैं, लेकिन कनसिस्टेंटली एक्स्ट्राऑर्डिनरी डाइलॉग नहीं है। कहने का मतलब है जितना पंच डायलॉग्स में होना चाहिए था उतना नहीं है। ये तो वही बात स्क्रिप्ट की अब एक नजर डालेंगे। ऐक्टर्स के पर्फॉर्मन्सेस पर।

Fighter Movie एक्टर्स परफॉर्मेंस:

Fighter
Fighter

रितिक रोशन हमेशा की तरह बहुत ही खूबसूरत लगे हैं। वंडरफुल फ़िज़िक वाले ऋतिक रोशन ने काफी अच्छा काम किया है। लेकिन पता है ऋतिक रोशन के किरदार को जब मुसीबतों का सामना करना पड़ता है तब भी ऑडियंस का दिल रो नहीं उठता है। यह खराब स्क्रिप्टिंग का नतीजा है। और उस फ़िल्म में आपको उतना मज़ा नहीं आएगा जब आपका दिल हीरो या हिरोइन या दोनों के लिए रो नहीं उठे और इस फ़िल्म में ऐसा ही है।

दीपिका पादुकोण ने मीनल राठौर का रोल निभाया है और काफी अच्छा है। लेकिन उनका रोल थोड़ा बिखरा लगता है।  अनिल कपूर जो रॉकी जय सिंह की भूमिका निभा रहे उन्होंने भी बहुत अच्छा काम किया है और बहुत ठहराव है उनके परफॉर्मेन्स में। अजहर अख्तर की भूमिका में रिषभ रविन्द्रसाहनी इनका काम अच्छा नहीं है। वो इस प्रकार के विलन है कि ऋतिक रोशन जैसे हीरो उनकी तरफ देखे ही नहीं। एलिमिनेट करना तो बहुत दूर की बात है और इस प्रकार की फ़िल्में जब तक हीरो के टक्कर का विलन ना हो वो बात नहीं बनती है।

करण सिंह ग्रोवर सरताज गिल के रोल में अच्छे दिखे हैं। बशीर खान उर्फ बैश की भूमिका में अक्षय ऑबरॉय का काम भी अच्छा है। इम्प्रेसिव है। आशुतोष राणा जिन्होंने मीनल राठौड़ के फाधर रोल निभाया है, उनका रोल ज्यादा नहीं है लेकिन फिल्म में वह अपनी छाप छोड़ जाते हैं। गीता अग्रवाल जिन्होंने मीनल राठौड़ की मधर का रोल निभाया उनका काम भी अच्छा है। सौरभ हाशमी आईएएफ पायलट छोटा रोल है लेकिन लेकिन अच्छा है।

संजीदा शेख, जो सरताज गिल की वाइफ की भूमिका निभा रही हैं, उनका काम अच्छा है, बढ़िया है और सीरत मस्त जिन्होंने शमशेर पठानिया का रोल निभाया है। नैना जयसिंह ने भी अच्छा काम किया है इस फिल्म में। इनके अलावा बहुत सारे ऐक्टर्स हैं। सब ने सही अंदाज में सपोर्ट किया है। ये तो बात ऐक्टर्स के पर्फॉर्मन्सेस की अब एक नजर डालते हैं। डायरेक्शन और अन्य टेक्निकल ऐस्पेक्ट पर।

Fighter Movie डायरेक्शन और टीमवर्क:

Fighter

सिद्धार्थ आनंद के निर्देशन में फ़िल्म (Fighter) बनी है और उनका निर्देशन इम्प्रेसिव नहीं है। एक तो उनका नैरेटिव स्टाइल ऐसा नहीं है कि ऑडियंस को बांधकर रखें, उनका अटेंशन अरेस्ट कर लें, वैसी बात नहीं है।

सेकंडली जितना टेक्निकल इस फिल्म को बनाया है इतनी टेक्निकल बाते आम जनता के पल्ले नहीं पड़ती है और जब ऐसी बातें इतनी एक्सेसिव हो चुकी ऑडियंस के पल लेना पड़े तो ऑडियंस इरिटेट हो जाती है। तो इनका डायरेक्शन बहुत खास नहीं है इस फिल्म (Fighter) में।

फ़िल्म (Fighter) में संगीत विशाल शेखर का है और गानों के बोल कुमार ने लिखे हैं। हालांकि दो तीन गाने अच्छे हैं, लेकिन इस फ़िल्म में कोई भी गाना सूपर हिट नहीं है हिट भी नहीं है।

गानों की कोरियोग्राफी बॉस्को सीजर, रेमो डिसूजा और पीयूष शाज़िया की है जो की अच्छी है। गानों के डायरेक्टर रॉबी गरेवाल है जो कि इनका काम भी अच्छा है। बैकग्राउंड म्यूजिक  संचित बल्हारा और अंकित बलहारा उनका बैकग्राउंड म्यूजिक कमाल का है। सिनेमाटोग्राफी सचिन पाब्लोस और सह-सिनेमेटोग्राफी आयान्का बोस कहना पड़ेगा कि सिनेमेटोग्राफी सूपर्ब है। ये फ़िल्म बहुत ही आई फीलिंग है।

ऐक्शन सीन्स की कोरियोग्राफी की है शीयंको, परवेज शेख और सुनील रॉड्रिक्स ने ऐड वो थ्रिलिंग है, एक्साइटिंग भी है लेकिन जैसा मैंने पहले कहा इन इंडियन ऑडियंस को एरियल फाइव एरियल कॉम्बैट सेरिल स्टंट्स अच्छे भी लगते होंगे, लेकिन उतनी ही एक्साइटमेंट नहीं महसूस करते हैं वो जितनी ग्राउंड लेवल में फाइट होती है वो बात नहीं बनती है वो थ्रिल नहीं आता है।

प्रोडक्शन डिज़ाइनिंग- रजत पोद्दार और आर्ट डायरेक्शन  कैलाश साहू की है जो काफी सही है। आरिफ शेख की एडिटिंग हे जोकि ठीक है। ओर 3D में ये फ़िल्म है तो 3D इफेक्ट्स मजेदार नहीं है। तो ओवरऑल फाइटर एक ऑर्डिनरी फ़िल्म है। जबकि इस फिल्म का बजट बहुत ही बड़ा है इस फिल्म के स्टार कास्ट भी काफी अच्छी है फिर भी यह फिल्म उतना कमाल शायद नहीं कर पाएगी। यहाँ पर मैं आपको बता दूँ कि आज इस फ़िल्म की ओपनिंग कमजोर है।

कई जगह पर मॉर्निंग के शोज़ कैंसिल हुए है। इसका एक रीजन यह भी हो सकता है कि ठंडी का मौसम चल रहा है। मॉर्निंग में दिल्ली, नॉर्थ इंडिया वगैरह में बहुत ठंड होती है। लेकिन रितिक रोशन और दीपिका पादुकोण और अनिल कपूर जैसे स्टार इस फिल्म में है फिर भी शोज़ का कैंसल होना ये कोई मामूली बात नहीं है और वैसे भी आज ओपनिंग कमजोर है।

ऑफ कोर्स 26 जनवरी की छुट्टी है। और वीकेंड है पूरा फ्राइडे सैटरडे संडे तो इन दिनों आप कलेक्शनस भरपूर बढ़ेंगे एक्सपेक्ट कर सकते है, लेकिन ओवरऑल फ़िल्म अच्छी नहीं है।

तो दोस्तों कैसा लगा हमारा रिव्यू फिल्म फाइटर का, कमेंट सेक्शन में जाइए और अपने कॉमेंट्स पोस्ट कीजिएगा और अगर आपने भी ये फ़िल्म ऑलरेडी देख डाली है तो ऑफ कोर्स अपने कॉमेंट्स द्वारा हमें ये भी बताइए की आपको फ़िल्म कैसी लगी? आपके हिसाब से इसके नेट ऑल इंडिया कलेक्शनस कितने होंगे?

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