फर्याल: मादक संगीत। पर्थ रखती बॉलीवुड फिल्मों की इस खूबसूरत केब्रे डांसर को आज कम ही लोग ही पहचानते होंगे, लेकिन 60 और 70 के दशक में एक दौर ऐसा भी था जब लोग इनकी शोक, अदाओं और डान्सिंग स्टेप्स के दीवाने हो गए थे। 80 के दशक की शुरुआत तक उसकी डान्सिंग का जलवा ऐसा जमा रहा की तब के दौर की डान्सिंग क्वीन्स की चमक भी फीकी पड़ने लगी थी।
लेकिन ऐसा क्या हुआ की अचानक उन्हें अपनी अदाकारी छोड़कर फिल्मों से सन्यास ले लेना पड़ा। क्या आप जानते है की एक ऐक्टर ने इनसे ऐसी बदसलूकी की की इन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री ही रही, देश भी छोड़ दिया। और क्या यकीन करेंगे? किस सुंदर अदाकारा को डांस से सख्त नफरत थी लेकिन किस्मत ने उसे हर फ़िल्म में नाचने पर मजबूर कर दिया। बहुत कुछ बस बने रही इस ब्लॉग के अंत तक।
नमस्कार दोस्तों, फर्याल का नाम भले ही कम लोगों को याद होगा लेकिन जिससे भी याद होगा वो उन्हें शिद्दत से याद करता होगा। वो बला की खूबसूरत थी और जब संगीत की धुन पर उनके अंग थिरकते थे तो मानो देखने वालो के भी बदन पर चींटीयां रेंगने लगती थी। उनके डांस का जलवा ऐसा था की लोग उन्हें तब की कैबरे क्वीन कही जाने वाली हेलन से भी बढ़कर मारने लगे थे। फर्याल में कई खासियतें थी जो उन्हें इंडस्ट्री से दूसरी अदाकाराओं से काफी अलग मुकाम पर रखती थी।
फर्याल की शुरुआती जिंदगी:
फर्याल का जन्म 3 नवंबर 1945 को सीरिया की राजधानी दमिश्क में हुआ था। उनके पिता भारतीय मूल के थे और माँ एक सीरियाई थी। वो एक संपन्न परिवार से थी और भारत आकर उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा शिमला के प्रसिद्ध कॉन्वेन्ट कैथेड्रल स्कूल से पूरी की और बाद में मुंबई के संत जेवियर कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। अभिनय की दुनिया में आने से पहले उन्होंने एयर इंडिया में एक एयर होस्टेस के रूप में भी काम किया।
उसके बाद उन्होंने फ़िल्म में दुनिया में कदम रखा लेकिन उन्हें इंडस्ट्री में वो मुकाम नहीं मिला जिसका उन्होंने सपना अपनी आँखों में संजोए फ़िल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था। कहते हैं कि फर्याल के जीवन में बहुत संघर्ष था। और उन्हें डांस बिल्कुल भी पसंद नहीं था, लेकिन विडंबना ऐसी रही कि पूरे करियर में कभी डांस ने उनका पीछा ही नहीं छोड़ा।
1965 में बनी फ़िल्म जिंदगी और मौत का गाना जब दर्शकों ने पहली बार इस फ़िल्म में इस खूबसूरत अदाकारा को देखा तो उन पर फ़िदा हो गए तो तब की मशहूर हीरोइन सायरा बानो की तरह दिखती थी। इस फ़िल्म से फर्याल ने अपना पहला डेब्यू किया था। फ़िल्म काफी हद तक सफल रही। फर्याल के अभिनय की कई लोगों ने सराहना की। जिंदगी और मौत से पहले ही उन्हें फ़िल्म बिरादरी में मुख्य भूमिका मिली थी। लेकिन यहाँ फ़िल्म तकनीकी कारणों से पूरी हुई 1966 पे। हालांकि बॉक्स ऑफिस पर यह फ़िल्म फ्लॉप रही और उसके बाद उनको कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
फर्याल की प्रसिद्ध ही मुसीबत बन गई:
अगला साल यानी 1967 के लिए उम्मीद की एक नई रौशनी लेकर आया। उन्हें इस साल भारत में बनी एक अंतर्राष्ट्रीय टी वि सीरीज माया के एक एपिसोड से जुड़ने का मौका मिला। इसी साल आई फ़िल्म ज्वेलत थीफ ने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई और दर्शकों के साथ साथ इंडस्ट्री के लोगों ने भी उन्हें नोटिस किया।
फ़िल्म में कैब्रा डांसर के रूप में उन्होंने अपने प्रशंसा के साथ साथ निर्देशकों का भी दिल जीत लिया था। लेकिन ये प्रसिद्धि ही उनकी परेशानी का सबब बन गया। वो डांसर के तौर पर मशहूर हो गई और उन्हें जीतने भी रोल ऑफर हुए। वो आइटम नंबर या वेम्प के ही थे। 60 और 70 के दशक में को भारतीय सिनेमा जगत की कैबरे क्वीन यानी हेलेन के साम्राज्य में भी सेंध लगा रही थी।
फर्याल ने कीया कई सारी फिल्मों में काम किया:
उन्होंने 1968 में आई फ़िल्म फरेब में एक अच्छा किरदार निभाया। 1969 में आई फ़िल्म काम सूत्र में भी डान्सिंग सीन में एक छोटा सा रोल मिला। 1970 का साल फर्याल के लिए सफलता का साल था, इस साल उन्होंने सात फिल्मों में अपना जलवा बिखेरा, जिनमें मंगू दादा, दो ठग, सच्चा झूठा, पुष्पांजलि आदि शामिल थे। 1970 में ही उनके अभिनीत फिल्मों, मन की आँखे, कोई गुलाम नहीं, इंसान और शैतान आदि भी रिलीज़ हुई जिन्होंने उन्हें लोकप्रियता के नए आसमान पर पहुंचा दिया। 1971 में उनकी दो फिल्में हंगामा और बहुरूपया आई।
साल 1972 उनके लिए एक बार फिर खुशियों की सौगात लेकर आया। उस साल उन्हें बड़े छोटे बैनर की आठ फिल्मों में काम करने का मौका मिला। हालांकि किसी भी फ़िल्म में उनकी भूमिका बहुत सशक्त नहीं थी, लेकिन उनके जलवे ने फिल्मों में ग्लैमर का नायाब तड़का लगाकर उन्हें लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई। रामपूर का लक्ष्मण, अपराध, शरारत और रानी मेरा नाम इस साल रिलीज़ हुई। कुछ अहम फिल्में थी।
सन 1973 में तो फरियाल ने मानो बॉलीवुड पर कब्जा ही कर लिया था। उनकी पूरी एक दर्जन फ़िल्म रिलीज़ हुई और हर फ़िल्म में उन्हें एक से बढ़कर एक गानों पर परफॉर्म करने का मौका मिला। इस साल आई उनकी फिल्मों में बनारसी बाबू, टैक्सी ड्राइवर, नफरत, खून खून, हम सब चोर है और धर्मा प्रमुख थी। अगले साल यानी 1974 में उनकी अभिनीत चार फिल्में आई जो थी गंगा, मनोरंजन, दी चीट और हवस।
75 में उनकी सात फिल्मों आई जिनमें एक तमिल भाषा की एडूपा कई पिल्लई भी थी। इस साल आई उनकी फिल्मों में कुछ बेहद लोकप्रिय हुई तो कुछ कम प्रमुख फिल्मों रही, दो ठग, धर्मात्मा और दफा 302 आई पी सी। सन् 1976 में उनकी दो फिल्मों आई आई एक थी ज़माने से पूछो और दूसरी थी प्लेबॉय। 1977 में भी उन्होंने दो ही फिल्मों साइन की, जिनमें एक थी काली रात और दूसरी थी आफत। इसके बाद उन्होंने दो 3 साल तक कोई फ़िल्म नहीं की। फिर उन्होंने 1980 में उन्होंने प्रेमिका में एक छोटी सी भूमिका निभाई।
फर्याल ने फिल्म इंडस्ट्री छोड़ दी एक हादसे की वजह से:
सन 1984 में पुराने साथी और मित्रों के कहने पर दी गोल्ड मेडल में काम करना मंजूर किया। लेकिन इसके सेट पर हुए एक हादसे के बाद उन्होंने आखिरकार अपने अभिनय करियर को बंद कर दिया।
दरअसल हुआ यूं कि डाइरेक्टर रविकांत नागायच किल फ़िल्म दी गोल्ड मेडल में बड़े बड़े कलाकार काम कर रहे थे, जैसे जितेंद्र, धर्मेंद्र, प्रेमनाथ और शत्रुघ्न सिन्हा। फ़िल्म की शूटिंग चल रही थी। फ़िल्म में विलेन का किरदार निभा रहे हैं। प्रेमनाथ को फरियाल के साथ एक सीन शूट करना था जिसमें वो फरियाल के साथ जबरदस्ती करती और सोफे पर पटक देते।
शोट शुरू हुआ। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था लेकिन जैसे ही फर्याल को सोफे पर पटका गया, प्रेमनाथ फर्याल को बाहु में जकड़े हुए सोफे से लूडकते हुए कारपेट पर आ गए। फर्याल को प्रेमनाथ की हरकत ना गवार गुजरी क्योंकि डाइरेक्टर ने जो सीन समझाया था, उसमें इस तरह की किसी भी सिचुएशन का जिक्र नहीं था। एक दो मिनट गुजर गए, कट नहीं हुआ। आस पास के लोग भी ये नजारा देखकर चुटकियां लेने लगे। तब फर्याल ने गुस्से से झुनझुना कर कहा गया कोई कुछ कहेगा और झटके से प्रेमनाश को अलग कर दिया।
इस घटने के बाद फर्याल बहुत डर गई थी, मगर फ़िल्म के डाइरेक्टर रविकांत नागायच कोई इससे कोई फर्क नहीं पड़ा, लेकिन फर्याल ने फ़िल्म दी गोल्ड मेडल में काम करने से मना कर दिया। अब शुरू हुआ दौर फरियाल को मनाने का सभी लोग फर्याल के पास गए और काफी मान मनवल की किसी तरह फ़िल्म की शूटिंग पूरी हुई।
फ़िल्म तो कंप्लीट हुई लेकिन ये फ़िल्म फर्याल के करियर की लास्ट साबित हुई क्योंकि प्रेमनाथ के हादसे से आहत फरियाल ने बॉलीवुड को अलविदा कह दिया। कहते हैं की फर्याल ने इस फ़िल्म के बाद ही अपना करियर खत्म कर दिया था और अपने लॉन्ग टाइम बॉयफ्रेंड से शादी कर ली और वह इजराइल में सेटल हो गई। ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने कभी डांस नहीं सीखा और ना ही कभी डांस पसंद ही आया। लेकिन ज्वेल थीफ के बाद किसी तरह उन्हें उन भूमिका को निभाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
वो कैबरे डांसर नहीं बनना चाहती थी लेकिन वक्त के हाथों मजबूर होकर उन्हें ऐसा करना पड़ा। करियर को बर्बाद होने से बचाने के लिए उन्होंने वो भी किया।
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