धीरूभाई अंबानी पकोड़े बेचने से लेकर करोड़ों का साम्राज्य करने तक की कहानी। Dhirubhai Ambani Success Story.

धीरूभाई अंबानी: “बड़ा सोचो, जल्दी सोचो और आगे की सोचो। क्योंकि विचारों पर किसी का भी एक अधिकार नहीं है।”

ऐसा कहना है धीरूभाई अंबानी का, जिन्होंने एक साधारण परिवार से दुनिया के सबसे अमीर इंसानों में से एक होने का संघर्ष भरा रास्ता तय किया।

Personal InformationDetails
Full NameDhirajlal Hirachand Ambani
Birth28 December 1932
Place of BirthChorwad, Junagadh State, British India (present-day Gujarat, India)
Death6 July 2002
Age at Death69
Place of DeathMumbai, Maharashtra, India
CitizenshipBritish India (1932–1947)
Dominion of India (1947–1950)
India (1950–2002)
OccupationBusinessman
OrganizationsReliance Industries, Reliance Capital, Reliance Infrastructure, Reliance Power
SpouseKokila Dhirubhai Ambani (m. 1955)
Children4, including Mukesh Ambani and Anil Ambani
AwardsPadma Vibhushan (2016) (posthumously)
धीरूभाई

धीरूभाई अंबानी की शुरुआती जिंदगी:

धीरूभाई
धीरूभाई

बहुत कम लोग जानते होंगे की धीरूभाई का वास्तविक नाम Dhirajlal Hirachand Ambani है। धीरूभाई का जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के चोरवाड़ गांव में हुआ था। हाई स्कूल में ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और उसके बाद पकौड़े बेचना शुरू कर दिया।

दोस्तों धीरू भाई का मानना था कि पैसे से पढ़ाई का कोई संबंध नहीं है। क्योंकि ये जरूरी नहीं की दुनिया में एक पढ़ा लिखा इंसान ही पैसे कमा सकता है।

कुछ सालों तक घूम घूम कर पकौड़े बेचने के बाद सन 1948 में 16 साल की उम्र में वे अपने भाई रमणिक लाल की सहायता से अपने एक दोस्त के साथ यमन के एडेन शहर काम करने चले गए। एडेन पहुँचकर उन्होंने पहले पेट्रोल पंप पर काम किया।
फिर कुछ दिनों बाद उसी कंपनी में क्लर्कियल पोस्ट पर ₹300 प्रति माह के वेतन पर काम करने लगे।

वह अपने दिन भर के काम के बाद भी कोई ना कोई पार्ट टाइम काम करते रहते थे। जिससे उनके साथियों में उनके पास सबसे ज्यादा पैसा था।

लेकिन फिर भी उनके दिमाग में कहीं ना कहीं रहता था कि उन्हें अगर अमीर बनना है तो अपना खुद का बिज़नेस करना ही होगा। और बिज़नेस के लिए पैसे तो चाहिए होंगे? कई जगहों पर काम करने के बावजूद उन्होंने कभी भी अपने काम में कमी नहीं की। और पूरी मेहनत और लगन से अपने दायित्वों को पूरा किया। इसीलिए काम से खुश होकर कंपनी के मालिक ने उनका प्रमोशन एक मैनेजर की पद पर कर दिया। लेकिन थोड़े दिन उस काम को करने के बाद उन्होंने काम छोड़ दिया। और अपने वतन हिंदुस्तान चले आए। क्योंकि उनके दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था।

अपने चचेरे भाई के साथ बिजनेस शुरू किया:

धीरूभाई
धीरूभाई

1955 में उन्होंने ₹15,000 लगाकर अपने चचेरे भाई चंपक लाल दमानी के साथ मिलकर मसालों के निर्यात और पॉलिस्टर धागे के आयात का बिज़नेस स्टार्ट किया। उनके मेहनत के दम पर अगले कुछ सालों में कंपनी का टर्नओवर ₹10,00,000 चलाना हो गया। उस समय पॉलिस्टर से बने हुए कपड़े भारत में नए थे। और यह सूती के मुकाबले लोगों द्वारा ज्यादा पसंद किया जाने लगा। क्योंकि ये सस्ता और टिकाऊ था और इसमें चमक होने के कारण पुराने होने के बाद भी यह नया जैसा दिखाई देता था। और लोगों द्वारा पसंद किए जाने की वजह से जल्द ही उनका मुनाफा कई गुना बढ़ गया।

कुछ वर्षों के बाद धीरूभाई अंबानी और चंपक लाल दमानी की व्यावसायिक साझेदारी समाप्त हो गई। क्योंकि दोनों के स्वभाव और व्यापार करने के तरीके बिल्कुल अलग थे।

धीरूभाई ने अकेले बिजनेस शुरू किया:

धीरूभाई

लेकिन धीरू भाई ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और देखते ही देखते उन्होंने समय के साथ चलते हुए टेलीकॉम, एनर्जी, इलेक्ट्रिसिटी और पेट्रोलियम जैसे व्यापार में कदम रखते गए।

आप उनकी सफलता का अनुमान इसी बात से लगा सकते हैं कि आज धीरूभाई की कंपनी में 90,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं और भारत में उनकी कंपनी आज भी टॉप पर है।
दोस्तों अगर समय की मांग के अनुरूप आपने अपने आप को ढाल लिया ना तो कुछ भी असंभव नहीं रह जाता।

6 जुलाई 2002 को धीरुभाई अंबानी ने दुनिया से विदा ली।लेकिन उनके स्वभाव और विनम्रता की वजह से वह आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।

धीरूभाई का कहना है “जो सपने देखने की हिम्मत करते है, वो पूरी दुनिया को जीत सकते है। हम दुनिया को साबित कर सकते हैं कि भारत एक सक्षम राष्ट्र है और हम भारतीयों को प्रतियोगिता से डर नहीं लगता।”

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।  आपको ये कहानी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद।

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धीरूभाई अंबानी पूरा ब्लॉक संक्षिप्त में पढ़िए:

1. धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के चोरवाड़ गांव में हुआ था।

2. हाई स्कूल में पढ़ाई छोड़कर उन्होंने पकौड़े बेचना शुरू किया।

3. अपने चचेरे भाई चंपक लाल दमानी के साथ मिलकर मसालों और पॉलिस्टर धागे के बिज़नेस में प्रवेश किया।

4. उनका मुनाफा कई गुना बढ़ता गया, और व्यावसायिक साझेदारी के बाद भी धीरूभाई ने अकेले व्यापार में कदम रखा।

5. धीरूभाई ने टेलीकॉम, एनर्जी, इलेक्ट्रिसिटी, और पेट्रोलियम से जुड़े व्यापार में सकारात्मक कदम उठाए।

6. उनकी कंपनी में 90,000 से अधिक कर्मचारी हैं, और भारत में उनकी कंपनी टॉप पर है।

7. धीरूभाई अंबानी का मानना था “बड़ा सोचो, जल्दी सोचो और आगे की सोचो।”

8. उन्होंने अपने सपनों की पुर्ति के लिए मेहनत और लगन से काम किया और कभी हार नहीं मानी। 

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