धीरूभाई अंबानी का जीवन परिचय, कैसे ये गरीबी से निकल कर सफलता के शिखर तक पहुंचे जानिए पूरे डिटेल में। Dhirubhai Ambani Biography.

धीरूभाई अंबानी: ये साल है 1932 का यह गुजरात का चोरवाड़ गांव इस गांव के अंदर ये छोटे से घर में हीराचंद गोर्धनभाई अंबानी नाम के इंसान अपने दो बच्चों और अपनी बीवी के साथ में रहते हैं। अपनी रोज़ी रोटी चलाने के लिए ये अपने पास के ही इस स्कूल के अंदर पढ़ाती है। आज 6 जुलाई को इनका तीसरा बच्चा पैदा हुआ है और इसका नाम उन्होंने रखा है धीरू भाई अंबानी और किसी को भी पता नहीं है कि यही लड़का आने वाले समय में इंडिया का सबसे अमीर इंसान बनेगा।

Table of Contents

Personal InformationDetails
Full NameDhirajlal Hirachand Ambani
Birth28 December 1932
Place of BirthChorwad, Junagadh State, British India (present-day Gujarat, India)
Death6 July 2002
Age at Death69
Place of DeathMumbai, Maharashtra, India
CitizenshipBritish India (1932–1947)
Dominion of India (1947–1950)
India (1950–2002)
OccupationBusinessman
OrganizationsReliance Industries, Reliance Capital, Reliance Infrastructure, Reliance Power
SpouseKokila Dhirubhai Ambani (m. 1955)
Children4, including Mukesh Ambani and Anil Ambani
AwardsPadma Vibhushan (2016) (posthumously)
धीरूभाई अंबानी

धीरूभाई अंबानी की शुरुआती जिंदगी:

धीरूभाई अंबानी
धीरूभाई अंबानी

सभी लोग इस बच्चे को धीरू बुलाते हैं। अब धीरू 5 साल का हो चुका है और अब इसकी एज हो चुकी है। स्कूल में पढ़ने वाली और इसलिए हीराचंद जी धीरू को लेकर अपने गांव के सबसे सस्ते स्कूल बहादुर काजी स्कूल के अंदर लेकर गई है और उन्होंने धीरू का एडमिशन यहाँ पर करवा दिया है। अब स्कूल में बढ़ते बढ़ते धीरूभाई अंबानी हो चुकी है 16 साल की और इनको लीडरशिप करना बहुत पसंद है। ये स्कूल की फीस कम करवाना, फार्मर्स को औरतों को राइट्स दिलाना ऐसे प्रोटेस्ट में जाते रहते हैं। ये अच्छा काम तो कर रही है लेकिन इससे घर तो नहीं चलता ना?

अब हीराचंद जी के पांच बच्चे हो चुके हैं और ये अपने स्कूल की सैलरी से घर नहीं चला पा रहे हैं और धीरू भाई अंबानी गरीबी की जिंदगी जी जी कर परेशान हो चुके हैं इसलिए धीरू भाई अंबानी ने स्कूल के अन्दर जाकर अपनी टी सी ले ली है। यानी कि वो अपने स्कूल से हट चुकी हैं और ये करके वो अपने घर पर वापस आ चुके हैं। धीरू भाई अंबानी के पिता को ये चीज़ पता चल चुकी हैं और ये चीज़ सुनकर उन्होंने धीरू भाई अंबानी को अच्छे से डांट और मार लगाई हैं लेकिन धीरू भाई अंबानी का कहना हैं की मैं इस स्कूल के अन्दर नहीं पढूंगा बल्कि मैं अपना धंधा करूँगा।

धीरूभाई अंबानी जब स्कूल में पढ़ रहे थे, तब इनको हर महीने कुछ रुपये की पॉकेट मनी इनके पिता दिया करते थे और धीरूभाई अंबानी को खर्च नहीं करते थे, बल्कि उसको अपनी इस गुल्लक के अंदर डाल देते थे। अब उन्होंने पैसा निकालने के लिए अपनी इस गुल्लक को तोड़ दिया और यह पैसा लेकर अपने घर से बाहर चले गए।

अब यह ढूंढ रही है कि कैसे पैसा कमा सकते है। चलते चलते यह आ गए है। अपने गांव के इस मंदिर के पास इस मंदिर में पहले तो कोई आता नहीं था, लेकिन अब इसके बाहर कई लोगों की भीड़ लगी हुई है। धीरूभाई अंबानी जानते हैं कि अब चल रहा है फरवरी का महीना और इस महीने के अंदर किसी प्राचीन मान्यता की वजह से यहाँ पर कई श्रद्धालु आते हैं और धीरूभाई अंबानी ये भी जानते हैं कि इन लोगों को लाइन में खड़े खड़े बहुत भूख भी लग जाती होगी।

इसलिए धीरूभाई अंबानी ने अपने सारे पैसे से ठेला खरीद लिया है और उसको इस मंदिर के पास में लगा लिया है। अब इनको ठेला लगा कर पकोड़े बेचते हुए 10 दिन हो गए है और इससे इन्होंने अच्छा मुनाफा कमाना स्टार्ट कर दिया है। आज सुबह इनके पास में ये इंसान आ चुका है जो कि इनके पापा का दोस्त है। इस इंसान का धीरूभाई अंबानी का कहना है कि बेटा तुम्हारे पापा टीचर हैं, ये क्या छोटा काम कर रहे हो? धीरूभाई अंबानी ने जवाब दिया। धंधा कोई भी छोटा नहीं होता।

धीरूभाई अंबानी काम करने के लिए गए यमन:

धीरूभाई अंबानी
धीरूभाई अंबानी

अब इस काम को करते हुए 15 दिन हो चूके हैं और लोगों ने मंदिर में आना बंद कर दिया है। इसलिए धीरू भाई मानी ने अपने ठेले को बेच दिया है और सारे पैसे को अपने बैंक में रख दिया है। अब ये पैसा कमाने का कोई और तरीका ढूंढ रहे है। अब इनको पता चल चुका है कि यमन के अंदर इंडिया से कई गुना ज्यादा पैसा बनता है और धीरूभाई अंबानी ने कई लोगों से जिनकी फैम्ली के लोग यमन गए हैं, उनसे इस चीज़ को कन्फर्म भी कर लिया है।

अब धीरू भाई अंबानी ने अपने पिता को कन्विंस करके उनकी सारी जिंदगी सेविंग को यूज़ करके यमन जाने के लिए टिकट और वीजा खरीद लिया है और अब धीरू भाई अंबानी 16 साल की उम्र में यमन आ चूके हैं और इन्होंने इस शेल कंपनी के पेट्रोल पंप पर काम करना स्टार्ट कर दिया है।

अब इस पेट्रोल पंप पर कोई भी इंसान अगर अपनी गाड़ी लेकर ₹100 का पेट्रोल भरवाने आ रहा है ना तो धीरूभाई अंबानी उस इंसान को कह रहे हैं कि सर आप के पास में इतनी बड़ी गाड़ी है, इतने बड़े आप इंसान हो, ₹100 का पेट्रोल भरवाओगे ये तो जल्दी खत्म हो जाएगा, फिर आपको वापस आना पड़ेगा, इसलिए आप ₹1000 का पेट्रोल भरवा लो।

इसलिए इन्होंने इस पेट्रोल पंप का प्रॉफिट कई गुना बढ़ा दिया है। और इस चीज़ से खुश हो कर पेट्रोल पंप के मालिक ने इनको पेट्रोल पंप का मैनेजर बना दिया है। ये शाम तक पेट्रोल पंप में काम करते हैं और बाद में इनके पास में टाइम बच जाता है। इस टाइम में भी काम करने के लिए इनको काम पसंद आया है क्लर्क का। इसलिए इस कंपनी के अंदर चले गए हैं।

क्लार्क का काम करने के लिए इंटरव्यू ने धीरू भाई अंबानी से कहा कि तुम तो साल की हो, तुम क्या काम करोगी? धीरूभाई अंबानी ने कहा कि 16 साल का हु, लेकिन अगर मुझे 60 साल के लोगों से भी ज्यादा है, इंटरव्यू ने पूछा कि तुम्हारे पास में तो डिग्री भी नहीं है? धीरूभाई अंबानी ने कहा कि मुझे डिग्री की जरूरत ही नहीं है। मैं क्यों अपना टाइम स्कूल के अंदर यूनिवर्सिटी के अंदर वेस्ट करूँ? और उस टाइम में पैसा न कमाऊं।

मैं यहाँ पे नौकरी लेने आया हूँ क्योंकि मैं बेस्ट हूँ। मैं आपके लिए एक हफ्ता फ्री में काम करूँगा और मैं आपको गैरॅन्टी देता हूँ की छह महीने के अंदर आप जो भी सेल्स टारगेट सेट करोगे वो मैं तोड़ दूंगा। मैं यहाँ पे पैसा कमाने आया हूँ, आप मुझे नौकरी दो, मैं खुद अमीर बनूँगा, आपको अमीर बनाऊंगा और हम दोनों मज़े करेंगे। ये कहने पर तुरंत ही धीरू भाई अंबानी को क्लार्क की जॉब भी मिल गई और उन्होंने 1 दिन में दो जॉब्स करनी स्टार्ट कर दी।

अब दोस्तों काम करते हुए चाय पीने की जरूरत पड़ती है। धीरू भाई अंबानी के पास में दो ऑप्शन है। तो ठेले पर 10 पैसे की चाय पिए या फिर फाइव स्टार होटल में जाकर ₹1 की चाय पिए। धीरूभाई अंबानी रोज़ ₹1 खर्च करके फाइव स्टार होटल में चाय बीते हैं ये सुनने के लिए कि वहाँ पे अमीर लोग काम क्या करते हैं? आज भी सेम ही दिन है। आज भी ये उसी फाइव स्टार होटल में बैठकर ₹1 की चाय पी रही हैं। इनके साइड में बैठे हुए दो लोग बात कर रहे हैं कि यार जो हमारी यमन कन्ट्रीज के अंदर ये चांदी का रियाल सिक्का चलता है।

इसमें जो चांदी होती है वो इस सिक्के से भी महंगी होती है। ये ₹100 के सिक्के में ₹110 की चांदी है। इसको पिघलाने लग जाए तो उसको मज़ा आ जाए।

ये दो लोग तो इस चीज़ के बारे में मजाक में बात कर रहे थे लेकिन धीरूभाई अंबानी ने इस चीज़ को सीरियस ले लिया है और अपनी सारी यमन की कमाई से चीजों को पिघलाने के लिए ये मशीन खरीद ली है और इससे धड़ाधड़ सिक्कों को पिघलाकर उनको चांदी में कन्वर्ट करना स्टार्ट कर दिया है और इस चांदी को सुनारों को बेचना स्टार्ट कर दिया है और देखते देखते उन्होंने यमन के लाखों सिक्के पिघला दिए हैं, क्योंकि लाखों रुपए के सिक्के पिघलाने पर ₹10,000 का प्रॉफिट होता है।

लेकिन वहीं पे दूसरी तरफ यमन की सरकार ये सोच कर परेशान हो गई है, की हमारे सारे सिक्के कहाँ पर गए? इन्होंने ये जानने के लिए इन्वेस्टिगेशन करनी स्टार्ट कर दी है और कई महीनों की इन्वेस्टिगेशन के बाद में इनको पता चला है कि लड़का ये काम कर रहा है क्योंकि तब तक धीरू भाई अंबानी की उम्र 18 साल की हो चुकी थी। इसलिए जब धीरू भाई अंबानी की अड्डे पर पुलिस ने पकड़ने के लिए पहुंची तब उन्हें पता चला कि ये लड़का तो यहाँ से फरार हो चुका है और अब धीरू भाई अंबानी सारे पैसे को लेकर इंडिया आ चुके है।

धीरूभाई अंबानी ने शादी कर ली और मुंबई आ गए:

धीरूभाई अंबानी
धीरूभाई अंबानी

अब धीरू भाई अंबानी 26 साल की उम्र में यमन से फ्लाइट पकड़कर आ चुके है मुंबई के अंदर और यहाँ से गुजरात जाने वाली लोकल ट्रेन के डिब्बे में बैठकर आ चुके हैं अपने गुजरात के चोरवाड़ गांव में वापस इनका स्वागत करने के लिए इनकी पूरी फैम्ली और गांव के कई  लोग आये हैं और इनके स्वागत के लिए ढोल बजाए जा रहे हैं और इनको मालाएं पहनाई जा रही हैं।

इसी शोर शराबे के बीच धीरूभाई अंबानी के पिता आ गए हैं और इन्होंने सारा ढोलढमका बंद करवा दिया है और इनके पिता पूछ रहे हैं की तू यमन से इंडिया आ गया? बहुत बढ़िया बात है लेकिन कहीं तू वहाँ की नौकरी तो नहीं छोड़ आया? धीरू भाई अंबानी ने कहा कि मैं नौकरी छोड़ आया हूँ। सुनते ही भीड़ में खड़े सभी लोगों के चेहरे उतर गए और इनके पिता ने इनके थप्पड़ मारा।

फिर धीरूभाई अंबानी उठे और धीरूभाई अंबानी ने कहा कि अगर मैं यमन में नौकरी करके अपनी जिंदगी बदल सकता हूँ तो मैं भारत के अंदर अपना धंधा करके भी आप सभी लोगों की जिंदगी बदल सकता हूँ और ये चीज़ मैं करूँगा इसकी मैं गारंटी देता हूँ। इनके दोस्तों और रिश्तेदारों ने इनको कहा कि तू धंधा करके महीने के ₹12 रूपए भी नहीं कमा पाएगा। यह सुनकर सभी लोग चले गए।

अपने अपने घर पर अब धीरू भाई अंबानी ने गांव के अंदर रहना स्टार्ट कर दिया है। गांव के अंदर इनकी एक गर्लफ्रेंड कोकिला बहन भी रहती है। यह साल से इनकी गर्लफ्रेंड है और अभी 28 साल की हो चुकी है। यह बेचारी पिछले 10 सालों से कुंवारी बैठी है और उन्होंने पिछले 10 सालों में किसी और लड़के के साथ में बात तक नहीं की। धीरूभाई अंबानी ने अपने अच्छे पल इनके साथ में बिताने स्टार्ट कर दिए हैं और आज इनका पांचवा दिन है। गांव के अंदर रहते हुए आज सुबह भी ये अपनी गर्लफ्रेंड कोकिला बहन के साथ में है।

धीरू भाई अंबानी ने कहा कि मैं जा रहा हूँ मुंबई धंधा करने कोकिला बहन ने कहा कि क्या तुम मुझे पहले की तरह ही छोड़कर चले जाओगे? धीरू भाई अंबानी ने कहा नहीं ।

धीरू भाई अंबानी ने दोपहर के अन्दर कोकीला बैन से शादी कर ली है। और अब ये शाम को दोनों सभी लोगों को विदा कहकर चले गए हैं मुंबई। धीरू भाई अंबानी को क्लियर है कि उन्हें कपड़ा बेचने का व्यापार करना है। यानी कि सस्ते दामों पर कपड़े को खरीदेंगे, उससे चीजें बनाएंगे और उसको महंगे दाम बेचेंगे।

धीरूभाई अंबानी की फैमिली पहले भी बहुत अमीर थी लेकिन:

Dhirubhai Ambani
Dhirubhai Ambani

धीरूभाई अंबानी की फैमिली पहले बहुत ही अमीर हुआ करती थी, लेकिन बाद में बहुत ही गरीब हो गए। यह कैसे हुआ यह समझाने के लिए मैं भी आपको लेकर आ चुका हूँ 1925 में। यह मुंबई के अंदर रहने वाले हीराचंद्र गोवर्धनभाई अंबानी ये करोड़पति बिजनेसमैन हैं।

इनको साल की उम्र में ही इनको मुंबई के एक बहुत ही अमीर घराने की लड़की जमनाबेन से प्यार हो गया है और 20 साल की उम्र में इनकी जमना बेन के साथ में शादी हो गई है। लेकिन उसके 1 साल बाद कुछ ऐसा हुआ जिससे धीरूभाई अंबानी के पिता का बिज़नेस बर्बाद हो गया और इन दोनों को गुजरात के चोरवाड़ में जाकर बसना पड़ा।

धीरूभाई अंबानी ने मुंबई जाकर यह काम शुरू किया:

Dhirubhai Ambani
Dhirubhai Ambani

यानी कि धीरूभाई अंबानी के भले माता और पिता गरीब हैं, लेकिन इन दोनों के ही रिश्तेदार बहुत ही अमीर हैं और मुंबई के अंदर रहते हैं। अगर कपड़े का व्यापार करना है तो उसके लिए पैसा भी तो चाहिए लेकिन धीरू भाई अंबानी के पास में पैसा नहीं है। इसलिए उन्होंने अपनी मम्मी के साइड से कज़िन चंपक लाल दमानी के साथ में पार्टनरशिप करके बिज़नेस करने का प्लान बनाया है।

सबसे पहले जरूरी है सिंथेटिक कपड़े को खरीदना और ये कपड़ा बिकता है। इस फैक्टरी के अंदर अब धीरू भाई अंबानी फैक्टरी के अंदर आ चुके है और यहाँ पर इनको पता चल चुका है कि यहाँ पर कपड़ा खरीदने वालों की यूनियन है और ये किसी भी नए इंसान को एंटर नहीं करने देते। इसलिए धीरू भाई अंबानी को फैक्टरी से धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया है और कहा गया है कि पहले यूनियन के हेड अजान को लाखों रुपए देकर तुम्हें यहाँ पर कपड़ा खरीदने की परमिशन लेनी पड़ेगी। ऐसा करना है तो कल शाम को

6:00 बजे पास के गोल्फ फील्ड के अंदर जाना और अज़ान से जाके मिल लेना। अब आ गया है अगला दिन और बज गए है 6 और धीरूभाई अंबानी गोल्फ फील्ड के अंदर आ चुके हैं। धीरूभाई अंबानी ने अजान को बताया कि मैं आपसे परमिशन लेना चाहता हूँ। यहाँ से कपड़ा खरीदने के लिए अजान ने टोटल ईयर के बता दिया कितने लाख रुपये लगेंगे ये सुन के धीरू भाई अंबानी अब इसको समझा रहे हैं कि आप ये इतने लाख रुपये भी तो कमाई करने के लिए ले रहे हो।

आप मेरे को एक बार कपड़ा खरीदने की परमिशन दे दो। मैं इन पांच तरीकों से यूनियन की कमाई बढ़ा दूंगा और आपको लाखों नहीं करोड़ों रुपये मिल जाएंगे।

अजहर ने कहा, ये ले धीरू गोल्फ स्टिक पकड़ यहाँ से 100 फुट आगे वो एक छोटा सा खड़ा है, सिर्फ एक बारी के अंदर इस बॉल को इस खड्ढे के अंदर डाल दे डील पक्की। धीरू भाई अंबानी ने अपने हाथ से बॉल उठा ली है और 100 फुट आगे जाकर अपने हाथ से इस छोटे से खड़े के अंदर बॉल को डाल दिया है क्योंकि अजान ने ये नहीं कहा था कि बॉल को स्टिक से ही खड़े के अंदर डालना है और ये करते ही इनको परमिशन मिल गई है। अब धीरू भाई अम्बानी कपड़ा खरीदकर आगे बेच रहे हैं और अपना प्रॉमिस नीभा रहे हैं।

धीरूभाई अंबानी ने सारे यूनियन वालों को समझाया है कि ये पूरे एरिया की सिर्फ एक लौती, सिंथेटिक फाइबर बनाने वाली फैक्टरी है। हम सिर्फ नाम की यूनियन होने की वजह से अलग अलग रेट पर इस फॅक्टरी से कपड़ा खरीदते हैं और आगे अलग अलग रेट पर बेचते हैं। लेकिन हम कई लोग मिलकर भी ये 15 बड़े लोगों की यूनियन को ही भेजते हैं जो कि हमसे सस्ते में कपड़ा खरीदते हैं। यानी की फैक्टरी वाले अपने यूनियन बनाकर हमें महंगा कपड़ा बेच रहे हैं और खरीदार यूनियन बनाकर हम से सस्ते में कपड़ा खरीद रहे हैं और हम सबसे ज्यादा मेहनत करते हैं।

लेकिन तब भी हम सब गरीब है तो चलो एक असली यूनियन बनाते है। अब इन सभी लोगों ने मिलकर फॅक्टरी वालों को कह दिया है कि अब स्वयं आधे रेट के अंदर कपड़ा खरीदेंगे। फैक्टरी को ऐसा करना भी पड़ रहा है और फैक्टरी से आधे रेट में कपड़ा खरीदकर ये खरीदारों के इस कपड़े को दोगुना रेट में बेच रहे है। इससे इन सभी लोगों की कमाई चार पांच गुना बढ़ गई है और धीरू भाई अंबानी पूरी यूनियन के मसीहा बन गया है। लेकिन इस चीज़ का मुम्बई के सभी बड़े लोगों को पता चल चुका है और इस सरपत्ति ने ये आई एस ऑफिसर को पैसा देकर जीस जगह पर बोली लगती है।

वहाँ पर ताला लगा दिया है और आई ए एस ऑफिसर ने सभी को कह दिया कि तुम सभी लोग सट्टा लगाते हो और ये इल्लीगल है। लेकिन पर्दे के पीछे ये अरबपति इस फैक्टरी से डायरेक्ट कपड़े को खरीद रहा है और आगे ग्राहकों को बेच रहा है और ऐसा होने की वजह से सारे यूनियन वाले गरीब हो गए हैं। लेकिन धीरू भाई अंबानी को पता है कि ये चीज़ सट्टा नहीं है और ये आई ए एस ऑफिसर झूठ बोल रहा है। धीरू भाई अंबानी ने सारी यूनियन वालों को कहा कि चलो अब इसका इलाज करते है और अब ये सभी लोग अपने सारे कपड़े इस ओफीसर के घर छोड़ आए हैं।

इसका पूरा घर इन बोगियों से भर गया है। 2 घंटे में इस आई एस ऑफिसर के घर पे इसके बड़े साहब आने वाले हैं। आते ही उनको इसकी एक करतूत का पता लग जाएगा और इसकी नौकरी जाएगी। इसलिए सिर्फ 10 मिनट में ही धीरू भाई अंबानी के सामने हाथ जोड़कर इसने बोली लगने वाली जगह का ताला खोल दिया है। अब अपने कपड़े की बोरियां वापस लाकर ये लोग गेम के अंदर वापस उतर गए हैं और अब इस चीज़ को करते हुए इनको 8 साल हो गए हैं और इन आठ सालों के अंदर जिन कपड़ा खरीदने वाले गरीब लोगों के पास

साइकिल का पैसा नहीं होता था वो आज मेर्सिडीस के अंदर घूम रहे है और इसी चीज़ का सेलेब्रेशन करने के लिए धीरूभाई अंबानी इनको पार्टी दे रही है और इन्होंने स्टेज भी लगवाया है। स्पीच देने के लिए अब 2 घंटे बाद धीरू भाई अंबानी स्टेज पर चढ़ गए है और उन्होंने सबको बोल दिया है कि पहले हम दूसरे की फैक्टरी से कपड़ा खरीद रहे थे।

धीरूभाई अंबानी ने गुजरात में फैक्ट्री खोली:

Dhirubhai Ambani

अब खुद की फैक्टरी लगाएंगे गुजरात के अंदर। यह सुनते ही सारे यूनियन वाले लोग नाचने लग गए हैं, पागल हो गए हैं और अब 1 घंटे की स्पीच देने के बाद धीरू भाई अंबानी स्टेज से उतर आए है। स्टेज से उतरते ही इनके बिज़नेस पार्टनर चंपकलाल दमानी इनको कह रहे है की तू बर्बाद हो जाएगा, ये फॅक्टरी तुझे ले डूबेगी और ये बोल कर चंपक लाल दुमानी ने ये पार्ट्नरशिप खत्म कर दी है और अब फॅक्टरी सेटअप करने से पहले इन्होंने हर पोलिटिकल पार्टी के हर तगड़े पॉलिटिशियन के साथ में कनेक्शन बना लिए हैं ताकि इनकी पावर बढ़ जाए और जो चीजें चाहते हैं वही हो।

धीरू भाई अंबानी ने इसके बावजूद गुजरात के नरोदा में ये फैक्टरी खड़ी कर दी है और सारे यूनियन वाले मुंबई को छोड़कर धीरू भाई अंबानी के साथ काम करने के लिए गुजरात आ गए हैं।

धीरुभाई अंबानी ने अपने गांव के लोगों को कहा था कि मैं धंधा करके तुम्हारी जिंदगी बदलूंगा। इसी चीज़ को पूरा करने के लिए इन्होंने अपनी कपड़ा बनाने की फॅक्टरी को बिल्कुल अपने गांव के पास में बनाया है और इससे इनके गाँव के जो लोग बेरोजगार थे, अब इनकी फॅक्टरी के अंदर काम करके लाखों की कमाई कर रहे हैं, लेकिन जैसा होना चाहिए था वैसा हुआ नहीं। सभी फॅक्टरी वालों को पता था कि ये अगर हमारी गेम में आ गया तो ये हमें बर्बाद करके रख देगा। इसलिए दूसरी फैक्टरी वालों ने इनको मिलकर महंगा कपड़ा भेजना स्टार्ट कर दिया।

और इससे इनकी फॅक्टरी और ये खुद बर्बाद होने लग गये। लेकिन फिर सरकार ने लाया रीप्लेनिशमेंट लाइसेंस पहले अगर कोई कंपनी बाहर के देशों से कपड़ा मंगवाती थी तो इंडिया की गवर्नमेंट उसके ऊपर बहुत ज्यादा टैक्स लगाती थी, जिससे वो बहुत ही महंगा पड़ता था। लेकिन इस लाइसेंस के अंदर ये कहा गया की अब बाहर के देशों से बहुत ही सस्ते दाम पर कपड़ा मांगा सकते हो लेकिन आप उस कपड़े से कुछ बनाकर वापस बाकी देशों के अंदर बेचना पड़ेगा और सभी लोगों ने ये चीज़ को करना स्टार्ट कर दिया।

अब धीरू भाई अंबानी को भी एक आइडिया आ गया है और उन्होंने अपने सारे पैसे से बाहर के देशों से बहुत ही सस्ते दामों पर कपड़ा खरीद लिया है और इस कपड़े से उन्होंने शर्ट्स, टी शर्ट्स और सारी अमरानी स्टार्ट कर दीया है और इन सारे कपड़ों को इस स्टॉक के अंदर रखते जा रहे हैं। कंपनी वाले इनको कह रहे हैं कि कपड़ों को बेचे हुए तो सही। धीरू भाई अंबानी कह रहे हैं कि इस चीज़ के बारे में किसी को भी बताओ मत और वेट करो। जैसे जैसे कपड़े छपते जा रहे हैं और धीरू भाई अंबानी ट्रकों वालों के साथ में डील करके ट्रकों को किराये पर लेते जा रहे हैं।

और ये डेली ट्रक को खरीद भी रही हैं। ये करते ही सभी लोगों ने इनको कहा कि जब अमीरों की बात होती है तब लोग टाटा बिरला का नाम लेते हैं। अंबानी का कोई नहीं लेता, तुझे कोई जानता नहीं है तो तेरे कपड़े भी नहीं बिकेंगे। धीरूभाई अंबानी ने सामने से कहा कि एक ऐसा टाइम आएगा जब टाटा बिरला से भी पहले मेरा नाम लिया जाएगा। अब इनकी फैक्टरी के अंदर हो गई है लाखों कपड़े। उन्होंने अपने ब्रांड का नाम रखा है विमल और उन्होंने अपने सारे कपड़ों को ट्रकों के अंदर डालकर इंडिया के कपड़ों के व्यापारियों के पास पहुंचा दिया है।

ये इन कपड़ों को कौड़ियों के दाम पर बेच रहे हैं और इनकी क्वालिटी नॉर्मल कपड़ों से कई गुना अच्छी हैं। अब हो चुकी हैं सुबह और सभी कपड़ों की दुकान वालों ने विमल के कपड़े बेचने स्टार्ट कर दिए हैं। ये कपड़े इतने सस्ते और अच्छी क्वालिटी के हैं कि कपड़ा बेचने वाले लोगों की दुकानों के बाहर कई लोगों की लाइनें लग गई हैं और कई कई दुकानदारों की एक ही दिन के अंदर हजारों कपड़े बिक गये हैं।

इसका रिस्पांस देखते हुए शाम तक ही धीरू भाई अंबानी ने इन दुकानों में और कपड़े भिजवा दिए हैं और दुकान वालों ने भी तुरंत ही खरीद लीये है। अब सिर्फ दो दिनों के अन्दर ही विमल इतना बड़ा ब्रांड बन गया है कि कोई इंसान बाकी कंपनी से कपड़ों को हाथ नहीं लगा रहा।

धीरूभाई अंबानी ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को जवाब देने के लिए जो कि कहते थे कि इसका बाप धंधा करके बर्बाद हो गया। ये धंधा करके महीने के ₹12 नहीं कमा पाएगा, ये ₹12,00,00,000 की रोल फैंटम खरीदी है। सभी फैक्टरी के मालिक मिलकर बात कर रहे हैं कि हम जो पढ़े लिखे और समझदार लोग जो काम 80 साल में नहीं कर पाए वो काम यह पकौड़े बेचने वाले देसी से लड़के ने 2 साल के अंदर कर दिया और सभी कपड़ा बनाने वाली फैक्टरी की हालत खराब हो गई।

क्योंकि ये सभी लोग मिलकर लोगों को और गन्दी क्वालिटी के कपड़े बेचते थे और अब जब लोगों की दुकानें धीरूभाई अंबानी के हजारों कपड़ों से भर गयी तब इनको पता चला कि धीरूभाई अम्बानी लाइसेंस का फायदा उठा रहे हैं। ये सभी कंपनी वालों ने धीरूभाई अंबानी के ऊपर केस कर दिया है। ये कहते हुए कि रूल के हिसाब से बाहर की कंट्री से सस्ता कपड़ा मंगाना तो था लेकिन उससे कपड़े बनाकर बाहर की कन्ट्रीज के अंदर बेचने भी थे। लेकिन इन लल्लू बंजुओं से हमारा देसी छुरा धीरू भाई अंबानी कैसे रुकने वाला है?

धीरूभाई अंबानी ने कहा कि रूल के अंदर ये कब लिखा हुआ है कि बाहर की कंट्री से जितना भी कपड़ा मंगाया उससे 100% जीतने भी कपड़े बने। वो बाहर के देशों के अंदर भेजने है। दो तीन टीशर्ट डेली तो भेज रहा हूँ मैं बाहर की कन्ट्रीज के अंदर अब मेरा उखाड़ लो क्या उखाड़ सकते हो। और अब धीरूभाई अंबानी हफ्तों के अंदर ही वापस नंबर वन बन गए है। जिन अरबपतियों के धंधे धीरूभाई अंबानी ने ठप कर दिए, उन्होंने जब पैसा कमाया था तब उन्होंने सिर्फ अपनी और अपने घर वालों की जेबें भरी। लेकिन अब जब धीरू भाई अंबानी का टाइम आया

तब धीरूभाई अंबानी लोगों की जेब में भर रहे है। इन्होंने अपने गांव के अंदर रहने वाले लोगों की और अपनी कंपनी के एम्पलॉईस की तो जिंदगी बदली थी और अब ये उन बच्चों की जिंदगी बदल रहे है जो कि पैसे की वजह से पढ़ाई नहीं कर पा रहे, जो कि डिसएबल है। कोई लंगड़ा है तो कोई अंधा जो कि अनाथ है और गरीब लोगों की भी हेल्प करने के लिए ये करोड़ों की डोनेशन कर रहे है।

धीरूभाई अंबानी रिलायंस कंपनी का आईपीओ लाएं:

Dhirubhai Ambani
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अब आ गया है 1977 धीरू भाई अंबानी ने स्टॉक मार्केट के अंदर अपनी रिलायंस कंपनी का आईपीओ लिस्ट कर दिया है। धीरू भाई अंबानी के कपड़े के कपड़े इतने ज्यादा बिकते हैं इसलिए लोगों को इनके ऊपर बहुत ज्यादा ट्रस्ट है और इसलिए ये 58,000 लोगों ने धीरू भाई अंबानी की कंपनी के अंदर पैसा लगा दिया है। ऐसा करते ही ये इंडिया के सबसे फेमस बिजनेसमैन बन गए और टाटा बिरला से भी ज्यादा नाम गांव से आए लड़के धीरू भाई अंबानी का चलने लग गया।

धीरूभाई अंबानी ने पेट्रोल का बिजनेस शुरू कैसे किया:

Dhirubhai Ambani
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धीरू भाई अंबानी का प्लान है पेट्रोल का बिज़नेस करने का, लेकिन ये करने का आसानी से लाइसेंस नहीं मिलता। ये है धीरू भाई अंबानी की फैक्टरी। इसके अंदर बनता है सिन्थेटिक फाइबर जैसे की पॉलिस्टर और इसको बनाने के लिए इसमें डाला जाता है पॉलीथेल टेलीपैथलेट यानी एक तरह का पेट्रोल धीरूभाई अंबानी ने सरकार को ये बताया है कि मुझे पेट्रोल का लाइसेंस अपने कपड़ों को बनाने के लिए चाहिए और ये कहते हैं कि इनको लाइसेंस मिल गया है और अब पेट्रोल पंप में काम करने वाले लड़के ने पेट्रोल की इंडस्ट्री के अंदर भी तहलका मचा दिया है सस्ता पेट्रोल बेचकर।

धीरूभाई अंबानी को आया ब्रेन स्ट्रोक:

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अब साल आ गया है 1986 का और धीरूभाई अंबानी हो चुके है 54 इयर्स के। आज भी एक नॉर्मल साइज दिन लग रहा है। धीरू भाई अम्बानी सुबह 9:00 बजे उठे हैं। उठते ही इनको दिमाग के अंदर थोड़ा सा दर्द फील हो रहा है, लेकिन इसको भुलाकर

ये चले गए हैं अपनी पोती ईशा अंबानी के कमरे में। क्योंकि ये अपने दिन की शुरुआत तब तक नहीं करती हैं जब तक ये अपनी पोती ईशा अम्बानी का चेहरा न देख ले। अब ये आ चूके हैं अपने ऑफिस के अंदर और इन्होंने काम करना स्टार्ट कर दिया है। लेकिन अब एकदम से इनके दिमाग के अंदर खून जाना बंद हो गया है। इनके चक्कर आने लग गए हैं। इनको क्लियर देखना बंद हो गया है और ये अपने हाथ पैर को भी कंट्रोल नहीं कर पा रहे है। यह देखकर इनके ऑफिस के लोग इनके पास में भागकर आ गए हैं और इनको हॉस्पिटल ले आए है। डॉक्टर्स का कहना है कि इनको एक स्ट्रोक आया था।

अब ये कोमा के अंदर चले गए है और इनका हाथ पैरालाइज़ हो गया है और अब कोमा के दसवें दिन भी इनको होश आया है। डॉक्टर्स ने कह दिया है कि अब सब नॉर्मल जिंदगी जी नहीं पाओगे। लेकिन धीरू भाई अंबानी इनकी बात मानने वालों में से कहा है।

धीरू भाई अम्बानी ने तीन महीनों के अन्दर अपनी लाइफ स्टाइल को चेंज कर लिया है और ये वापस नॉर्मल हो गए है और अब धीरू भाई अंबानी का एक ऐसा गोल्डन एरा आ गया है कि उन्होंने कपड़े का, पेट्रोल का, टेलीगॉम और रिटेल तक का व्यापार करने वाले हजारों अरबपतियों की जो कि मिलकर लोगों को लूटते थे बंद कर दी है और इंडिया का बच्चा बच्चा धीरूभाई अंबानी का फेन हो गया है। फ़ोन, टी वि और आर्टिकल से लेकर स्कूल, घर और ऑफिस तक हर जगह पे एक ही नाम चल रहा है अंबानी।

धीरूभाई अंबानी ने दुनिया को कहा अलविदा:

Dhirubhai Ambani

अब साल 2000 आ गया है। धीरू भाई अंबानी की तबियत खराब रहनी स्टार्ट हो गई है और इनका हॉस्पिटल के अंदर फ्रीक्वेंटली आना जाना लगा रहता है और अब साल 2002 की 24 जून, धीरू भाई अंबानी को आज भी एक बहुत ही डेडली स्ट्रोक आया है और तुरंत ही इनको मुंबई के ये ब्रिज कैंडी हॉस्पिटल के अंदर ऐडमिट करवा दिया गया है। धीरू भाई अंबानी चले गए हैं।

कोमा के अंदर इंडिया के हर बच्चे से लेकर बूढ़े तक जॉब करने वाले से लेकर बिज़नेस करने वाले तक, हर इंसान यही दुआ कर रहा है की धीरू भाई अंबानी को कुछ ना हो। कोमा के अंदर इनको 7 दिन हो गए है और दिन आ गया है 6 जुलाई 2002 का और आज धीरू भाई अंबानी जो कि बहुत ही गरीब परिवार से थे लेकिन उन्होंने पूरी दुनिया हिलाकर रख दी थी। उनकी मौत हो गई है।

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