डॉक्टर भीमराव अंबेडकर: इंसानों को गुलाम बनाकर हजारों बादशाह बने हैं। लेकिन आज मैं एक ऐसे शख्स की बात करने जा रहा हूँ जिन्होंने गुलामों को इंसान बनाया है। जी हाँ, दोस्तों, मैं बात कर रहा हूँ समानता के प्रतीक कहे जाने वाले महापुरुष भारत रत्न डॉक्टर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की। जिन्होंने इस देश का संविधान बनाया, गरीब, दलितों और महिलाओं को उनका हक दिलाया और समाज के उन सभी कुरीतियों को खत्म कर दिया जो इंसान के हित में नहीं थे। बाबा साहेब का कहना था कि मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सीखाता है।
लेकिन पूरे देश के लिए इतना कुछ करने वाले महापुरुष ने शुरुआती दिनों में अपने नीचे जात को लेकर समाज द्वारा किए गए अत्याचारों को जितना झेला है शायद ही उनके अलावा कोई होगा जो उन अपमानों को भूलने के बाद आगे बढ़ते रहने की सोच रखता होगा। चलिए दोस्तों, यूं पहेलियों में बात करने से अच्छा है। कि बिना आपका समय खराब किए हम बाबा साहेब के जीवन को शुरू से थोड़ा डीटेल में जानते हैं।
Born : 14 April 1891, Dr. Ambedkar Nagar
Died : 6 December 1956 (age 65 years), New Delhi
Spouse : Savita Ambedkar (m. 1948–1956), Ramabai Ambedkar (m. 1906–1935)|
Organizations Founded : Siddharth College of Commerce & Economics – Anand Bhavan
Children : Yashwant Ambedkar
Education : Columbia University (1927)
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की शुरुआत की जिंदगी:
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में महू नाम के एक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम रामजी सतपाल था, जो भारतीय सेना में रहते हुए देश की सेवा करते थे और अपने अच्छे कार्यों की बदौलत सेना में सूबेदार की पद तक पहुंचे थे और उनकी माँ का नाम भीमा बाई था। राम जी शुरू से ही अपने बच्चों को पढ़ाई लिखाई और कड़ी मेहनत के लिए प्रोत्साहित करते थे, जिसकी वजह से अम्बेडकर को पढ़ाई लिखाई का शौक बचपन से ही था। लेकिन वे एक माहार जात से ताल्लुक रखते थे, जिसे उस समय लोग अछूत भी कहते थे।
अछूत का मतलब यह था कि अगर इस नीची जात के लोगों द्वारा ऊंची जात के किसी भी वस्त को छू दिया जाता तो उसे अपवित्र मान लिया जाता था और ऊंची जात के लोग उन चीजों को उपयोग में लाना पसंद नहीं करते थे। यहाँ तक की नीची जात के बच्चे समाज के इस बेहद ही खराब सोच की वजह से पढ़ाई लिखाई के लिए स्कूल भी नहीं जा सकते थे। लेकिन सौभाग्य से सरकार ने सेना में काम कर रहे सभी कर्मचारियों के बच्चों के लिए एक विशेष स्कूल चलाई। और इसी की वजह से अंबेडकर की शुरुआती पढ़ाई पॉसिबल हो सकी।
स्कूल की पढ़ाई लिखाई में अच्छे होने के बावजूद अंबेडकर और उनके साथ के सभी नीचे जात के बच्चों को क्लास के बाहर या फिर क्लास के कोने में अलग बैठाया जाता था और वहाँ के टीचर्स भी उन पर थोड़ा भी ध्यान नहीं देते थे। सारी हदें तो इस बात से पार हो जाती है की उन्हें पानी पीने के लिए नल तक को छूने की इजाजत नहीं थी। स्कूल का चपरासी आकर दूर से उनके हाथों पर पानी डालता था और तब जाकर उन्हें पीने के लिए पानी मिलता था और चपरासी के ना होने पर उन्हें बिना पानी के ही प्यासे रहना पड़ता था।
दोस्तों, अब आप खुद ही सोच सकते हैं कि ऐसे समाज में कौन सा बच्चा स्कूल जाना पसंद करेगा और अगर चला भी गया तो कितने दिनों तक वह वहाँ रुक पाएगा? 1894 में राम जी सकपाल के रिटायर होने के बाद उनका पूरा परिवार महाराष्ट्र के सतारा नाम की एक जगह पर चला गया। लेकिन सतारा आने के केवल 2 साल के बाद अंबेडकर की माँ की मृत्यु हो गई जिसके बाद उनकी बुआ मीराबाई ने कठिन परिस्थितियों में उनकी देखभाल की। राम जी सतपाल और भीमा बाई के 14 बच्चों में केवल तीन बेटे बलराम, आनंद राव और भीमराव और तीन बेटियां।
मंजुला, गंगा और तुलसा इन कठिन हालातों में जीवित बच पाए। और अपने भाइयों और बहनों में केवल भीमराव अंबेडकर ही समाज को अनदेखा करते हुए पढ़ाई में सफल हुए और फिर आगे की पढ़ाई जारी रख सके।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने असंभव को संभव कर दिखाया:
1897 में अंबेडकर ने बम्बई के एलफिंस्टन हाई स्कूल में एडमिशन लिया। और उस स्कूल में छोटी जाति के सबसे पहले छात्र बन गए। 1907 में अंबेडकर ने अपने हाईस्कूल की परीक्षा पास की। जीस सफलता से उनके जात के लोगों में एक ख़ुशी की लहर दौड़ गई। क्योंकि उस समय हाई स्कूल पास होना बहुत बड़ी बात थी और वो भी एक अछूत का पास होना तो आश्चर्यजनक था। इस सफलता के लिए अर्जुन केलूस्कर ने अम्बेडकर को अपनी लिखी हुई किताब गौतम बुद्ध की जीवनी पुरस्कार के तौर पर दी। दोस्तों बता दूं कि श्री केलोस्कर एक मराठा जाति के विद्वान थे।
उसके बाद से अम्बेडकर ने पढ़ाई लिखाई के क्षेत्र में सभी रिकॉर्ड्स को तोड़ते हुए 1912 में इकोनॉमिक्स और पोलिटिकल साइंस में अपनी डिग्री प्राप्त की और फिर 1913 में स्कॉलरशिप प्राप्त करते हुए। पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए अमेरिका चले गए और फिर वहाँ कोलंबिया यूनिवर्सिटी से 1915 में एम ए की डिग्री ली। फिर अगले ही साल 1916 में उन्हें उनके एक रिसर्च के लिए पी एच डी से सम्मानित किया गया। इस रिसर्च को उन्होंने एक किताब ‘ईवॉल्यूशन ओफ प्रोविंशियल फनैन्स इन ब्रिटिश इंडिया’ के रूप में प्रकाशित किया।
अपनी डॉक्टरेट की डिग्री लेकर सन 1916 में अंबेडकर लंदन चले गए। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में कानून यानी लॉ की पढ़ाई और अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की तैयारी के लिए अपना नाम लिखवा लिया। लेकिन अगले ही साल स्कॉलरशिप खत्म होने के चलते मजबूरन उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर भारत वापस लौटना पड़ा। उसके बाद भारत आकर उन्होंने क्लर्क और अकाउंटेंट जैसी कई सारे जॉब की। फिर 1920 में अपनी बचाए हुए पैसे और दोस्त की मदद से फिर से इंग्लैंड चले गए।
जहाँ 1923 में उन्होंने अपना रिसर्च ‘प्रॉब्लम ऑफ़ दी रूपी’ या हिंदी में कहें तो रुपए की समस्या को पूरा किया। और फिर उन्हें लंदन यूनिवर्सिटी द्वारा डॉक्टर ऑफ़ साइंस की उपाधि दी गई।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में लगा दिया:
उसके बाद से उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज की सेवा में झोंक दिया। वे भारत के स्वतंत्रता के कई सारे अभियान में शामिल हुए। दलितों की सामाजिक आजादी और भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए उन्होंने बहुत सारी किताबें भी लिखी, जो पूरे समाज में बहुत ही प्रभावशाली साबित हुई। 1926 में वो बम्बई विधानसभा परिसर के सदस्य बन गए। 13 अक्टूबर 1935 को अंबेडकर को सरकारी लॉ कॉलेज का प्रिन्सिपल बनाया गया और इस पोस्ट पर उन्होंने दो सालों तक काम किया। 1936 में अंबेडकर ने स्वतंत्र लेबर पार्टी के स्थापना की, जो 1937 में केंद्रीय विधानसभा चुनाव में लड़ी और 15 सीटें जीती।
1941 और 1945 के बीच में उन्होंने बहुत सारी विवादित किताबें प्रकाशित की, जिनमें थॉट्स ऑन पाकिस्तान भी शामिल हैं। इस किताब में मुसलमानों के लिए एक अलग देश पाकिस्तान बनाने की मांग का उन्होंने जमकर विरोध किया था। अंबेडकर का भारत को देखने का नजरिया बिल्कुल ही अलग था। वे पूरे देश को बिना अलग हुए देखना चाहते थे। इसीलिए उन्होंने भारत के टुकड़े करने वाले नेताओं के नीतियों का जमकर आलोचना किया।
15 अगस्त 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद अंबेडकर पहले कानून मंत्री बने और बिगड़ती सेहत के बावजूद उन्होंने एक ठोस कानून भारत को दिया और फिर उनका लिखा हुआ संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ और इसके अलावा भीमराव अंबेडकर के विचारों से भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना भी हुई। आखिरकार राजनीतिक मुद्दों से जूझते हुए अंबेडकर का स्वास्थ्य दिन व दिन खराब होता चला गया और फिर 6 दिसंबर 1956 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
लेकिन दोस्तों, इसके पहले उन्होंने समाज की सोच को काफी हद तक बदल दी, गरीब दलितों और महिलाओं को उनका हक दिलाया और हमारे देश के लिए इतना कुछ किया कि उनके एहसानों को हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं।
आप का बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आपको यह कहानी कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताएं, धन्यवाद।
अन्य खबरें:
पूरा ब्लॉग संक्षिप्त में पढ़िए:
1. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन में गरीबी, उत्पीड़न और असमानता के खिलाफ लड़ा।
2. उन्होंने शिक्षा में अपनी उन्नति के लिए कठिनाईयों का सामना किया, लेकिन वे हार नहीं माने।
3. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन में शिक्षा को महत्व दिया और बौद्ध धर्म का अनुसरण किया।
4. उन्होंने भारतीय समाज में समाजिक सुधार के लिए कई अभियान चलाए।
5. अंबेडकर ने भारतीय संविधान का मुख्य निर्माता बनकर अपने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
6. उन्होंने दलित समुदाय के हित में कई कानून पारित किए।
7. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की रचनाएँ और विचारों ने भारतीय समाज में जागरूकता फैलाई।
8. उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की, जिसका महत्व आज भी है।
9. अंबेडकर ने अपने जीवन में समर्थन, संघर्ष और समर्पण की मिसाल पेश की।
10. उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों का सामना करके भी अपने लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
डॉ भीमराव अंबेडकर के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):
1. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म कब हुआ था?
– डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था।
2. डॉक्टर अंबेडकर ने किस क्षेत्र में अपनी पढ़ाई पूरी की थी?
– डॉक्टर अंबेडकर ने अपनी पढ़ाई में इकोनॉमिक्स और पोलिटिकल साइंस में डिग्री प्राप्त की थी।
3. भारतीय संविधान कब लागू हुआ था और किसने इसे तैयार किया था?
– भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था और इसे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने तैयार किया था।
4. डॉक्टर अंबेडकर ने किन-किन क्षेत्रों में अपनी किताबें लिखी थीं?
– डॉक्टर अंबेडकर ने इतिहास, समाज, धर्म, राजनीति और अर्थशास्त्र जैसे कई क्षेत्रों में अपनी किताबें लिखी थीं।
5. डॉक्टर अंबेडकर के प्रमुख कार्यों में से कुछ नाम बताएं।
– डॉक्टर अंबेडकर के प्रमुख कार्यों में संविधान निर्माण, दलितों के अधिकारों की लड़ाई, भारतीय समाज में समानता के लिए जागरूकता फैलाना, और भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना शामिल हैं।