चंद्रचुर सिंह:एक ऐसे अभिनेता जिन्होंने अपनी शुरुआत ही सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की कंपनी से की थी। उनकी लोकप्रियता रातों रात ऐसी बढ़ी कि उन्होंने अपने दौर के सभी स्थापित स्टार्स को पीछे छोड़ दिया था। ना सिर्फ युवाओं में उनका क्रेज़ था बल्कि बड़े बड़े नामचीन निर्माता निर्देशक भी उन्हें अपनी फिल्मों में लेने को बेकरार रहते थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें एक फ़िल्म में चुने जाने से पहले कभी फण्ड क्राइसिस तो कभी नेपोटिस्म का शिकार होना पड़ा था और कई फिल्मों से निकाल दिया गया ।
क्या आप सोच सकते हैं कि फिल्मों में अक्टिंग करने आया ये नौजवान एक राज़ घराने से संबंध रखता था और देश के सबसे महंगे स्कूल से पढ़ कर आया था । और क्या आप यकीन करेंगे कि जब उनका करियर शीर्ष पर था तब एक मामूली से खेल में ऐसा हादसा हुआ कि उनकी जिंदगी अर्श से फर्श पर पहुँच गई? कौन थे ये अदाकार और क्यों लोग उन्हें शुरुआत में ₹250 वाला स्टार कह कर बुलाते थे? क्या था उनका इंडिया टुडे के मालिक अरुण पुरी और राजीव गाँधी से कनेक्शन और क्यों कम उम्र में ही गुमनामी के अंधेरे में खो गया बॉलीवुड का ये चमकता सितारा जायेंगे और भी बहुत कुछ, बस बने रहिये हमारे साथ।
Attribute | Details |
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Name | Chandrachur Singh |
Born | 11 October 1968 (age 55 years) |
Birthplace | New Delhi |
Spouse | Avantika Kumari |
Children | Shraanajai Singh |
Siblings | Abhimanyu Singh, Aditya Singh |
Parents | Baldev Singh |
चंद्रचुर सिंह कैसे बने रातों रात स्टार:
दोस्तों नमस्कार, 1990 के दशक में आपने एक गाना जरूर सुना होगा जिसके बोल का अर्थ बेशक ना समझ आया हो लेकिन वो गीत आप की जुबान पर जरूर चढ़ गया होगा। “चपा चपा चरखा चले…. चपा चपा चरखा चले हे चप्पा चप” ये गाना था पंजाब में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार और उसके बाद राज्य में फैले आतंकवाद पर आधारित फ़िल्म माचिस का 1996 में आई इस फ़िल्म को लिखा और निर्देशित किया था पंजाब की ही मिट्टी में पले बढ़े संपूर्ण सिंह कालरा उर्फ गुलजार ने।
फ़िल्म माचिस ब्लॉकबस्टर साबित हुई और इसके गीतों के साथ साथ इसके मुख्य अभिनेता ने भी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा था, जिसका नाम था चंद्रचुर सिंह। इस अभिनेता की ये पहली रिलीज़ फ़िल्म थी जिसने इसे रातों रात स्टार बना दिया। हालांकि चंद्रचुर सिंह ने इससे पहले जीस फ़िल्म में काम करना शुरू किया था उसकी कहानी जानने से पहले आपको चलना होगा थोड़ा और पीछे ज्यादा नहीं बस 1 साल यानी 1995 में।
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन जब एक्टिंग और राजनीति से थोड़ा आराम करना चाह रहे थे तो उन्होंने इसी साल एक कंपनी बनाई जिसे ABCL यानी अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड या फिर ए बी कॉर्प के नाम से पुकारा जाता था। लेकिन अभी जिक्र इसके एक ऐसे प्रोजेक्ट का जिसे इस कंपनी ने ही नहीं इतिहास नहीं भुला दिया। आश्चर्यजनक रूप से इस पूरे घटनाक्रम का जिक्र कहीं किसी भी गूगल सर्च या समाचार पत्र में भी नहीं मिलता है।
दरअसल, लगभग ₹60,00,00,000 की भारी भरकम कैपिटल मनी से शुरू की गई इस कंपनी में व्यापार जगत के दिग्गज मैनेजर अपॉइंट किए गए थे और उन्हें शुरुआत में फिल्मों के निर्माण, डिस्ट्रीब्यूशन और टैलेंट मैनेजमेंट का काम सौंपा गया था। बेहद प्रोफेशनल अंदाज में कंपनी ने एक टैलेंट हंट शुरू किया, जिसमें उस दौर में बतौर प्रोसेसिंग फीस ₹250 बैंक ड्राफ्ट या पोस्टल ऑर्डर के साथ अपनी एक्टिंग के रिकार्डेड वीडियो टेप भेजने की शर्त रखी गई थी। लाखों लोगों ने अभिनेता बनने का ख्वाब लेकर अपनी दावेदारी भेजी और ए बी कॉर्प को भारी मुनाफा भी हुआ।
लेकिन कंपनी ने अपनी अपकमिंग फ़िल्म तेरे मेरे सपने में जिन नए अभिनेताओं को चुना वो प्रतियोगिता से आये ही नहीं थे। इस फ़िल्म के मुख्य हीरोइन थी उस साल की फेमिना मिस इंडिया इंटरनेशनल प्रिया गिल और हीरो थे कई फिल्मों में ऑडिशन देकर सिलेक्टेड रहे चंद्रचुर सिंह इसी फ़िल्म से आशा सचदेव के सौतेले भाई अरशद वारसी और दूरदर्शन काउंटडाउन शो सुपरहिट मुकाबला फेम सिमरन बग्गा की भी एंट्री हुई थी। जिनकी कहानी कभी और बताएंगे अभी कहानी फ़िल्म के हीरो चंद्रचुर सिंह की, जो इस मुकाम तक कैसे पहुंचे।
चंद्रचुर सिंह की शुरुआती जिंदगी :
अलीगढ़ उत्तर प्रदेश के एक प्रतिष्ठित परिवार में 11 अक्टूबर 1900 अड़सठ को जन्म चंद्रचुर सिंह के पिता कैप्टन बलदेव सिंह एक जाने माने राजनेता थे और 1985 में अलीगढ़ से विधायक भी रहे थे। उनकी माँ उड़ीसा के एक राजघराने से ताल्लुक रखती थी। जब घराना इतना बड़ा हो तो शिक्षा दीक्षा किसी मामूली स्कूल में तो होगी नहीं, सो उन्हें भी पढ़ने के लिए देश के सबसे महंगे स्कूल में से एक दून स्कूल भेजा गया। आपको शायद मालूम होगा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और उनके भाई संजय गाँधी बेटे राहुल गाँधी भी इसी दून स्कूल में पढ़ चूके हैं।
वहाँ से निकलने के बाद उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। जब वो पढ़ाई पूरी करके कॉलेज से निकले तो उनके दो सपने थे। या तो कॉम्पिटिशन देकर आई ए एस ऑफिसर बनूं या फिर फिल्मों में जाऊं। स्मार्ट और हैंडसम तो वो थे ही, संगीत में भी उनकी गहरी रुचि थी, सो 1990 में फिल्मों में किस्मत आजमाने मुंबई चले गए। मुंबई में उनकी मुलाकात हुई निर्देशक महेश भट्ट से। उन्होंने चंद्रचुर को अपने निर्माणाधीन फ़िल्म आवारगी में असिस्टेंट डाइरेक्टर बनने का ऑफर दिया।
चंद्रचुर ने वहाँ काम किया और काफी कुछ सीखा भी, लेकिन उनका सपना तो एक्टिंग करने का था, सो उन्होंने फिल्मों में ऑडिशन देना जारी रखा। 1991 में एक फ़िल्म बन रही थी, जब प्यार किया तो डरना क्या? उन्हें अभिनेत्री सुचित्रा कृष्ण मूर्ति के ऑपोजिट लीड हीरो के तौर पर उतारा गया। लेकिन दुर्भाग्यवश आंधी शूटिंग होते होते प्रोड्यूसर को पैसे की कमी हो गई और फ़िल्म ठंडे बस्ते में चली गई। चंद्रचुर फ़िल्म स्टूडियो के चक्कर काटते रहे। और उन्हें अगली फ़िल्म मिली शोमैन सुभाष घई की सौदागर। हालांकि दुर्भाग्य ने यहाँ भी उनका पीछा नहीं छोड़ा और वो विवेक मुश्रान से रेप्लस कर दिए गए।
अब बारी थी एक्ट्रेस तनुजा की बेटी काजोल की डेब्यू फ़िल्म बेखुदी की। वहाँ भी उन्हें साइन तो कर लिया गया, लेकिन रेप्लस कर दिया गया कमल सदाना से, जो जाने माने निर्देशक ब्रिज सदाना और सईदा के बेटे थे। तो चंद्रचुर सिंह माया नगरी में मिल रही बार बार की असफलता से परेशान होकर मुंबई छोड़कर दिल्ली आ गए। दून स्कूल की शिक्षा और पिता के हाई कनेक्शन की वजह से उनकी मुलाकात इंडिया टुडे ग्रुप के मालिक अरुण पुरी से हुई। कहते हैं अरुण पुरी ने चंद्रचुर को अपने ग्रुप के स्कूल बसंत वैली में म्यूसिक टीचर के लिए जॉब दे दिए। वो बच्चों को म्यूसिक सीखा रहे थे।
चंद्रचुर सिंह को लोग क्यों कहने लगे ₹250 वाला ऐक्टर:
तभी मुंबई से जया बच्चन ने उन्हें फ़ोन पर कहा कि उन्होंने चंद्रचुर की ऑडिशन के रश देखे हैं और उन्हें अपनी अपकमिंग फ़िल्म में लीड रोल के लिए चुना है। खैर, जब चर्चा हुई चंद्रचुर के चुने जाने की तो वो फ़िल्म इंडस्ट्री के कई दिग्गज फिल्मकारों की भी निगाह में आ गए। उसी दौर में गुलजार साहब एक फ़िल्म बनाना चाह रहे थे, जिसके लिए उन्हें चंद्रचुर जैसे ही नौजवान की जरूरत थी, उन्होंने जया बच्चन से बात की तो पता चला ए बी कौर अभी फ़िल्म बनाने की जल्दबाजी में नहीं है। फिर क्या था गुलजार साहब ने माचिस के लीड रोल में चंद्रचुर को उतार।
फ़िल्म सुपर डुपर हिट रही और चंद्रचुर अपनी पहली फ़िल्म से ही स्टार बन गए। उन्हें फ़िल्मफेयर में बेस्ट मेल डेब्यू का पुरस्कार भी दिया गया था। इसके कुछ ही महीनों बाद तेरे मेरे सपने भी रिलीज़ हुई। ये फ़िल्म ए बी कॉर्प की पहली प्रोडक्शन थी। जी हाँ, वही ए बी कॉर्प जिसने यंग टैलेंट को चांस देने के लिए देश भर के लाखों लोगों से करोड़ों रुपए जमा किए थे और फिर चंद्रचुर भी फ्रेशर ही तो थे सो चुन लिए गए लोग उन्हें ₹250 वाला ऐक्टर कहने लगे। अब उन सितारों ने कॉन्टेस्ट फॉर्म भरकर अपना वीडियो भेजा था या नहीं ये कोई नहीं जानता।
बाद में एबी कॉर्प ने और भी कई फिल्मों बनाई और भारत में मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता का आयोजन भी किया और भारी नुकसान के कारण दिवालिया तक हो गई। फ़िल्म तेरे मेरे सपने कुछ खास नहीं चली। इसके बाद अगले साल उनकी फ़िल्म बेताबी आई और ये भी चल नहीं पाई।
चंद्रचुर सिंह फिल्मो हिट रही और उनके साथ हुआ हादसा:
अगले साल यानी 1998 में उन्हें श्याम घनश्याम नाम की मल्टी स्टारर फ़िल्म मिली, लेकिन वो भी बुरी तरह फ्लॉप रही। साल 1999 चंद्रचुर सिंह के लिए नई उम्मीद लेकर आया। उस साल की उनकी पहली फ़िल्म दाग बेशक मल्टी स्टारर फ़िल्म थी, लेकिन हिट रही और इसका फायदा उन्हें भी मिला। उस साल उन्हें और भी कई फिल्मों मिली जो थी दिल क्या करें और सिलसिला है प्यार का। सन 2000 में भी उन्हें फ़िल्म जोश में शाहरुख खान और ऐश्वर्या राय के साथ लीड रोल मिला।
इस फ़िल्म के फ़िल्म के निर्देशक नासिर खान के बेटे मंसूर खान थे और वो अपने कज़िन आमिर खान के साथ शाहरुख खान को उतारना चाहते थे। दोनों स्टार्स की डेट्स एक साथ ना मिल पाने के कारण उन्होंने आमिरवाला रोल चंद्रचूड़ को दे दिया। फ़िल्म हिट रही और इस साल की उनकी दूसरी फ़िल्म क्या कहना भी मल्टी स्टारर रही। इस फ़िल्म में उनके साथ सैफ अली खान और प्रीति जिंटा जैसे स्टार थे। ये फ़िल्म भी खूब चली और उन्हें कई फिल्मों एक साथ ऑफर हुई। चंद्रचुर की खुशी का ठिकाना नहीं था और वो दोस्तों के साथ छुट्टियां मनाने गोवा चले गए, लेकिन उनकी खुशियां ज्यादा नहीं टिक पाई।
चंद्रचुर गोवा के समुद्र में वाटर स्कीइंग का मज़ा ले रहे थे और अचानक वो फिसल पड़े। उन्हें खींचने वाले बोट की रफ्तार तेज थी और जीस रस्ते को पकड़कर वो स्कीम कर रहे थे। उसी में उनका हाथ फंस गया। उनकी बाह कंधे से उखड़ते उखड़ते बची और इस अक्सीडेंट ने उनका सब कुछ छीन लिया। उनके आर्म डिस्लोकेट हो गई थी जो कई ऑपरेशन के बाद भी ठीक नहीं हो पाई। वो वर्कआउट नहीं कर पा रहे थे और भारी दर्द से परेशान थे। दवाइयों की वजह से उनका वजन बढ़ने लगा और फ़िल्म प्रोड्यूसर उनसे किनारा करने लगे।
साल 2001 में उनकी फ़िल्म आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया आई जो ठीक ठाक चली। लेकिन इस फ़िल्म के हीरो गोविंदा थे और चंद्रचुर कई कलाकारों में शामिल थे। साल 2002 में उन्हें लीड रोल वाली दो फिल्मों मिली जो थी जुनून और भारत भाग्य विधाता। इनमे से जुनून तो शूट होने के बाद बंद हो गई और भारत भाग्य विधाता को दर्शकों से बढ़िया रिस्पांस नहीं मिला। कहते हैं इसके बाद चंद्रचुर सिंह को छोटे मोटे कैरेक्टर रोल के ऑफर मिलने लगे। जो उन्होंने नहीं किए और उन्होंने एक तरह से फिल्मों से संन्यास ले लिया।
इस बीच उनके कुछ पारिवारिक परेशानियां भी सामने आ गई थीं, जिनका जिक्र हम आगे करेंगे। करीब 4 साल के एकांतवास के बाद चंद्रचुर सिंह ने साल 2006 में कम बेक किया। संजय दत्त की फ़िल्म सरहद पार से इसके बाद फिर दो तीन सालों के लिए चंद्रचुर गायब रहे। वो अगली बार दिखे 2009 की बच्चों की फ़िल्म मारुति मेरा दोस्त में। ये फ़िल्म एक तरह से उनकी होम प्रोडक्शन की थी। इसके प्रोड्यूसर उनके भाई आदित्य सिंह और अभिमन्यु सिंह थे। इसके बाद चंद्रचुर सिंह ने 2011 में एक उड़िया फ़िल्म कीमती आ बंधन में मुख्य भूमिका निभाई।
फिर अगले साल यानी 2011 में वो बॉलीवुड के कई प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बने थे, जिनमें 4 दिन की चांदनी और फ़िल्म प्रेममय भी शामिल है। उस साल वो टीवी धारावाहिक सावधान इंडिया के एक एपिसोड में भी नजर आए थे। साल 2013 में वो मल्टी स्टारर फ़िल्म जिला गाजियाबाद में भी दिखे। बाद के वर्षों में उन्होंने कई छोटी मोटी फिल्मों की। साल 2020 में वो वेब सीरीज आर्या और दिल बेकरार में भी दिखे। 2022 में चंद्रचुर सिंह अक्षय कुमार की वेब सीरीज कठपुतली में भी दिखे थे और कुछ आने वाली फिल्मों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे थे।
चंद्रचुर सिंह का निजी जीवन:
अगर बात की जाए उनके निजी जीवन की तो साल 1999 में उनकी शादी हिमाचल की अवंतिका सिंह से हुई थी। कुछ सालों में उन्हें एक बेटा भी हुआ जिसका नाम संजय सिंह है। जब चंद्रचुर सिंह एक्सीडेंट की वजह से फिल्मों से दूर हुए। लगभग उसी वक्त उनकी अवंतिका से भी दूरी बनने लगी। बाद में दोनों खामोशी से अलग हो गए। अपने निजी जीवन पर कम चर्चा करने वाले चंद्रचुर सिंह ने हाल ही में एक मीडिया इंटरव्यू में कहा था कि वह एक सिंगल पेरेंट हैं। वो अपने बेटे को ज्यादा समय देना चाहते हैं और संभवतः इसी कारण फिल्मों से दूर रहते हैं।
तो दोस्तों आपको चंद्रचुर सिंह की ये उतार चढ़ाव भरी कहानी कैसी लगी? हमें कमेंट करके जरूर बताइए। अगर आपके पास इस अभिनेता से जुड़ी कोई और जानकारी हो तो वो भी कमेंट बॉक्स में लिखेगा। अब दीजिए इजाजत नमस्कार ।