कच्छ की कोयल के नाम से प्रसिद्ध गायिका गीता रबारी आज पूरे भारत में अपनी सुरीली आवाज के कारण प्रसिद्ध हो चुकी है। गुजरात की एक प्रसिद्ध सिंगर हैं।
गीताबेन के बहुत से गीत गुजरात में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में प्रसिद्ध हुए हैं। गीता रबारी का एक प्रसिद्ध गीत “रोणा शेरमा रे” पूरे भारत में प्रसिद्ध हुआ, जिससे करोड़ों लोगों ने पसंद किया और हाल ही में अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गीता रबारी का गाना श्रीराम घर आये को ट्वीट किया और ये दूसरा मौका है जब गायिका गीता रबारी के गीत की प्रशंसा पीएम मोदी ने की है। लेकिन जीवन में कई संघर्ष करने के बाद उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है जहाँ पर हर कलाकार का पहुंचने का सपना होता है।
गीता रबारी शुरुआती जीवन:
गीताबेन का जन्म 31 दिसंबर को गुजरात के कच्छ क्षेत्र में तप्पर गांव में हुआ। गीता रबारी को बचपन से ही गाने का काफी शौक था। इसके चलते उनके पिता जो सामान ढोने का काम करते थे वो गीता रबारी को लोकगीतों के कार्यक्रम में ले जाया करते थे। यही से गीता रबारी को गाने में और अधिक दिलचस्पी हुई।
गीताबेन जब पांचवीं कक्षा में पढ़ती थीं, तब से ही गीत गाया कर रही है। गीताबेन ने सबसे पहले अपने स्कूल के एक कार्यक्रम में गाना शुरू किया। फिर उन्होंने पड़ोस के एक मेले में एक स्टेज प्रोग्राम दिया। गांव और उसके बाद आस पड़ोस के छोटे कार्यक्रम में गाने के लिए जाना शुरू किया तो गीता रबारीकी सुरीली मधुर आवाज को आसपास के क्षेत्र में काफी ज्यादा लोकप्रियता प्राप्त होने लगी।
धीरे धीरे गीताबेन की आवाज को लोगों ने काफी ज्यादा पसंद किया और उन्हें भजन जागरण तथा अपने यहाँ पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में बुलाना जिसकारण गीता रबारी को थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती थी, जिससे उनका घर का खर्चा चलता था। इसके बाद गीता रबारी ने अपने स्कूल को छोड़ दिया।
गीताबेनने 10 वीं क्लास तक ही अपनी पढ़ाई की और फिर संगीत के क्षेत्र में पूरी तरीके से ध्यान देना शुरू कर दिया। धीरे धीरे गीता रबारीकी आवाज तथा इनके गाने इतने ज्यादा पॉपुलर होने लगे कि पूरे गुजरात में इनके नाम का डंका बजने लगा और लोगों ने गीता रबारी को कच्छी कोयल के नाम से भी बुलाना शुरू कर दिया। इन्टरनेट के आने के बाद तो उनकी पहचान और भी तेजी से बढ़ने लगी और इनके कई विडीओ के गाने यूट्यूब पर करोड़ों लोगों ने पसंद किया।
गीता रबारी सफलता और सामाजिक कार्य:
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गीता रबारी ने कभी भी संगीत की शिक्षा प्राप्त नहीं की। गीता रबारी ने बिना संगीत सीखे हुए इतने बड़े मुकाम को हासिल किया और एक बहुत ही बड़ी सफलता हासिल की।
बचपन में जब ये अपने गांव में भजन और गीत गाया करती थीं तो लोग इनकी काफी ज्यादा प्रशंसा किया करते थे, जिसकी वजह से गीता रबारी को एक मोटिवेशन मिलता था, जिससे ये आगे बढ़ी और आज संगीत के क्षेत्र में पूरे गुजरात का नाम रोशन कर रही है।
गीताबेन जब 20 साल की हुईं, तब इन्होंने एक गीत गाया “रोणा शेरमा रें” वो गीत काफी ज्यादा पॉपुलर हुआ। इसके बाद उन्हें पूरे भारत में प्रसिद्धि हासिल हुई और इसके बाद इन्होंने एक से बढ़कर एक संगीत लोगों के सामने प्रस्तुत किया।
गीताबेन भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से भी मिली। इनका कहना है की ये इनके जीवन का एक बहुत अमूल्य क्षण था की प्रधानमंत्री जी ने उन्हें बुलाया।
गीताबेन के रात्रि जागरण में लोग लाखों करोड़ों रुपए दान देते हैं, जो की वो गौमाता, अनाथालय या गरीब बच्चों के लिए तथा गरीब लोगों के लिए दान दे देती है। ऐसे ही प्रेरणादायक ब्लॉक को पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहे धन्यवाद।
गीता रबारी के बारे में संक्षिप्त में जाने:
– गीताबेन का जन्म 31 दिसंबर को गुजरात के कच्छ क्षेत्र में हुआ।
– गीताबेन के पिता ने उन्हें लोकगीतों के कार्यक्रम में ले जाने के लिए प्रेरित किया।
– गीताबेन ने पांचवीं कक्षा में ही गाने का शौक शुरू किया और पहला कार्यक्रम स्कूल में ही किया।
– गीताबेन रबारी बिना संगीत शिक्षा के ही उन्होंने बड़े मुकाम तक पहुंचने में सफलता प्राप्त की।
– गीताबेन का गीत “रोणा शेरमा रें” पूरे भारत में बहुत पॉपुलर हुआ।
– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गीता रबारी को अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन से पहले गाने “श्रीराम घर आये” के लिए ट्वीट किया।
– गीताबेन ने संगीत के क्षेत्र में अपने अद्वितीय योगदान से पूरे गुजरात में लोकप्रियता प्राप्त की।
– गीताबेन के रात्रि जागरण में लोग लाखों करोड़ों रुपए के दान देते हैं, जो गौमाता, अनाथालय, और गरीब बच्चों के लिए होते हैं।
– गीताबेन ने संघर्षों के बाद भी अपने सपने को हासिल करने में सफलता प्राप्त की है।
– गीताबेन का सामाजिक कार्य और संगीतीय योगदान ने उन्हें भारतीय समाज में प्रशंसा के हकदार बना दिया है।